Friday 23 August 2013

आखिर यूँ त्यौहारों की लकीर पीटने से क्या हासिल होता है ?

ढोंग को धर्म मानने का दुष्परिणाम:तथाकथित राष्ट्र वादी का भद्दा कमेन्ट ---



एक तू ही धनवान हैं गोरी बाकी सब कंगाल —
— with Vikash Goyal.
Danda Lakhnaviआज रक्षा-बंधन का दूसरा दिन है| अभी रक्षा -बंधन पर बंधा धागा खुला नहीं होगा ... एक भाई को एक बहन गोरी दिख रही है. आखिर यूँ त्यौहारों की लकीर पीटने से क्या हासिल होता है ?

आदरणीय डॉ डंडा लखनवी जी ने यह वाजिब सवाल उठाया है -"आखिर यूँ त्यौहारों की लकीर पीटने से क्या हासिल होता है ?" 
एक तरफ तो हर त्यौहार को धर्म के साथ जोड़ा जाता है दूसरी ओर धर्म विरुद्ध आचरण किया जाता है तो उससे स्पष्ट है कि धर्म को 'धर्म' के रूप में नहीं बल्कि 'ढोंग-पाखंड-आडंबर'के रूप में केवल 'मौज -मस्ती' के लिए प्रयोग किया जा रहा है। तभी तो कुत्सित विचारों का प्रदर्शन किया जाता है जिन पर डॉ साहब ने समयोचित-सटीक टिप्पणी की है। ऐसे कुत्सित लोगों को रामदेव-आशा राम सरीखे ढोंगियों से बल मिलता है और समाज में अराजकता की स्थिति उत्पन्न होती है। प्रतिक्रिया स्वरूप लोग धर्म को ही कटघरे में खड़ा कर देते हैं क्योंकि ढ़ोंगी जो धर्म के ध्वजा वाहक बन जाते हैं। आवश्यकता है ढोंगियों का पर्दाफाश करने एवं 'धर्म' की वास्तविक मीमांसा जन -जन को समझाने की।






 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

Wednesday 21 August 2013

नरेंद्र डभोलकर जी को श्रद्धांजली क्या हो?---विजय राजबली माथुर

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अंधविश्वास से संघर्ष करने वाले नरेंद्र डभोलकर जी की हत्या शोषकों/उतपीडकों की तात्कालिक जीत है। इस प्रकार संघर्ष करने वाले वह और उनके दूसरे  साथी भी जैसा कि हिंदुस्तान के लेख की कटिंग से स्पष्ट होता है 'धर्म' और 'ज्योतिष' के विरुद्ध भी अभियान चलाते हैं और ऐसा ही वामपंथी भी करते हैं। यहीं से इन संघर्षशील ताकतों की हार की पटकथा प्रारम्भ हो जाती है। 

'ज्योतिष'=अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला विज्ञान। 

'धर्म'=सत्य,अहिंसा (मनसा-वाचा-कर्मणा),अस्तेय,अपरिग्रह और ब्रह्मचर्य। 

अब जब हम 'धर्म' और 'ज्योतिष' का ही विरोध करने लग जाएंगे तो हम खुद ही सद्गुणों एवं प्रकाश के मार्ग के विरोधी हो जाएँगे। 

वस्तुतः हमें ब्राहमनवाद द्वारा पोषित ढोंग-पाखंड-आडंबर का पर्दाफाश करके जनता को यह समझाना चाहिए कि टोना-टोटका-जादू फैलाने वाले 'अधर्म' फैला रहे हैं तथा 'तोता वाला','बैल वाला''मंदिर का पुजारी' ठग हैं ज्योतिषी नहीं। हमें जनता के समक्ष धर्म के वास्तविक गुणों की व्याख्या प्रस्तुत करके जनता को इन पाखंडियों के विरुद्ध लामबंद करना चाहिए। 

और अफसोस यह है कि हम मे से अधिकांश 'अध्यन',मनन' किए बगैर ही अधर्म को धर्म की संज्ञा व ठगी को ज्योतिष की संज्ञा देकर धर्म व ज्योतिष का ही विरोध करते हैं जो मानवता के हित मे नहीं है। शोषक-उत्पीड़क लोग अपने दलालों के माध्यम से,अपने संचार माध्यमों की सहायता से जनता को उल्टे उस्तरे से मूढ़ने मे सफल हो जाते हैं। हमें 'नरेंद्र डभोलकर जी' सरीखे महात्माओं से वंचित होना पड़ जाता है।

आधुनिक युग में सर्वप्रथम महात्मा गौतम बुद्ध ने फिर सातवीं सदी में संत कबीर ने और 135 वर्ष पूर्व स्वामी दयानन्द सरस्वती ने ढोंग-पाखड़-आडंबर पर जोरदार प्रहार किया था। मंडन मिश्र की छल द्वारा पराजय के बाद महात्मा बुद्ध को 'दशावतारों' में शामिल करके उनकी शिक्षाओं को धूमिल कर दिया गया। बौद्ध साहित्य जला दिया गया बौद्धों के मठ/विहार नष्ट कर दिये गए। 

कबीर दास जी के विरुद्ध घृनित प्रचार अभियान चला कर उनकी सीखों को दबा दिया गया। गायत्री परिवार तथा राधास्वामियों के माध्यम से दयानन्द जी की कुर्बानी को कुचल दिया गया। रही सही कसर RSS ने आर्यसमाज पर कब्जा कर पूरी कर दी। 

