Wednesday 31 July 2013

नायकविहीन समय मेंप्रेमचंद ---प्रो ॰ सदानंद शाही

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 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

Tuesday 30 July 2013

मुंशी प्रेमचंद और लखनऊ---शकील सिद्दीकी

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 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

Sunday 28 July 2013

तैरते हुये घर की खोज

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 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

Friday 26 July 2013

मोनेकाडा हमले की 60वीं जयंती पर विशेष सभा

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 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

Thursday 18 July 2013

लोकसभा भंग हो सकती है---अतुल अंजान

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संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

Saturday 13 July 2013

शाह ने 'हिन्दू दर्शन' की अवमानना की ---अतुल अंजान

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हिंदुस्तान,लखनऊ के पृष्ठ-12 पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय सचिव कामरेड अतुल अंजान के विचार प्रकाशित हुये हैं। 
कामरेड अतुल अंजान लखनऊ के ही मूल निवासी हैं और उनकी ख्याति एक ओजस्वी एवं गंभीर वक्ता के रूप में है। वह बेबाक बोले जाने के लिए भी प्रसिद्ध हैं ,मोदी व उनके एजेंट के संबंध में कामरेड  अंजान के विचार मनननीय हैं।

 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

Sunday 7 July 2013

गफलत कह कर मखौल उड़ाने वालों अब भी होश में आ जाओ---विजय राजबली माथुर

हिंदुस्तान लाईव से प्राप्त समाचार:07-07-2013
नौ विस्फोटों में से चार विस्फोट मंदिर परिसर में हुए। महाबोधि मंदिर में श्रीलंका, चीन, जापान सहित पूरे दक्षिणपूर्व एशिया से बौद्ध श्रद्धालु आते हैं।


     महाबोधि मंदिर में नौ धमाके, दो घायल,CISF सुरक्षा की मांग  विस्फोट करने वालों के खिलाफ करेंगे सख्त कार्रवाई: नीतीश विस्फोट करने वालों के खिलाफ करेंगे सख्त कार्रवाई: नीतीश विस्फोट करने वालों के खिलाफ करेंगे सख्त कार्रवाई: नीतीश पीएम ने की महाबोधि में आतंकी हमले की निंदा  अमेरिका में विमान हादसा, तीन भारतीय थे सवार  महाबोधि मंदिर में नौ धमाके, दो घायल,CISF सुरक्षा की मांग  भाजपा ने हेडली का बयान सार्वजनिक करने की मांग की  राघवजी की सीडी बनाने वाले भाजपा नेता निलंबित नाइजीरिया में स्कूल हमले में 42 छात्र मारे गए



धमाकों से दहला बिहार

बिहार के बोध गया में स्थित महाबोधि मंदिर में रविवार सुबह सिलसिलेवार नौ बम धमाके हुए जिसमें दो बौद्ध भिक्षु घायल हो गये। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंदिर के लिए सीआईएसएफ सुरक्षा की मांग की।  02:52 PM




 

अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को हवाईअड्डे पर दुर्घटनाग्रस्त हुए एशियाना एयरलाइंस के विमान में तीन भारतीय सवार थे। इस हादसे में दो की मौत हो गई और 180 से ज्यादा घायल हो गए।  02:05 PM

जब हमने निम्नांकित पोस्ट दिया था तो उस पर विभिन्न फेसबुक ग्रुप्स में एवं हमारे ब्लाग पर एक  काबिल-ए-आजम  ने टिप्पणी दी थी कि यह गफलत फैलाने वाला पोस्ट है। क्या हिंदुस्तान द्वारा दिया गया समाचार विवरण उसकी पुष्टि करता है या गफलत फैलाने की?इस प्रकार के धृष्ट लोग वस्तुतः विश्व शांति के शत्रु हैं।

