Thursday 27 December 2012

धिक्कार है ऐसे वक्तव्यों व प्रवचनों को ---विजय राजबली माथुर



महिला वैज्ञानिक बोलीं- लड़की छह लोगों से घिर गई थी तो समर्पण क्यों नहीं कर दिया?
Dainik Bhaskar News  |  Dec 27, 2012, 09:49AM IST

 http://www.bhaskar.com/article/MP-IND-delhi-gang-rape-woman-scientist-illogical-statement-4127693-NOR.html
 
खरगोन। पुलिस विभाग ने खरगोन में एक सेमिनार रखा। विषय था-महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता। लेकिन इसमें वक्ता जितने असंवेदनशील हो सकते थे, हुए। हैरत यह है कि इनकी सिरमौर रहीं एक महिला कृषि वैज्ञानिक। डॉ. अनीता शुक्ला। ये लायंस क्लब की अध्यक्ष भी हैं।
मंच से डॉ. अनीता शुक्ला ने दिल्ली सामूहिक दुष्कर्म मामले में पीडि़ता को ही जिम्मेदार ठहरा दिया। उन्होंने कहा- महिलाएं ही पुरुष को उकसाती हैं। डॉ. शुक्ला यहीं नहीं रुकीं। उन्होंने और भी सवाल उठाए। उनका सवाल था 10 बजे रात को लड़की घर से बाहर क्या कर रही थी? फिर कहा- ब्वॉय फ्रेंड के साथ रात को बाहर निकलेगी तो यही होगा। पुलिस कहां तक संरक्षण देगी। उन्होंने पीडि़ता के प्रतिरोध को भी उसका दुस्साहस बता दिया। उनका कहना था हाथ पांव में दम नहीं, हम किसी से कम नहीं। (पूर्व महिला सांसद ने दी नसीहत- तन ढंक कर रखें लड़कियां)
छह लोगों से घिरने पर लड़की ने चुपचाप समर्पण क्यों नहीं कर दिया। कम से कम आंते निकालने की नौबत तो नहीं आती। उन्होंने कानूनों की बात भी की। उनका निष्कर्ष था सुविधाओं और अधिकारों का महिलाओं ने गलत इस्तेमाल किया है। इसलिए ऐसे मामलों में पुलिस का रवैया बिलकुल ठीक है। असंवेदनशीलता का आलम यह रहा कि इस भाषण पर वहां मौजूद ज्यादातर अफसर मौन रहे।
लेकिन भास्कर ने रात को डॉ. अनीता से फिर बात की। पूछा कि पूरा देश जिस मामले को लेकर इतना संवेदनशील है, तब  आप ऐसा क्यों कह रही हैं? उन्होंने फिर वही बातें दोहराईं और कहा-देखिए, मेरी उस पीडि़ता के प्रति पूरी संवेदना है लेकिन ऐसी घटनाओं को महिलाएं ही समझदारी दिखाकर रोक सकती हैं।  सेमिनार में एडिशनल एसपी एसएस चौहान, एसडीओपी आरबी दीक्षित, एसडीओपी भीकनगांव कर्णसिंह रावत, सीएमएचओ डॉ. विराज भालके, खनिज निरीक्षक रश्मि पांडे, आरआई अनिल राय भी उपस्थित थे।

वे क्या बोलेंगी, इसकी स्क्रीनिंग कैसे करते
हमने सेमिनार में डॉ. शुक्ला को बुलाया था। वे क्या बोलेंगी इसकी कोई स्क्रीनिंग करना संभव भी नहीं था। उन्होंने निजी विचार व्यक्त किए। मंै उनसे सहमत नहीं हूं।
- एस.एस.चौहान, एडिशनल एसपी, खरगोन