जब-जब किसी विद्वान ने साहस करके सत्य को उद्घाटित करने का प्रयास किया उसके मार्ग में रोड़े अटकाए गए चाहे वे गौतम बुद्ध, कबीर और दयानन्द ही क्यों न रहे हों। तुलसी दास जी ने जब विदेशी शासन के विरुद्ध 'राम चरित मानस' द्वारा 'क्रांति' का आव्हान किया तो उसकी मूल भावना को नष्ट करके उसे पूजनीय ग्रंथ घोषित कर दिया गया और उसके नायक को अलौकिक जो आज तक वैसे ही चला आ रहा है। जब आप सच्चाई को सामने लाते हैं तो लुटेरों के मंसूबों पर पानी फिरता है और वे चालाकी से धर्म का नाम लेकर आपके विरुद्ध जनता को गुमराह करते हैं। आप पहले ही धर्म और ज्योतिष का विरोध करने की गलती कर चुके होते हैं इसलिए आपको मार्ग से आसानी से  हटा दिया जाता है। 

मैं एक लंबे अरसे से 'एकला चलो रे' सिद्धान्त के अंतर्गत जनता को यह समझाने का प्रयास कर रहा हूँ कि धर्म वह नहीं है जो ढ़ोंगी-पाखंडी बताते हैं।  बल्कि वास्तविक 'धर्म','भगवान','ज्योतिष' की व्याख्या मैं अपने ब्लाग - http://krantiswar.blogspot.in के माध्यम से करता रहता हूँ परंतु खेद है कि मुझे प्रबुद्धजनों का समर्थन नहीं है। यदि हम वास्तव में नरेंद्र डभोलकर जी को श्रद्धांजली सच्चे तौर पर देना और उनके आंदोलन को आगे बढ़ाना चाहते हैं तो हमे अपने संघर्ष की दिशा और धार बदलनी होगी।

 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

Thursday 15 August 2013

जन सेवा की शपथ/ईमानदारी की सेल---डॉ डंडा लखनवी

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ये दोनों लेख डॉ डंडा लखनवी साहब के ब्लाग 'मानवीय सरोकार' पर प्रकाशित हुये थे । इन प्रतियों को डॉ साहब ने एस एम मासूम साहब को भेंट करना चाहा था किन्तु उन्होने लौटा दिया था। तब डॉ साहब ने मुझे सौंप दिया था। आज स्वाधीनता दिवस की 67 वीं वर्षगांठ के अवसर डॉ साहब के इन लेखों को इस लिए प्रकाशित किया जा रहा है कि ये आज भी उतने ही प्रासांगिक हैं।



 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

Wednesday 7 August 2013

फेसबुक वीर कंवल भारती ज़िंदाबाद ---विजय राजबली माथुर




वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार कंवल भारती की अनैतिक तथा असंवैधानिक गिरफ्तारी के विरोध में अंबेडकर महासभा भवन,लखनऊ में नगर के साहित्यकार,पत्रकार,महिला संगठनों,दलित संगठनों के सदस्यों ने एकत्र होकर एकमत से कंवल भारती जी  की गिरफ्तारी का विरोध किया एवं राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन को स्वीकृत किया उसके बाद एक जुलूस के रूप में पूर्व राज्यपाल माता प्रसाद जी के नेतृत्व में हजरतगंज स्थित अंबेडकर प्रतिमा पर मोम बत्तियाँ जला कर विरोध प्रदर्शन किया। 

डॉ लालजी निर्मल ने कंवल भारती जी की पत्नी से मिली जानकारी के अनुसार बताया कि भारती जी को रामपुर पुलिस प्रातः 5 बजे  केवल लूँगी-बनियाँन  पहने ही थाने ले गई उनको कपड़े तक पहनने का मौका नहीं दिया गया।वरिष्ठ भाकपा एवं महिला फेडरेशन नेत्री कामरेड आशा मिश्रा ने पुलिस के इस अमानवीय कृत्य की घोर निंदा की एवं भारती जी से गलत कानूनी धाराओं को हटाने की सरकार से मांग की। जसम के कौशल किशोर ने अखिलेश की सरकार को फासिस्ट बताते हुये उसका कड़ा विरोध किए जाने की आवश्यकता बताई। अन्य वक्ताओं में प्रमुख थे-ताहिरा हसन, वंदना मिश्रा ,सिद्धार्थ कलहंस ,के के शुक्ल,शकील सिद्दीकी,एवं अरविंद विद्रोही । पूर्व छात्र नेता एवं वकील पवन उपाध्याय ने बताया कि भारती जी की गिरफ्तारी संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता की अवहेलना है। 

सभा का जोशीला संचालन पत्रकार आशीष अवस्थी ने किया। आशीष अवस्थी ने बीच-बीच में सरकार विरोधी नारे पूरी बुलंदगी से लगवाए। जिनमें ये विशेष थे-अखिलेश यादव होश में आओ ,कंवल भारती से गलत धाराएँ हटाओ,यह फासिस्ट सरकार नहीं चलेगी,नहीं चलेगी,'कलम और कला' के सिपाहियों का उत्पीड़न बंद करो। अखिलेश सरकार भारती जी से माफी मांगो। 

जुलूस और सभा में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी लखनऊ के ज़िला सह-सचिव कामरेड  परमानंद दिवेदी,काउंसिल सदस्य कामरेड  विजय माथुर एवं महिला फेडरेशन की जिलाध्यक्ष कामरेड कान्ति मिश्रा  भी उपस्थित रहे। 


लखनऊ के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ डंडा लखनवी जी अपनी पत्नी के निधन के बाद हो रहे 'हवन' के कारण व्यक्तिगत रूप से उपस्थित न हो सके किन्तु उन्होने मुझसे उस समय कहा था कि वह हृदय से भारती जी के साथ हैं और उनकी गिरफ्तारी की निंदा करते हैं।  






 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर