Sunday 18 December 2011

सेना का विजय दिवस और अन्ना

'हिंदुस्तान'के प्रधान संपादक श्री शशि शेखर ने अपने 18 दिसंबर के संपादकीय लेख मे 16 दिसंबर की भारतीय सेना की 40 वर्ष  पूर्व प्राप्त अद्भुत विजय के संबंध मे लिखा है-
"अन्ना हज़ारे के इर्द-गिर्द घूम रहे राजनीतिज्ञों को क्या दोष दें?खुद अन्ना भी इस मुद्दे पर मौनी बाबा बने रहे। वह खुद भारतीय सेना मे रहे हैं और पाकिस्तान के खिलाफ एक जंग मे भी शरीक हुये थे। और कुछ नहीं,तो सार्वजनिक तौर पर वह फौज के अपने उन साथियों को श्रद्धांजली ही दे देते,जो देश की रक्षा करतेहुए इस युद्ध मे शहीद हुये थे। "

अब शशि शेखर जी को कौन समझाये कि अन्ना को भारत या भारतीय फौज से क्या ताल्लुक ?वह तो अमेरिकी और भारतीय कारपोरेट घरानों के हित मे भारत के राष्ट्रीय ध्वज का लगातार अपमान करते आ रहे हैं। अमेरिका को स्वतन्त्रता दिलाने वाले जार्ज वाशिंगटोन ने अमेरिकी ध्वज का अपमान करने वाले को जहां का तहां मार डालने को कहा था और भारत के राष्ट्रीय ध्वज जिसे 15 अगस्त,02 अक्तूबर और 26 जनवरी को छोड़ कर सरकारी भवनों के अतिरिक्त सार्वजनिक रूप से नहीं फहराया जा सकता किस प्रकार खुले आम पाखंडी जुलूसों मे इस्तेमाल किया जा रहा है नीचे के चित्रों मे द्खे-






उपरोक्त वीडियो मे सच्चाई जानने -समझने के बाद भी क्या आप अन्ना के कारपोरेट आंदोलन का ही समर्थन करते रहेंगे?

स्पष्ट रूप से पढ़ने के लिए इमेज पर डबल क्लिक करें (आप उसके बाद भी एक बार और क्लिक द्वारा ज़ूम करके पढ़ सकते हैं ) संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

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