 आइये पोंगापंथी ढोंगियों एवं स्वम्भू मार्क्स वादी विद्वानों की परवाह किए बगैर ---http://krantiswar.blogspot.in/2013/06/blog-post_27.htmlइन संकेतों पर विचार करें जो 'चंड-मार्तण्ड निर्णयसागर' पंचांग के पृष्ठ 36 से 39 पर प्रकाशित हैं। यह पंचांग दिसंबर 2012 में ही मैंने खरीद लिया था जिससे यह अनुमान लगाना सहज है कि कितना पहले ही इन ज्योतियों ने गणना द्वारा ज्ञात करके सार्वजनिक कर दिया था।( फिर भी फूहड़ किस्म के लोग प्रगतिशीलता/साम्यवाद की आड़ लेकर शोषकों-उतपीडकों को लाभ पहुंचाने हेतु 'ज्योतिष' की आलोचना करते नहीं थकते हैं। कभी 'ज्योतिष एक मीठा जहर' लेख लिख कर IBN7 का कारिंदा ब्लागर लोगों को गुमराह करता है तो कभी 'डायचे वेले' से पुरुसकृत वैज्ञानिक ब्लागर 'ज्योतिष' पर आग उगलता है और साम्यवादी विद्वान का चोला ओढ़े 'डायचे वेले' का पुराना कारिंदा उसी स्वर में अलग राग तांनता है। )


"चलन कलरवि भौम का,लक्षण कष्ट निवेश । 
यान खान घटना विविध,ऋतु विषम संदेश। । 
युति योग मंगल रवि,राजतंत्र अधिभार। 
मद सत्ता धारक सभी,तंत्र लोक अभिसार। । 
............................................................
चार पाँच ग्रह का बने,युति चार -गतिचार । 
वर्षा अथवा द्वंद से,आंदोलित संसार। । "

यह स्थिति 24 जून 2013 से 22 जूलाई 2013 के लिए घोषित की हुई है।

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23 जूलाई से 21 अगस्त 2013 तक के संबंध में वर्णन देखिये: 
"मा पूर्णिमा भौमवती,सुखद नहीं प्रतिचार । 
ऋतु कोप की आमना,पशु जन कष्ट निहार। । 
क्रूर वार तेजी करें,मावस भौम कुसंग। 
मंदी से तेजी बने, वस्तु विविध प्रसंग। । "

 
इस माह में 06 अगस्त -मंगलवार को अमावस्या तथा 20 अगस्त 2013 -मंगलवार को रक्षा बंधन की पूर्णिमा है। बुधवार 21 अगस्त को सूर्योदय प्रातः 06-17 पर और पूर्णिमा की समाप्ती 07-14 पर है किन्तु ढ़ोंगी-पाखंडी 'दान-पुण्य'के नाम पर बुधवार को अपनी कमाई की खातिर पूर्णिमा मनाने को कहेंगे तो क्या ग्रहों की चाल को भी थाम सकेंगे? 

12 अगस्त 2013 को पंचमी/षष्ठी रहेंगी। उदय तिथि की षष्ठी का क्षय है। परिणाम जानिए : 

"शुक्ल पक्ष श्रावण कभी, किसी तिथि का नाश।
     शासी नेता आपदा,भावी तीनों मास। । " 

अर्थात यह स्थिति 20 नवंबर 2013 तक के लिए बहुत पहले ही  घोषित की जा चुकी है।

 

 




 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

Thursday 4 July 2013

एक निर्दोष लड़की को माहौल बनाने के लिए मार डाला था ---शेष नारायण सिंह

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एक निर्दोष लड़की को माहौल बनाने के लिए मार डाला था इन लोगों ने

इशरत जहां के केस में अब चार्जशीट दाखिल हो गयी है .चर्चा रहेगी . मैंने भी उस लड़की के न्याय के लिए चलाये गए अभियान के बारे में कई बार लिखा था. जैसी कि परम्परा है . अगर नरेन्द्र मोदी की सरकार के किसी लेख में कहीं कोई खामी उजागर कर दी जाए तो उनकी कंप्यूटर  सेना के लोग टूट पड़ते हैं . मेरे किसी लेख को 'विस्फोट 'ने छाप दिया था तो मुझे गालियों से विभूषित किया गया था . यह सितम्बर २००९ का लेख है . उस लेख पर आयी एक टिप्पणी का मैंने जवाब दिया था . आज उसी टिप्पणी और अपने जवाब को पेस्ट कर रहा हूँ . शायद किसी काम आ सके .