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Giridhari Goswami अगर लडकी समर्पण कर देती तो उसका शारीरिक नुक्सान कम होता , इसे इसी रूप में लेना चाहिए. बोकारो में मोनिका का बलात्कार बीस लोगो ने किया पर उन्हें उतना नुक्सान नही हुआ जितना इस लड़की को हो रहा है. एक को छोड़ १७ आरोपी साजा भूगत रहे हैं.
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आज की ‘इस्तेमाल करो और फेंको’ की उपभोक्तावादी संस्कृति पूरा कर दे रही है। इसमें प्रचार माध्यमों की पूरी ताकत से पुरूषों को उकसाया जा रहा है कि औरतों के शरीर को दबोचो, वह तुम्हारे उपभोग की वस्तु है। औरत या लड़की महज शरीर मात्र है और वह तुम्हारे उपभोग के लिए है। और जब इस घृणित कारोबार का वीभत्स परिणाम सामने आता है तो वही कारोबारी ‘फांसी-फांसी’ को कोलाहल शुरू कर देते हैं।

बलात्कार और यौन हिंसा आज के पतित पूंजीवाद का हिस्सा है। यह कोई अपवाद या अतिरेक में बहाव नहीं है। इसीलिए इससे मुक्ति पूंजीवाद के खात्मे की मांग करती है। मजदूर वर्ग को, खासकर महिला मजदूरों को यौन हिंसा के मामले में भी अपनी क्रांतिकारी पहलकदमी प्रदर्शित करनी होगी और यौन हिंसा के लिए समूचे पूंजीवाद को कठघरे में खड़ा करना होगा।

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16 दिसंबर 2012 को दिल्ली के बसंत विहार क्षेत्र मे घटित जघन्य कांड पर जनांदोलन भी हो रहे हैं विभिन्न विद्वानों के विभिन्न विचार भी सामने आ रहे हैं और लोग उपाय भी सुझा रहे हैं। परंतु नितांत महत्वपूर्ण तथ्य को सभी पक्ष नज़र अंदाज़ करते जा रहे हैं। लगभग  1300 वर्षों पूर्व विदेशियों द्वारा हमारे देश की सभ्यता-संस्कृति को विकृत रूप मे पेश करने का जो अभियान चला था वह आज पक्का पौराणिक आख्यान बन चुका है और उसी के कारण समाज का निरंतर पतन होता जा रहा है,नैतिक मूल्य लगभग नष्टप्राय हैं। 

जगह-जगह भागवत प्रवचनों मे मिथ्या पाठ पढ़ाया जा रहा है कि,श्री कृष्ण गोपियों के वस्त्र हरण कर 'कदंब' पर चढ़ गए और उनको यमुना से बाहर निर्वस्त्र आने पर बाध्य कर दिया । वृन्दावन मे तो रास-लीला बाकायदा बड़ी धूम-धाम से चलती है। 
इसी प्रकार राम द्वारा स्वर्ण नखा (सूपनखा)को विवाह हेतु लक्ष्मण के पास और लक्ष्मण द्वारा राम के पास भेजने के कुत्सित प्रसंग विदेशी षड्यंत्र हैं। 
किन्तु ढ़ोंगी-पाखंडी लोग इन खुराफ़ातों को धर्म के रूप मे पेश करते हैं जिनको व्यापार जगत के दान से प्रोत्साहित किया जाता है। अतः 'हस्तक्षेप'मे व्यक्त आह्वान एक सार्थक पहल है। लेकिन इसी के साथ-साथ पोंगा-पंथ के विरुद्ध भी जनता को जाग्रत करने की आवश्यकता है। तथा कथित 'बापुओं' 'सन्यासियों' की पोल खोलने की आवश्यकता है और 'कुम्भ स्नान' के नाम पर हो रहे जनता के मानसिक शोषण के विरुद्ध भी आवाज़ बुलंद करने की ज़रूरत है। 
लेकिन दुर्भाग्य से प्रदेश व केंद्र सरकारें इस प्रकार के ढोंग-पाखंड को कारपोरेट के दबाव मे सहयोग व समर्थन दे रही हैं। जनता गुमराह है उसे 'सन्मार्ग' दिखाने वाला कोई 'नेतृत्व कारी तत्व' नज़र नहीं आ रहा है। यदि कोई पाखंड-आडंबर-ढोंग के विरुद्ध आवाज़ बुलंद करता है या लेखनी चलाता है तो उसे 'धार्मिक भटकाव' कह कर तथाकथित प्रगतिशील हतोत्साहित करते हैं और ढ़ोंगी तो प्रबल प्रहार करते ही हैं। 

यदि समाज से चरित्र हीनता को समाप्त करना है तो गलत को गलत कहने का साहस जुटाना ही होगा अन्यथा थोथे शोर गुल व हुल-हपाड़े से कुछ नहीं होने वाला है।











Wednesday 26 December 2012

वार पाँच गुरुदेव के,नीति न्याय अवरोध---विजय राजबली माथुर



आजकल एक फैशन चला हुआ है जिसके तहत क्या विज्ञानवादी क्या प्रगतिशील सब ज्योतिष विज्ञान की निंदा व आलोचना करके अपनी पीठ थपथपाते रहते हैं। पोंगापंथी-ढ़ोंगी-आडंबरवादी और कारपोरेट समर्थक इनकी हौसला अफजाई करते रहते हैं जिससे कि वास्तविकता जनता के समक्ष आने ही न पाये वरना उल्टे उस्तरे से जनता को मूढ़ने का धंधा जो चौपट हो जाएगा।
16 दिसंबर को घटित दुर्भाग्यपूर्ण जघन्य कांड और उसके बाद प्रस्फुटित जनाक्रोश,हिंसा-प्रतिहिंसा सब कुछ अनायास ही नहीं हो गया। यदि 'ज्योतिष विज्ञान' के आंकलनों पर ध्यान दिया जाता खास कर केंद्रीय व राज्य सरकारों के खुफिया विभाग इन पर नज़र रख कर बचाव के उपाय करते तो इतनी हानि,व सरकारों की बदनामी न होती। संभवतः अपराधी भी अपराध से पूर्व ही पकड़ मे आ जाते।

लेकिन हाल ही मे एक वैज्ञानिक संगठन के नव नियुक्त प्रदेशाध्यक्ष ने अपने ब्लाग के माध्यम से फतवा जारी किया है कि ज्योतिष के आंकलन 100 प्रतिशत झूठे होते हैं। IBN7 का एक कारिंदा तो अप्रैल 2012 से लगातार ज्योतिषीय आंकलनों को गलत ठहरा ही रहा था। ऐसे ही लोग ऐसे वीभत्स कांडों पर सरकारों पर प्रहार करने मे अग्रणी हैं। पीड़ितों को राहत पहुंचाने से इनको कोई सरोकार नहीं है इनको अपने व्यापार/धंधे को चमकाने की पड़ी रहती है। अतः ये लोग पोंगापंथ और ढोंग तथा आडंबर और उत्पीड़न का विरोध न करके 'धर्म' और 'ज्योतिष विज्ञान' पर प्रहार करते हैं।

'चंड मार्तंड' निर्णय सागर पंचांग के पृष्ठ-46 पर स्पष्ट उल्लेख (29 नवंबर से 28 दिसंबर 2012 की अवधी के लिए)मिलता है----
"चार पाँच ग्रह का बने,युति चार गति चार। वर्षा अथवा द्वंद से आंदोलित संसार। ।
हिम प्रपात -पर्वत पतन,ऋतु कोप अधिचार। निर्णय गणना गोचरी ,लहर शीत संचार। ।
वार पाँच भ्रगुदेव के,भौतिक पंथ अपार। वस्तु सुगंधी-गंध की,भाव तेज उच्चार। ।
देश-दिशा पश्चिम विषय,विग्रह प्रांत विरोध। वार पाँच गुरुदेव के ,नीति न्याय अवरोध। ।
चक्रवात आंधी पवन,सागर देश विदेश । संहारक रचना गति ,जन धन मध्य विशेष। ।
संम सप्तक गुरु शुक्र का,वृषभ वृश्चिकी सार। भाषा मुद्रा न्याय हित ,नहीं सुखद संचार। ।
आरक्षण शिक्षण विषय ,शासन तंत्र प्रहार। आंदोलित जन साधना ,निर्णय कथन विचार। ।
चलन कल न गुरु मंद का,षडष्टाकी अभिसार। पद लोलुप नायक सभी,राज काज व्यापार। ।
शांति विश्व मे न्यूनता,कूटनीति विस्तार। संधि लेख की शून्यता ,अस्त्र शस्त्र प्रतिभार। । "  

