Sunday 31 July 2011
Friday 29 July 2011
Sunday 24 July 2011
Thursday 21 July 2011
अतीत के ज्योतिष्यात्मक राजनीतिक विश्लेषण---विजय राजबली माथुर
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अभी ०२ जुलाई २०११ को 'क्रन्तिस्वर' में कुछ ज्योतिश्यात्मक विश्लेषण दिए थे और १०,११,१२ जुलाई को रेल हादसे तथा १३ जुलाई को मुम्बई में हुई आतंकवादी गतिविधियां सभी गृह-नक्षत्रों के प्रभाव से हैं.तमाम वैज्ञानिक ज्योतिष को अवैज्ञानिक ठहराते हैं क्योंकि प्रचलित ज्योतिषी गण इसे अवैज्ञानिक और अधार्मिक गतिविधियों से जोड़ कर धर्म कह कर परोसते हैं.वस्तुतः किन्हीं व्यक्ति-विशेषों द्वारा की गई गलतियों के कारण ज्योतिष की वैज्ञानिकता नहीं समाप्त हो जाती है.किसी विद्वान का कहना है-
समय करे,नर क्या करे,समय बड़ा बलवान.
असर ग्रह सब पर करें,परिंदा-पशु-इंसान..
१२ जुलाई २०११ को 'समझदारों की नासमझी' शीर्षक से मैंने ०२ जुलाई वाले विश्लेषणों की और ध्यानाकर्षण किया था.उसमें आगे के लिए और भी घटनाओं को इंगित किया गया है.मात्र डा.मोनिका शर्मा जी और अल्पना वर्मा जी ने सकारात्मक प्रतिक्रया दी है.बाकी विद्वान तो ज्योतिष को बकवास मानते हैं.उनकी जानकारी हेतु -०४ से १० ,११ से १७ और १८ से २४ सितम्बर,२००३तथा २२-२८ अप्रैल २००४ के अंकों में 'ब्रह्मपुत्र समाचार',आगरा में पूर्व प्रकाशित अपने लेखों की स्कैन कापियां प्रस्तुत कर रहा हूँ.इनसे स्पष्ट होगा कि मेरे विश्लेषण तो सही गए किन्तु उन पर वांक्षित लोगों ने ध्यान नहीं दिया इसलिए हानि का उन्हें सामना करना पड़ा
.
http://krantiswar.blogspot.com/2011/07/blog-post_18.html
संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर
अभी ०२ जुलाई २०११ को 'क्रन्तिस्वर' में कुछ ज्योतिश्यात्मक विश्लेषण दिए थे और १०,११,१२ जुलाई को रेल हादसे तथा १३ जुलाई को मुम्बई में हुई आतंकवादी गतिविधियां सभी गृह-नक्षत्रों के प्रभाव से हैं.तमाम वैज्ञानिक ज्योतिष को अवैज्ञानिक ठहराते हैं क्योंकि प्रचलित ज्योतिषी गण इसे अवैज्ञानिक और अधार्मिक गतिविधियों से जोड़ कर धर्म कह कर परोसते हैं.वस्तुतः किन्हीं व्यक्ति-विशेषों द्वारा की गई गलतियों के कारण ज्योतिष की वैज्ञानिकता नहीं समाप्त हो जाती है.किसी विद्वान का कहना है-
समय करे,नर क्या करे,समय बड़ा बलवान.
असर ग्रह सब पर करें,परिंदा-पशु-इंसान..
१२ जुलाई २०११ को 'समझदारों की नासमझी' शीर्षक से मैंने ०२ जुलाई वाले विश्लेषणों की और ध्यानाकर्षण किया था.उसमें आगे के लिए और भी घटनाओं को इंगित किया गया है.मात्र डा.मोनिका शर्मा जी और अल्पना वर्मा जी ने सकारात्मक प्रतिक्रया दी है.बाकी विद्वान तो ज्योतिष को बकवास मानते हैं.उनकी जानकारी हेतु -०४ से १० ,११ से १७ और १८ से २४ सितम्बर,२००३तथा २२-२८ अप्रैल २००४ के अंकों में 'ब्रह्मपुत्र समाचार',आगरा में पूर्व प्रकाशित अपने लेखों की स्कैन कापियां प्रस्तुत कर रहा हूँ.इनसे स्पष्ट होगा कि मेरे विश्लेषण तो सही गए किन्तु उन पर वांक्षित लोगों ने ध्यान नहीं दिया इसलिए हानि का उन्हें सामना करना पड़ा
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http://krantiswar.blogspot.com/2011/07/blog-post_18.html
संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर
Wednesday 13 July 2011
आदमी आदमी से क्यों डरता है?