kumar Dev on 11 September, 2009 10:27;28

शेष महोदय आप तो नाग से भी ज्यादा जहरीली बात कह रहे है, तरस आता है आपकी मानसिकता पर आप इतिहासकार है तो इतिहास ही पढाइए ना इधर आकर लिखने से पहले 2 सितम्बर को मेराज ( मुंबई ) में हुए गणेशउत्सव में बने पंडालों और झांकियों पर मुस्लिम समुदाय के द्वारा किये गये तोड़ फोड़ और फैलाए गये दंगों पर गहन चिंतन कीजिये और मुर्शिदाबाद में कुछ महीनों पहले पहले मुस्लिम समुदाय द्वारा निरीह समुदाय के लोगो को पीटना और उनका कत्ल कर देना क्या आपको नहीं दीखता की मऊ में हुए दंगों की चीख आपको नहीं सुने देती I
रही बात इशरत जहां के बारे में तो ये कांग्रेस ( सेकुलर ) सरकार ने भी स्वीकार किया है की उसके आतंकवादियों से संबंध थे तो फिर इसमें फर्जीपना कहाँ था, किसी बिषबेल को पनपने से पहले ख़त्म कर देना समझदारी है या आपकी तरह उसकी तरफदारी करना l
पता नहीं आप जैसे ( सेकुलर या कांग्रेस भक्त ) लोगो को मोदी जी या गुजरात की भाजपा सरकार का नाम सुनते ही खुजली क्यूँ होने लगती I शायद आप ऐसा लेख नहीं लिखते अगर यही घटना किसी कांग्रेस शासित राज्य में हुई होती I
और हाँ आपसे निवेदन ( आप जैसों से निवेदन करने में भी ग्लानी महसूस होती है ) है कभी बुंदेलखंड के बेबस किसानों की आत्महत्या, उड़ीसा के आदिवासियों की भुखमरी, नक्सल समस्या पर भी लेख लिख लीजिये I
मैं आपके लिए ऊपरवाले से यही दुआ करूँगा की किसी बम के धमाके में आपका कोई अपना भी आहत हो तभी आपकी ये "टें पें" खत्म होगी I आप जैसे इतिहांसकारों की वजह से ही हमारी ये पीढ़ी इस देश को कायर समझती है I
" जय जवान जय किसान जय विज्ञान और जय भगवान् "

