Sunday 3 March 2019

कुछ युद्ध बंदियों की कहानी ------ Er S D Ojha / सुधीर मिश्र

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NBT,lko॰03-03-2019,Page-1 
http://www.samachar4media.com/headlines/senior-journalist-santosh-bhartiya-spoke-about-release-of-wing-commander-abhinandan-50040.html





Er S D Ojha
02-03-2019 

आज अभिनंदन वर्धमान का अभिनंदन एक हीरो के रुप में हो रहा है । ज्ञातव्य हो कि अभिनंदन पाकिस्तान के लड़ाकू विमान एफ - 16 का पीछा करते हुए पाकिस्तान के इलाके में पहुँच गये थे । वहां इन्होंने पाक के उस विमान को मार गिराया , पर इस जद्दोजहद में उनके विमान में भी आग लग गयी थी । वे पैरा शूट की मदद से पाकिस्तान के इलाके में उतर गये , जहां उन्हें कैद कर लिया गया था । हर्ष का विषय है कि वहां पर उन्हें किसी तरह की प्रताड़ना नहीं दी गयी । उनकी रिहाई पाकिस्तान सरकार ने कर दी है । यह रिहाई इसलिए सम्भव हो सकी कि उस समय तक कोई युद्ध की घोषणा नहीं हुई थी । इसे अंतर्राष्ट्रीय सीमा का उल्लंघन माना गया , जो कि दोनों देशों ने किया था । अभिनंदन बंदी थे , पर युद्ध बंदी नहीं ।

इसी तरह नचिकेता को भी कारगिल वाॅर में बंदी बनाया गया था । नचिकेता युद्ध बंदी थे । इसलिए उनकी रिहाई जल्दी सम्भव नहीं हो पायी । नचिकेता को प्रताड़ित भी किया गया था । जब वे वापस आए तो उनके शरीर पर जगह जगह सिगरेट के दाग थे । उनके लिए मसीहा बनकर एक पाकिस्तानी कैप्टन सामने आया , जिसने नचिकेता को और प्रताड़ित होने से बचाया था । उस समय देश ने नचिकेता को हाथों हाथ लिया था । बहुत से जवान नचिकेता जैसा बनना चाह रहे थे । नचिकेता उनके आदर्श थे । बाद में नचिकेता की रिहाई हो गयी थी , पर उनके साथ के अजय आहूजा की क्षत विक्षत लाश हीं हमें मिल पायी थी ।

1965 की लड़ाई में फील्ड मार्शल जनरल के एम करिअप्पा के बेटे के सी नंदा करिअप्पा भी पकड़े गये थे उस समय अयूब खान पाकिस्तान के राष्ट्रपति थे । अयूब खान कभी फील्ड मार्शल जेनरल के एम करिअप्पा के जूनियर रह चुके थे । अयूब खान ने उन्हें फोन मिलाया और कहा कि वे उनके बेटे को छोड़ रहे हैं । करिअप्पा ने कहा अगर छोड़ना है तो सारे युद्ध बंदियों को छोड़ो , अन्यथा किसी को न छोड़ो । वे सभी भारत के बेटे हैं । उन्होंने अपने बेटे को किसी तरह की रियायत देने से भी मना किया था । बाद में अयूब की पत्नी और उनका बड़ा बेटा अख़्तर अयूब उनके बेटे से मिलने आए थे । वो उसके लिए स्टेट एक्सप्रेस सिगरेट का एक कार्टन और वुडहाउस का एक उपन्यास ले कर आए थे ।


फील्ड मार्शल के एम करिअप्पा के बेटे के सी नंदा करिअप्पा ने अपने संस्मरण में लिखा था कि उनके लिए वह दिन खुशी का दिन था जब फिल्म अभिनेत्री आशा पारिख ने सभी युद्ध बंदियो को सूखे मेवे भिजवाए थे । उनकी रिहाई सभी युद्ध बंदियों के साथ हुई थी । वर्तमान में नंदा अपने पैतृक निवास मदकीरी के रोशनारा में रह रहे हैं । वे कहते हैं कि पकड़े जाने पर केवल नाम , रैंक और सर्विस नम्बर हीं बताना चाहिए । उसके बाद गूंगा व बहरा हो जाना चाहिए । यही मानक प्रक्रिया है ।

https://www.facebook.com/photo.php?fbid=2273724219620118&set=a.1680408095618403&type=3

निम्नांकित फ़ोटोज़ से इस कारवाई के निहितार्थ स्पष्ट होते हैं :



 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त यश

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