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मेरठ के अमरनाथ मधुर जी द्वारा प्रदत्त पुस्तिकाओं में से कुछ चुनी हई रचनाएं प्रस्तुत हैं---
संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर
मेरठ के अमरनाथ मधुर जी द्वारा प्रदत्त पुस्तिकाओं में से कुछ चुनी हई रचनाएं प्रस्तुत हैं---
संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर
Monday 11 July 2011
ममता की निष्ठुर संकीर्णता
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संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर
Hindustan-Lucknow-11/07/2011
संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर
Sunday 10 July 2011
पार्टी जीवन से
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संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर
संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर
Thursday 7 July 2011
भ्रष्टाचार के विरुद्द संघर्ष और बाबा रामदेव
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संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर
संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर
Tuesday 5 July 2011
Sunday 3 July 2011
एक कर्मठ व्यक्तित्व का अवसान-कामरेड चतुरानन मिश्र
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का.चतुरानन मिश्र जी से मेरी व्यक्तिगत मुलाक़ात मार्च १९९२ में तब हुयी थी जब वह उत्तर प्रदेश भाकपा के राज्य सम्मलेन में केन्द्रीय नेतृत्व की हैसियत से आये थे.मैं उस समय आगरा भाकपा में कोषाध्यक्ष था और मुझे सम्मलेन में भाग लेने वाले नेताओं के वापिसी टिकटों का बंदोबस्त करने की जिम्मेदारी मिली थी.का. चतुरानन जी को ताज एक्सप्रेस से दिल्ली लौटना था और उन्होंने अपना संसदीय आई .सी.न. देकर सीट रिजर्व करने को कहा था.मैनें राजा मंडी स्टेशन से कन्फर्म सीट न. लाकर उन्हें बता दिया था.न तो कोई फ़ार्म भर कर दिया था न ही टिकट मिला था.का.चतुरानन मिश्र जी का व्यवहार मुझ जैसे छोटे कार्यकर्ता के साथ भी काफी मधुर था.
मेरी पत्नी बताती हैं उनके फूफाजी स्व.शशिभूषण प्रसाद जी और चतुरानन मिश्र जी साथ-साथ इकोनामिक्स पढ़ाते थे ,मधुबनी के डिग्री कालेज में.मिश्र जी उनके अच्छे मित्रों में थे और घंटों-घंटों उनके घर पर वार्ता होती रहती थी.
जब किसी से व्यक्तिगत मुलाक़ात रही हो तो उसके न रहने से विशेष दुःख होता है.का. चतुरानन मिश्र जी ने का. इन्द्रजीत गुप्त जी के साथ देवगौड़ा जी की सर्कार में 'लोकपाल 'विधेयक पेश कराने में भूमिका निबाही थी.तब भाजपा ने कांग्रेस से मिल कर उस सर्कार को गिरवा दिया था और वह 'लोकपाल बिल'अधर में लटक गया.आज भाजपा अन्ना को आगे करके लोकपाल-लोकपाल का राग अलाप रही है जो उसका दिखावा है.
का. चतुरानन मिश्र जी की जो लगन किसानों और मजदूरों के प्रति थी उसका अन्सरन करना ही उन्हें सच्ची श्रधान्जली होगी.
हिंदुस्तान-लखनऊ -३/७/२०११ |
का.चतुरानन मिश्र जी से मेरी व्यक्तिगत मुलाक़ात मार्च १९९२ में तब हुयी थी जब वह उत्तर प्रदेश भाकपा के राज्य सम्मलेन में केन्द्रीय नेतृत्व की हैसियत से आये थे.मैं उस समय आगरा भाकपा में कोषाध्यक्ष था और मुझे सम्मलेन में भाग लेने वाले नेताओं के वापिसी टिकटों का बंदोबस्त करने की जिम्मेदारी मिली थी.का. चतुरानन जी को ताज एक्सप्रेस से दिल्ली लौटना था और उन्होंने अपना संसदीय आई .सी.न. देकर सीट रिजर्व करने को कहा था.मैनें राजा मंडी स्टेशन से कन्फर्म सीट न. लाकर उन्हें बता दिया था.न तो कोई फ़ार्म भर कर दिया था न ही टिकट मिला था.का.चतुरानन मिश्र जी का व्यवहार मुझ जैसे छोटे कार्यकर्ता के साथ भी काफी मधुर था.
मेरी पत्नी बताती हैं उनके फूफाजी स्व.शशिभूषण प्रसाद जी और चतुरानन मिश्र जी साथ-साथ इकोनामिक्स पढ़ाते थे ,मधुबनी के डिग्री कालेज में.मिश्र जी उनके अच्छे मित्रों में थे और घंटों-घंटों उनके घर पर वार्ता होती रहती थी.
जब किसी से व्यक्तिगत मुलाक़ात रही हो तो उसके न रहने से विशेष दुःख होता है.का. चतुरानन मिश्र जी ने का. इन्द्रजीत गुप्त जी के साथ देवगौड़ा जी की सर्कार में 'लोकपाल 'विधेयक पेश कराने में भूमिका निबाही थी.तब भाजपा ने कांग्रेस से मिल कर उस सर्कार को गिरवा दिया था और वह 'लोकपाल बिल'अधर में लटक गया.आज भाजपा अन्ना को आगे करके लोकपाल-लोकपाल का राग अलाप रही है जो उसका दिखावा है.
का. चतुरानन मिश्र जी की जो लगन किसानों और मजदूरों के प्रति थी उसका अन्सरन करना ही उन्हें सच्ची श्रधान्जली होगी.
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