शेष नारायण सिंह on 11 September, 2009 17:07;35

इस लेख पर ज़्यादातर टिप्पणियाँ ऐसी हैं जो भावनाओं के उद्वेग में लिखी गयी हैं. किसी की भी भावनाओं की मैं कद्र करता हूँ वे चाहे जितनी अज्ञानता में की जाएँ. भावनाओं को तर्क की कसौटी पर कसना ठीक नहीं है लेकिन श्री कुमार देव नामक विद्वान् ने जो बातें उठायी हैं वे गंभीर हैं. उनका जवाब दिया जाना चाहिए क्योंकि फासिज्म कहीं भी हो उसका विरोध किया जाना चाहिए. पहली बात तो यह कि अगर मुसलमानों ने भारत के कई स्थानों पर तोड़ फोड़ की हैं तो उसकी सज़ा उनको मिलनी चाहिए , उसका बदला इशरत जहां से लेने की बात को सही मानना वैसा ही है ,जैसे फासिज्म के गुरु हिटलर ने गरीब यहूदियों को मार कर लिया था. जहां भी, जो भी ग़लती करे उसको वहीं सज़ा मिलनी चाहिए और अगर कांग्रेस ने किसी को आतंकवादी कह दिया है तो उसको आतंकवादी मान लेना कहाँ तक सही है. इशरत के साथियों को कांग्रेसी सरकार के गृह मंत्रालय ने आतंकवादी कह दिया है तो बिना न्यायिक समीक्षा के कोई उसे सही माने, तो वह उसकी समस्या है .यह कहाँ लिखा है, कांग्रेस जो कहेगी सच ही कहेगी .आप उसे सच मानते हैं तो मान ले. मैं तो गुजरात के न्यायिक अधिकारी , तमांग की रिपोर्ट के आ़धार पर अपनी बात कह रहा हूँ. उस रिपोर्ट की कॉपी मेरे पास है जिसमें कहा गया है कि चारों ही बच्चे निर्दोष थे और कोई भी पाकिस्तानी नहीं था.कांग्रेस शासित राज्यों के बारे में मैं लेख नहीं लिखता , यह आपको किसने बता दिया ? मेरा सारा लेखन विस्फोट .कॉम पर नहीं छपता.अगर आप सारा पढना चाहते हैं तो पढें . मैं दे दूंगा .लेकिन मुझे नहें लगता कि आप बहुत खुश होंगें .. मैं मूल रूप से फासिज्म का विरोधी हूँ और इन्सान से नफरत करने वालों के लिए इश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि ऐसे राह भटके लोगों को वह सद्बुद्धि दे...मैंने बुंदेलखंड के अलावा विदर्भ के किसानों के बारे में भी लिखा है जहां तथाकथित सेकुलर कांग्रेस का राज है. और आप भी कृपया नोट कर लें कि वह काग्रेस सेकुलर नहीं हो सकती जिसके नेताओं ने १९८४ में दिल्ली में सिखों को अपनी निगरानी में मरवाया हो. एक बात और बताना ज़रूरी है कि अगर पत्रकारिता करनी है तो किसी पार्टी या नेता का अर्दली मत बनिए वर्ना चारण हो जायेंगें . नरेंद्र मोदी, सोनिया गाँधी, लालू यादव, मायावती, बाल ठाकरे, प्रकाश करात, लाल कृष्ण अडवाणी,शरद पवार , मुलायम सिंह यादव आप जैसे लोगों को तलाशते रहते हैं जो उनका जयकारा लगाएं . बाद में आपको उनके चौकीदार निकाल फेंकेंगें . इस लिए सच को सच कहने की आदत डालिए और उसे कहिये .जय जय कार करने पर कोई नरेन्द्र मोदी या सोनिया गाँधी आपको इज्ज़त नहीं देगा. इस्तेमाल करके फ़ेंक देंगें . इस लिए कबीर साहेब की बात हमेशा याद रखिये . आप ने फरमाया था .. कबिरा खडा बाज़ार में दोनों दल की खैर, ना काहू से दोस्ती ना कहू से बैर . और राजा की चापलूसी कभी मत करिए ,अपनी इज्ज़त ख़त्म हो जायेगी , ज़माना चापलूस कहेगा.


http://sheshji.blogspot.in/2009/12/blog-post_02.html 

इस लिंक पर प्रस्तुत लेख भी अवश्य ही पढ़ा जाना चाहिए। 




(वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक शेष नारायण सिंह जी के लिखे लगभग चार वर्ष पुराने नोट की हकीकत में अब पुष्टि हो गई है तब अब उन पर नाहक लांछन लगाने वाले मोदी समर्थकों को उनसे क्षमा-याचना करनी चाहिए)

संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

Monday 1 July 2013

मीडिया में अब मोदी मजाक का विषय बन गए हैं---शेष नारायण सिंह






(नरेंद्र मोदी एवं हज़ारे-केजरीवाल आंदोलनों का पर्दाफाश करके 'राष्ट्र-हित'का बहुत अनुकरणीय कार्य किया है शेष नारायण सिंह जी ने। उनको बहुत-बहुत धन्यवाद।आप वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक है। यह लेख उनके ब्लाग 'जंतर-मंतर' से साभार लिया गया है। )
 

Monday, July 1, 2013


नरेंद्र मोदी की प्रोपेगैंडा कंपनी ने एक बार इजरायल को दुनिया के नक्शे से मिटा दिया था