11 दिसंबर 2012 को शुक्र के वृश्चिक राशि मे प्रवेश के साथ ही चार ग्रहों का जमावड़ा हो गया था जिसके परिणामस्वरूप 'आरक्षण' के पक्ष-विपक्ष मे आंदोलन चला। फिर 16 दिसंबर कांड के विरोध मे जनता आंदोलित रही। पाँच ब्रहस्तिवार के योग से दिल्ली व केंद्र सरकारें नीति-न्याय का पालन नहीं कर सकीं। यदि 'ज्योतिष' की आलोचना न होती और खुफिया तंत्र इंनका उपयोग नीति-निर्धारण मे करते हुये सावधानी बरतता तो जो नुकसान हुआ उससे बचा जा सकता था। अतः ज्योतिष की वैज्ञानिकता को नकारने वाले तथाकथित वैज्ञानिक संगठनों के बड़बोले प्रवक्ताओं एवं थोथे  प्रगतिशील लोगों को वर्तमान संकट हेतु उत्तरदाई ठहराया जाना चाहिए।    

 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

Monday 24 December 2012

दवा,इलाज और भ्रम ---विजय राजबली माथुर

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http://www.livehindustan.com/news/editorial/subeditorial/article1-story-57-116-292305.html

आज के हिंदुस्तान मे प्रकाशित यह सम्पाद्कीय एक बहुत महत्वपूर्ण विचार को सामने लाता है कि,"चिकित्सा विज्ञान आज भी कई अर्द्ध सत्यों,भ्रमों,विश्वासों व अंध विश्वासों के सहारे चल रहा है।"

लगभग 25 वर्ष पूर्व एक होम्योपेथी  चिकित्सक डॉ डी मिश्रा से परिचय हुआ था। वह पहले पाईलेट आफ़ीसर थे और लंदन से नौकरी के दौरान होम्योपेथी चिकित्सक की डिगरी उन्होने प्राप्त कर ली थी। उनके पिताश्री होटल क्लार्क शीराज,आगरा मे जेनेरल मेनेजर रह चुके थे और तब फ़ालिज से पीड़ित थे। उनकी देख-रेख के नाम पर डॉ साहब ने नौकरी छोड़ कर प्रेक्टिस करनी शुरू कर दी थी। उनके कम्पाउंडर के पिता का बंगलोर मे देहांत होने पर भी छुट्टी देने की शर्त कोई बदले मे आदमी देने की उन्होने लगा दी थी। वह कम्पाउंडर हमारे एक परिचित डॉ साहब के मित्र थे जो नगर निगम मे शिक्षक भी थे । उस एक सप्ताह मे उनके स्थान पर मुझसे डॉ साहब को मदद देने को हमारे परिचित डॉ साहब के अनुरोध पर मैं उनके यहाँ जाता था।

एक रोज़ मेहरा आफ़सेट प्रेस के मालिक श्याम मेहरा साहब अपनी पत्नी की दवा लेने के बाद डॉ मिश्रा से बोले जो उनके लायन्स क्लब के साथी भी थे कि उनको चक्कर लग रहे हैं। मिश्रा जी ने मुझसे कहा कि माथुर साहब श्याम बाबू को BG की एक डोज़ दे दो। BG=ब्लैंक ग्लोबुल्स =सादी गोलियां। उनको तुरंत कार ड्राईव करने से रोकने हेतु दो मिनट तक गप्पें करके डॉ साहब ने पूछा श्याम बाबू कुछ राहत है वह बोले थोड़ी सी। डॉ साहब ने और रोक लिया फिर पाँच मिनट बाद पूछा तो मेहरा साहब बोले आपका  डायगनोज बढ़िया है अब बिलकुल ठीक हूँ। उनके जाने के बाद मैंने डॉ साहब से पूछा कि सादी गोलियों से मेहरा साहब को फायदा कैसे हो गया। डॉ साहब बोले जैसी बीमारी वैसी दवा उनको वहम  था जो दवा के धोखे से ठीक हो गया। चूंकि उनको कोई बीमारी थी ही नहीं तो दवा क्यों देते लेकिन वहम  तो दूर करना ही था। 

