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मैं मेरठ कालेज,मेरठ में १९६९ -७१ में पढ़ा था मेरे कालेज छोड़ने के बाद १९७४ में मुनेश त्यागी जी एवं और बाद में मधुर जी उसी कालेज में पढ़े हैं,वे लोग किसी कान्फरेन्स में भाग लेने लखनऊ आये हुए थे ,उनसे मेरा परिचय ब्लॉग के माध्यम से ही हुआ था.उन दोनों ने मुझ से व्यक्तिगत रूप से मिलने की इच्छा व्यक्त की तो मैनें उन्हें घर बुला लिया और वे १७ जून २०११ को पधारे तथा मधुर जी ने दो काव्य पुस्तकें मुझे ससम्मान भेंट कीं.उन्ही पुस्तकों में से एक कविता आप सब के समक्ष प्रस्तुत हो चुकी है और आज मुनेश जी की ये तीन कवितायें पेश हैं-----------
मुनेश जी की कविताओं में अलग से तेवर दिखाई दिए.मैं पूरा हिन्दुस्तान हूँ 'कविता ख़ास लगी.
ReplyDeleteबढ़िया रचनाएँ ! मुनेश त्यागी के परिचय के लिए आभार
ReplyDeleteशुभकामनायें !
badiya rachnayein padwane ke liye shukriya..
ReplyDeleteमेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है : Blind Devotion - सम्पूर्ण प्रेम...(Complete Love)