शेष नारायण सिंह

जून के तीसरे हफ्ते में उत्तराखंड की भयावह त्रासदी की खबर के आने के साथ  इंसानियत दहल उठी थी ,जिसने जहां सुना , वहीं सन्नाटे में आ  गया. चारधाम यात्रा का सीज़न था तो पूरे भारत से लोग उत्तराखंड के गढ़वाल इलाके में पंहुचे  हुए थे.जब भारी बारिश की खबर आयी तो तबाही इस हिमालयी इलाके के हर कण में आ चुकी थी. तीर्थयात्रा पर आये लोग और पर्यटक सभी मुसीबत से आमने सामने थे . भारतीय आपदा प्रबंधन तंत्र  हरकत में आ गया था, सेना बुला ली गयी थी, भारत तिब्बत सीमा पुलिस और आपदा प्रबंध के लिए तैयार की गयी फोर्स सब जुटे हुए थे . उत्तराखंड की सरकार समेत सभी सरकारें जिनके लोग यहाँ फंसे थे, चिंतित थीं . बचाव और राहत का कार्य युद्धस्तर पर चल रहा था. राज्य सरकारें भी सक्रिय हो गयी थीं. जिन यात्रियों को सेना के लोग बचाकर देहरादून तक ला रहे थे उनको उनके घर तक पंहुचाने में  राज्य सरकारें जुटी हुई थी और अपना काम कर  रही थी, . इस बीच खबर आयी कि  २१ जून की शाम को गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी देहरादून पंहुच गए हैं . उनेक वफादार टी वी  चैनलों में हाहाकार मच गया और इस तरह से ख़बरें आने लगीं कि बस अब मोदी जी पंहुच गए हैं सब कुछ ठीक हो जाएगा.  २३ जून की सुबह खबर चलना शुरू हो गयी  कि उन्होंने उत्तरखंड की दुर्गम पहाडियों में फंसे हुए १५,०००  गुजरातियों को तलाश लिया और उनको वापस गुजरात भेज दिया. मोदीत्व के प्रभाव वाले चैनलों की यह मुख्य खबर थी .किसी ने एक सेकण्ड के लिए भी नहीं  सोचा कि इस कारनामे को अंजाम देने के बारे में मोदी की पी आर एजेंसी से आयी हुई खबर को जांच परख कर चलाया जाए .लेकिन किसी ने कोई जांच पड़ताल नहीं की , कहीं कुछ नहीं हुआ और खबर धडाधड चलने लगी. नरेंद्र मोदी को एक बार फिर मीडिया ने हीरो के रूप में पेश कर दिया था . उनके समर्थकों ने फेसबुक पर तूफ़ान मचा दिया कि जो काम सेना की सारी ताक़त लगी होने के बावजूद नहीं हो सका  वह मोदी की उपस्थिति मात्र से हो गया .खबरों में बताया गया कि मोदी के साथ ८० इनोवा कारें थीं. मीडिया में शुरू के दो दिन तो यह भी ख़बरें चलाई गयीं कि मोदी जी के साथ कई विमान भी थे, २५ वातानुकूल बसें थीं और कुछ बहुत ही काबिल अफसर थे  .किसी ने नहीं पूछा कि भाई जब उन दुर्गम इलाकों में फंसे लोगों को निकालने के लिए सेना , रस्सी के पुल बनाकर , एक एक करके लोगों बचाने की कोशिश कर रही थी तो इनकी इनोवा कारें कैसे वहाँ पंहुच गयीं . बाद में देश के लगभग सभी अखबारों में यह छपना शुरू हो गया कि  मोदी ने ऐसा कुछ नहीं किया था. यह केवल उनका मीडिया मैनेजमेंट था जिसके कारण यह प्रचारित कर दिया गया था. बाद में मीडिया के ज़रिये देश को पता चला कि जब सड़कें तबाह नहीं हुई थीं तो देहरादून और केदारनाथ के बीच की दूरी २२१ किलोमीटर थी. अब तो वह एक महाप्रलय का  क्षेत्र है . वहाँ इनोवा क्या ,आदमी पैदल नहीं पंहुच सकता लेकिन मोदी के पी आर प्रबंधकों ने एक ऐसा काम कर दिखाया और मोदी को महामानव साबित करने के अपने प्रोजेक्ट पर इतना जोर दे दिया कि एक हास्यास्पद स्थिति पैदा हो गयी .बाद में तो सबको पता लग गया कि यह १५००० लोगों को बचाने वाला भी कारनामा ठीक वैसा है जिस तरह नरेंद्र मोदी को विकास का महानायक बताया जाता है जबकि पहले से विकसित गुजरात राज्य को उन्होंने विकास के हर पैमाने पर कई राज्यों से पीछे धकेल दिया है .बाद में तो बीजेपी के दिल्ली दफ्तर में ही १५००० वाला केस मजाक का विषय बना दिया गया .मीडिया में अब मोदी मजाक का विषय बन गए हैं .देश के अंग्रेज़ी के सबसे बड़े अखबार ने लिखा है कि हर क्षेत्र में मोदी का बखान बड़ी बड़ी बातें और ब्लफ़ के ज़रिये किया जाता है लेकिन हिमालय में उनकी बहादुरी के बारे में बोला गया यह झूठ शुद्ध रूप से बेशरम झूठ है .
 अब बातें पब्लिक डोमेन में आ रही हैं .धीरे धीरे पता चल रहा है कि नरेंद्र मोदी की असफलताओं के बावजूद मीडिया उनको क्यों हीरो के रूप में पेश करता है .उन्होंने एक अमरीकी प्रचार एजेंसी को गुजरात सरकार की छवि चमकाने के काम में लगा रखा है .सरकार की छवि चमकाने के लिए उस एजेंसी को नरेंद्र मोदी की छवि भी चमकानी पड़ती है .यह एजेंसी है ऐपको वर्ल्डवाइड .अमरीका की यह कंपनी लाबीइंग उद्योग की सबसे बड़ी कंपनी है . अपने परिचय वाले ब्रोशर में इस कंपनी ने लिखा है कि ऐपको वर्ल्डवाइड  सरकारों ,राजनेताओं ,और बहुत बड़ी कंपनियों को प्रोफेशनल और दुर्लभ सेवा उपलब्ध कराती है .इसकी स्थापना १९८४ में मार्जारी क्रॉस ने किया था . उस वक़्त की दुनिया सबसे बड़ी वकीलों की फर्म आर्नाल्ड एंड पोर्टर की एक सहायक कंपनी के रूप में ऐपको वर्ल्डवाइड ने काम शुरू किया . इसके नाम के पहले दो अक्षर ए और पी भी अपनी मुख्य कंपनी के नाम से  ही लिए गए हैं .आर्नल्ड एंड पोर्टर इजरायल की सबसे बड़ी  फर्म है . अमरीका और दुनिया भर में इजरायल को  बहुत ही पवित्र देश के रूप में पेश करने के अपने प्रोजेक्ट के  चलते ऐपको वर्ल्डवाइड और उनकी मालिक कंपनी आर्नल्ड एंड पोर्टर ने इसलाम को बहुत ही खूंखार रूप में पेश कर रखा है .
ऐपको वर्ल्डवाइड पूरी दुनिया में युद्ध को बढ़ावा देने का काम करती है . इसके पास ऐसे हज़ारों लोग काम करते हैं जो युद्ध को बढ़ावा देते हैं . इस कंपनी के मुख्य उद्देश्यों में  हथियारों की अधिक से अधिक बिक्री करवाना शामिल है क्योंकि हथियार लाबी के बड़े खिलाड़ियों के लिए यह काम करते हैं . यह श्रीलंका की सरकार के साथ भी है और इजरायली खुफिया एजेंसी  मोसाद के ज़रिये तमिल आतंकवादियों को भी ट्रेनिंग दिलवाती है . दोनों को जो हथियार  मिलते हैं वे सब एप्को वर्ल्डवाइड के मुवक्किलों के कारखानों में ही बनते हैं .यहूदीवाद के समर्थक बहुत सारे संगठन ऐपको वर्ल्डवाइड के सहयोगी हैं और उसके साथ व्यापारिक रिश्ते रखते हैं . ऐपको वर्ल्डवाइड  का हेरिटेज फाउन्डेशन , फ्रंटियर आफ फ्रीडम , जेविश पालिसी सेंटर आदि से बहुत ही करीबी सम्बन्ध है . इराक और इरान पर अमरीकी नीतियों पर ऐपको वर्ल्डवाइड का भारी असर है. अमरीका और यूरोप में इस्लाम को डरावना साबित करके ही इस कंपनी ने इराक के युद्ध के पक्ष में माहौल बनाया था . उस दौर में अमरीकी राष्ट्रपति जार्ज बुश और ब्रिटिश प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर को ऐपको वर्ल्डवाइड की मदद मिल रही थी. इराक पर हमले के बाद एप्को वर्ल्डवाइड  ने अमरीकी ठेकेदारों को इराक के पुनर्निर्माण के बड़े बड़े ठेके दिलवाए. ऐपको वर्ल्डवाइड के काम के बारे में कहा जाता है कि वह ऐसी लाबीइंग फर्म है जो सांसदों, विधायकों और कानून बनाने वालों को प्रभावित करके कंपनियों को लाभ पंहुचाती है . यह ऐसी कंपनी है जो सरकारों के क़ानून भी अपने मुवक्किलों के हिसाब से बनवा देती है.  