Saturday 28 September 2013

राहुल का बयान :मध्यावधी चुनावों का संकेत ---विजय राज बली माथुर

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राहुल गांधी के बयान को आधार बना कर अरुण जेटली द्वारा पी एम साहब को स्तीफ़ा देने की ललकार एक बार फिर से सिद्ध करती है कि मनमोहन जी अंदर-अंदर भाजपा से मिलीभगत करके चलते रहे हैं। जब सोनिया जी अपने इलाज के वास्ते देश से बाहर थीं तो उन्होने हज़ारे/केजरीवाल को आगे करके 'कारपोरेट भ्रष्टाचार' के बचाव का आंदोलन खड़ा करा दिया था जिसमें 'राष्ट्र ध्वज'का घोर अपमान किया गया था। जब फिर सोनिया जी चेक अप के लिए गईं फिर विवाद खड़ा करा दिया। वह पार्टी अनुशासन से परे चलते रहे। पहली बार उनकी पार्टी ने उनको आईना दिखाया है। वह स्तीफ़ा न देकर 'मध्यावधी चुनाव' का रास्ता अख़्तियार कर सकते हैं।


 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

Wednesday 18 September 2013

सब्जी मंहगी -समाधान क्या हो?

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प्रताप  सोमवंशी साहब ने सही आंकलन पेश किया है। सिर्फ गांवों में ही नहीं शहरों में भी पहले घरों की खाली ज़मीन पर लोग सब्जियों की बेलें उगा लेते थे और जैसा कि उन्होने लिखा है अपनी ज़रूरत से ज़्यादा को पड़ौसियों मे वितरित कर देते थे। आगरा में हमारे घर के सामने किराये पर रहने वाले साहब ने अपने चपरासी से 'सेम'लगवा रखी थी उसी के जरिये हमारे यहाँ भी कई बार भिजवाया करते थे। हमारे घर में नींबू के पेड़ थे जिंनका उपयोग आस-पड़ौस के लोग भी सहज ही करते थे। अमरूद और पपीता भी हमने अगल-बगल के लोगों को बांटा है। 'तुलसी' की पौध भी लोग हमारे घर से ले जाते थे। ज़्यादातर लोगों ने पूरी ज़मीन पर निर्माण करा रखा था किसी ने खाली ज़मीन नहीं बचाई थी। यहाँ लखनऊ में हमारे यहाँ भी वही स्थिति है,बिल्डर ने पूरा निर्माण करा रखा है। कुछ पौधों को गमले में लगाना पड़ा है। 

यदि अब भी लोग अपने-अपने घरों में सब्जियों की बेलें उगाएँ जैसा कि सोमवंशी जी का सुझाव है तो मंहगी सब्जियों का भी समाधान हो सकता है।



 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

Sunday 8 September 2013

पी एम साहब का मनोरंजक बयान ---विजय राजबली माथुर

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 विशेष विमान में दिया गया पी एम साहब का बयान नितांत भ्रामक है जबकि कुरील साहब का बनाया गया कार्टून वास्तविकता का चित्रण कर रहा है। वस्तुतः सोनिया जी ने 2009 के चुनावों के बाद मनमोहन जी के बजाए प्रणव मुखर्जी साहब को पी एम बनाना चाहा था लेकिन सिंह साहब न हटने पर एड़ गए थे। फिर 2011 में भी उनके बदले मुखर्जी साहब की चर्चा उठने पर हज़ारे आंदोलन चलवा दिया गया जिसके दौरान स्वाधीनता दिवस पर ब्लैक आउट घोषित किया गया था। 2012 में उनके बदले जब फिर मुखर्जी साहब का नाम आया और उनको राष्ट्रपति पद पर प्रोन्नत करने की बात चली तब उस समय भी विदेश यात्रा से लौटते समय विमान में ही कहा था कि वह जहां हैं वहीं ठीक हैं एवं वह तीसरी बार भी पी एम बनने हेतु चुस्त-दुरुस्त हैं। 

अब अपने रिटायरमेंट का संकेत इसलिए दिया है कि सोनिया कांग्रेस को चुनावों में परास्त करने का मुक्कमल बंदोबस्त कर चुके हैं। इसमे भी 'राहुल गांधी' को पी एम बनाने का शगूफा भ्रमित करने के लिए इसलिए छोड़ा गया है क्योंकि वह बखूबी जानते हैं कि 'राहुल' की माता जी एवं ननिहाल के लोग राहुल को पी एम बनने ही नहीं देंगे तो चटकारा लेने में हर्ज ही क्या  है?

राष्ट्रपति महोदय अपने निर्वाचन के समय वेंकट रमण साहब द्वारा वी पी सिंह साहब को दिये आश्वासन    
 की भांति ही 'मुलायम सिंह जी' तथा 'ममता बनर्जी साहिबा' को आश्वासन दे चुके हैं कि स्पष्ट बहुमत न होने की दशा में वह इन लोगों को वरीयता देंगे। इन दोनों में से ही अगला पी एम बनने की संभावना है बाकी सभी मनोरंजन करने का काम कर रहे हैं।

 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर