Monday, 14 November 2011

गलत परंपरा

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आज दिनांक 14 नवंबर 2011 के हिंदुस्तान मे उपरोक्त समाचार पढ़ कर ग्लानि हुई कि एक वरिष्ठ पत्रकार ने बेहद गलत परंपरा की शुरुआत की। कार्यक्रम के अध्यक्ष महान साहित्यकार मुद्रा राक्षस जी के सम्बोधन के बाद आमंत्रित किए जाने पर भी के विक्रम राव साहब को नहीं बोलना चाहिए था परंतु वह परंपरा तोड़ कर बोले भी और लेखको को बेजा नसीहत भी देने लगे। उनका यह भद्दा कृत्य घोर निंदनीय ही नहीं दंडनीय भी है।

वीरेंद्र यादव जी ने मंच छोड़ कर अच्छा ही किया और खुद मुद्रा राक्षस जी ने भी मंच छोड़ कर ठीक किया। प्रो रमेश दीक्षित जी का कथन भी सराहनीय रहा कि राव साहब लेखको को अन्ना का समर्थन करने का निर्देश नहीं दे सकते। ये तीनों लेखक-साहित्यकार बधाई के पात्र और स्तुत्य हैं।


http://vidrohiswar.blogspot.com/2011/11/blog-post.html---'लखनऊ के अपने मकान मे दो वर्ष'


 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

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