यह  फर्जी एन जी ओ और अन्य स्वयंसेवी  संगठनों की स्थापना भी करवाती है और अगर कोई  सरकार ऐपको वर्ल्डवाइड के मुवक्किल के पक्ष में काम नहीं कर रही है तो अपने कारपोरेट सहयोगियों से धन लेने वाले एन जी ओ संगठनों की मार्फ़त उन सरकारों के खिलाफ आंदोलन भी करवाती है  . जो लोग भारत में पिछले कुछ वर्षों से आये हुए आन्दोलनों की बाढ़ से अवगत हैं उनको इन एन जी ओ आन्दोलनों में भी कुछ इस तरह के  सन्देश नज़र आ सकते हैं . इस कंपनी में काम करने वाले या बाहर से सहयोग करने वालों में बहुत बड़े पत्रकार और वकील शामिल हैं . इरान पर हमला करने का जो औचित्य तैयार किया गया उसको इसी कंपनी में काम करने वाले  दो  वकीलों जेफरी स्मिथ और जान बेलिंजर ने लिखा था .अमरीकी नामी अखबार वाशिंगटन पोस्ट  ने उसे छापा भी था . साथ में यह भी बताया था कि उस लेख के लेखक कौन लोग हैं .इस शताब्दी की जो सबसे बड़ी अफवाह है  कि “ इजरायल दुनिया के नक्शे से गायब हो गया है “ने भी इसी कंपनी की कृपा से अमरीकी मीडिया में प्लांट किया गया था. इसका मकसद इरान पर हमला करवाना था .मलयेशिया के तत्कालीन उप प्रधानमंत्री,अनवर इब्राहीम के चरित्र पर लांछन लगवाकर उनको सत्ता से बेदखल करवाकर उनके राजनीतिक जीवन को चौपट करने का काम भी एप्को वर्ल्डवाइड ने ही  किया है . मलयेशिया की सरकार इनकी एक प्रमुख मुवक्किल है . अनवर इब्राहीम आजकल एप्को वर्ल्डवाइड के खिलाफ अपने देश में आंदोलन चला रहे हैं .
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इसी एप्को वर्ल्डवाइड को नरेंद्र मोदी की छवि को चमकाने के काम पर लगाया गया है .गुजरात सरकार इस काम के लिए बहुत बड़ी रकम भी दे रही है . एप्को वर्ल्डवाइड के ग्राहकों में मोदी के अलावा कई देशों के तानाशाह भी हैं . नाइजीरिया के तानाशाह सानी अबाचा और कजाखस्तान के आजीवन राष्ट्रपति  नुरसुल्तान अबिशुली नज़रबायेव भी एप्को वर्ल्डवाइड के मुवक्किल हैं .यही कंपनी नरेंद्र मोदी की पी आर एजेंसी है . हिमालय में मोदी के कारनामे का प्रचार जिस तरह से किया गया वह तो कुछ नहीं है .क्योंकि इरान पर हमला करवाने के लिए यही कंपनी “इजरायल को दुनिया के नक्शे से हटा भी चुकी है “और अमरीकी और इजरायली मीडिया ने इस खबर को उसी तरह से चलाया था जिस तरह से भारतीय मीडिया के एक  वर्ग ने बिना सोचे समझे प्रचार किया था कि नरेंद्र मोदी ने इनोवा कारों पर बैठाकर कुछ  ही घंटों में १५००० गुजरातियों को बीन बीन कर केदारनाथ से निकाल लिया था और उनको सुरक्षित उनके घरों पर पंहुचा दिया था  जबकि उस इलाके की सभी सड़कें भारी बारिश के कारण तबाह हो चुकी थीं.


 (संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर)