Wednesday 24 January 2018

एक्सीडेंटल पी एम का खिताब मनमोहन सिंह जी को देना गलत है ------ विजय राजबली माथुर

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फिल्म बनाना और मनोरंजन करना तो एक अलग बात है लेकिन मनमोहन सिंह जी को एक एक्सीडेंटल प्रधानमंत्री कहना सच्चाई पर पर्दा डालना ही है। उनके पूर्व सलाहकार महोदय ने पुस्तक ज़रूर किसी निश्चित उद्देश्य के लिए लिखी होगी और वैसे ही उद्देश्य की पूर्ती यह फिल्म भी करेगी। 
बहुत पुरानी बात नहीं है कोई 27 वर्ष पूर्व जब पूर्व पी एम राजीव गांधी की निर्मम हत्या कर दी गई तब सहानुभूति के आधार पर उनकी कांग्रेस को संसद में अधिक सीटें मिल गई थीं और उस अचानक की परिस्थिति में पूर्व आर एस एस कार्यकर्ता पी वी नरसिंहा  राव साहब को पी एम बनने का मौका मिल गया था। उनके द्वारा रिज़र्व बैंक, वर्ल्ड बैंक और आई एम एफ से सम्बद्ध रहे डॉ मनमोहन सिंह जी को वित्तमंत्री बनाया गया था जिनकी आर्थिक नीतियों को भाजपा नेता एल के आडवाणी ने न्यूयार्क में  जाकर उनकी अर्थात भाजपा की नीतियों को चुराया जाना  बताया था। स्पष्ट है कि , मनमोहन जी ने उदारीकरण की जिन नीतियों को कांग्रेस सरकार से लागू करवाया था वे तो जनसंघ और आर एस एस की पुरानी मांग पर आधारित थीं। वर्ल्ड बैंक / आई एम एफ अर्थात अप्रत्यक्ष रूप से यू एस ए भी उन नीतियों का ही समर्थक था इसलिए कहा तो यह जाना चाहिए था कि , मनमोहन जी जनसंघ / आर एस एस / विश्व कारपोरेट की ख़्वाहिश पर वित्तमंत्री बनाए गए थे और इस प्रकार राजनेता के तौर पर स्थापित किए जा रहे थे। 
नरसिंहा  राव साहब ने  पदमुक्त होने के बाद अपने उपन्यास  THE INSIDER में यह रहस्योद्घाटन किया था कि , ' हम स्वतन्त्रता के भ्रमजाल में जी रहे हैं। '  एक विद्वान , कुशल प्रशासक  और संगठक द्वारा महज मज़ाक में ऐसा नहीं लिखा गया होगा। यह एक वास्तविक सच्चाई रही होगी। हालांकि उनको मनमोहन जी का राजनीतिक गुरु बताया जाता है किन्तु उनको स्थापित करना उनकी मजबूरी भी रही होगी। 
जब सोनिया जी ने 2004 में उनको  पी एम पद के लिए प्रस्तावित किया होगा तब उनके समक्ष भी  नरसिंहा  राव साहब  सदृश्य मजबूरी ही रही होगी। किन्तु जब सोनिया जी ने 2012 में मनमोहन जी को राष्ट्रपति बना कर प्रणव मुखर्जी साहब को पी एम बनाना चाहा था तब जापान यात्रा से लौटते वक्त विमान में दिये साक्षात्कार में उन्होने कहा था कि , वह जहां हैं वहीं संतुष्ट हैं बल्कि तीसरे मौके के लिए भी बिलकुल फिट हैं। 

जब मनमोहन जी को एहसास हो गया कि उनको तीसरा मौका नहीं मिलने जा रहा है तब उनका प्रयास हज़ारे आदि के माध्यम से भाजपा को सशक्त करने के लिए हुआ जिसके परिणाम स्वरूप आज भाजपा की मोदी सरकार सत्तारूढ़ है। 

पुस्तक और फिल्म एक ध्येय को लेकर मनमोहन जी को एक्सीडेंटल पी एम सिद्ध करने का प्रयास करते हैं  जो वास्तविकता से ध्यान हटाने का उपक्रम ही है। 


संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त यश

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