अच्छे एलोपेथी डॉ भी इस प्रकार का सहारा लेते हैं। इनके अतिरिक्त प्रार्थना-स्तुति का भी मरीज पर व्यापक प्रभाव पड़ता है और वे शीघ्र स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर लेते हैं। कैंसर तक के दो मरीजों को जिनको डाक्टरों ने घबड़ा दिया था मैंने स्तुति के सहारे से ठीक होने मे मदद  दी फिर डॉ भी संतुष्ट हुये। लेक्न हाल ही मे एक वैज्ञानिक संस्था के नव नियुक्त प्रदेशाध्यक्ष ने ज्योतिष और स्तुति की कड़ी आलोचना करते हुये अपने ब्लाग मे लिखा है कि ज्योतिष 100 प्रतिशत झूठा है। वस्तुतः ये लोग कारपोरेट कंपनियों के इशारे पर अपने व्यक्तिगत आर्थिक हितों के संरक्षणार्थ लोगों को गुमराह करते हैं और उनको वास्तविक इलाज नहीं मिलने देना चाहते हैं। ऐसे लोग अपने छुद्र स्वार्थ की खातिर आम लोगों को उल्टे उस्तरे से मूढ़ते हैं।


संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

Saturday 22 December 2012

2010 मे ही प्रलय की भविष्यवाणी को झूठा कहा था ---विजय राजबली माथुर

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हिंदुस्तान,लखनऊ,22-12-2012


 हिंदुस्तान,लखनऊ,22-12-2012मे रूस के 'पिट्सबर्ग  पोस्ट गैजेट का यह समाचार देख कर ताज्जुब नहीं हुआ। मैंने तो मई 2010 मे लखनऊ के एक छोटे समाचार पत्र मे प्रकाशित अपने लेख मे विस्तृत रूप से प्रलय की थोथी  भविष्यवाणी को झूठा सिद्ध कर दिया था। वही लेख ब्लाग-'क्रांतिस्वर' मे 24 व 26 सितंबर 2010 को दो किश्तों मे भी दिया था। उसका पुनर्प्रकाशन भी ब्लाग मे 27 अक्तूबर 2012 को दे दिया था। 
  • Sudhakar Adeeb Vijai RajBali Mathur भाई ! धन्यवाद । आपसे हम जैसों को बड़ी प्रेरणा मिलती है । कथित प्रलय के बाद की सच्ची शुभकामना ।
  • Vijai RajBali Mathur धन्यवाद अदीब साहब हमारी कोशीश तो सच्ची बातों को सामने लाने की ही रहती है,आपने समझा उसके लिए आभारी हूँ।
http://krantiswar.blogspot.in/2012/10/blog-post_27.html
संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

Monday 17 December 2012

हार्ट/डायबिटीज़ उपचार---विजय राजबली माथुर

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हिंदुस्तान,लखनऊ,28-11-2012


 आधुनिक चिकित्सा विज्ञान-एलोपेथी  पर नाज़ करने वाले उपरोक्त समाचार पर क्या प्रतिकृया देंगे?

आइये हम आपको सरल उपचार बताते हैं जो पूर्ण रूप से निरापद हैं। ---

हार्ट संबंधी रोगों से बचाव एवं हृदय की मजबूती के लिए भोजन करने के तुरंत बाद सबसे पहले 'मूत्र विसर्जन' करना चाहिए उसके कम से कम आधा घंटे बाद ही जल ग्रहण करना चाहिए।
यदि हार्ट रोगी पहले से हैं तो 'अर्जुनारिष्ट' दो-दो चम्मच दोनों वक्त भोजनोपरांत जल मिला कर सेवन करें। ज़्यादा पुरानी तकलीफ है तो 'मृग शृंग भस्म' को शहद के साथ सेवन करें।

लो ब्लड प्रेशर,हाई ब्लड प्रेशर,हार्ट,दमा,मानसिक चिंताओं के निवारण हेतु इस मंत्र का प्रयोग 9,18,27 या 108 बार आवश्यकतानुसार पश्चिम दिशा मे मुंह कर धरती से इंसुलेशन बना कर अर्थात ऊनी शाल/कंबल/लकड़ी का तख़्ता या पोलीथीन शीट पर बैठें। ---

ॐ भू :ॐ भुवा: ॐ स्व :ॐ तत्सवितुर्वरेण्यम भर्गो देवस्य धीमहि। ॐ धियों यो न : प्रचोदयात। ।

यदि एलोपेथी दवाओं के सेवन से डायबिटीज़ के शिकार हो गए हैं या अन्य किसी कारण से तब उपरोक्त मंत्र मे इस प्रयोग को करें---

ॐ .... भू :....... भुवा: ........    स्व :....  तत्सवितुर्वरेण्यम भर्गो देवस्य धीमहि। .....  धियों यो न : प्रचोदयात। ।

खाली स्थानो पर तालिया बजाएँ-3,9,18,27,108 के क्रम मे जैसी आवासयकता हो उतनी-उतनी तालियाँ खाली स्थान पर बजाएँ।
इन उपचारों से किसी प्रकार की हानि या रिएक्शन नहीं होगा।





 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

Monday 10 December 2012

डॉ मोहन श्रोत्रिय जी का सफ़ेद झूठ

Mohan Shrotriya shared Nishtha Sharma's photo.
मेरी दोहिती निष्ठा, जिसकी कविता को बहुत सराहा था, आप में से अधिकांश मित्रों ने.
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Nishtha Sharma

 Went to delhi public school bangalore eastLives in Bangalore, IndiaBorn on October 20, 1995Female


मेरी दोहिती निष्ठा ने बंगलोर से भेजी यह शुभकामना-कविता, अपने नाना के जन्मदिन पर. चौदह बरस की निष्ठा नवीं कक्षा में पढ़ती है, डीपीएस, बंगलोर में. वह टेग नहीं कर पाई तो उसने मेल का सहारा लिया.
 
"The sixth of December
A very special day
As a very special person
Was born on this day

there is joy in our hearts
And smiles on our faces
Wishes on Facebook


From many different places

Happy birthday dear nana
May all your wishes come true
And this day be amazing
And as special as you."
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डॉ श्रोत्रिय के अनुसार निष्ठा 14 वर्ष की अर्थात उसका जन्म 1998 में हुआ लेकिन खुद निष्ठा ने अपना जन्म वर्ष फेसबुक पर 1995 घोषित किया हुआ है। 

अर्थात डॉ श्रोत्रिय सफ़ेद झूठ बोल रहे हैं। उनका दावा है कि वह साम्यवाद के शिक्षक भी रहे हैं। उनके झूठ के आधार पर प्रशिक्षित उनके शिष्य निश्चय ही साम्यवाद का प्रचार-प्रसार करने मे विफल रहे हैं। इसी कारण ये लोग वास्तविक धर्म='सत्य,अहिंसा (मनसा,वाचा,कर्मणा),अस्तेय,अपरिग्रह और ब्रह्मचर्य' का विरोध करके ढोंग-पाखंड-आडंबर को धर्म की संज्ञा देकर 'शोषण-उत्पीड़न'को परिपुष्ट करते हैं।  





संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

Tuesday 4 December 2012

प्रधान मंत्री का चयन विदेश से होगा ---विजय राज बली माथुर

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हिंदुस्तान,लखनऊ,दिनांक-03/12/2012 ,पृष्ठ-14
एक लंबे अरसे से अमेरिकी मीडिया राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी को अगले प्रधानमंत्री के लिए अपनी पसंद बताता रहा है। अब ब्रिटिश मीडिया ने भी चिदम्बरम और मोदी का नाम प्रस्तुत कर दिया है। इस संबंध मे विस्तृत विवरण हिमांशु कुमार जी ने अपने ब्लाग पर दिया है-
http://dantewadavani.blogspot.in/2012/12/blog-post_3.html 

हिमांशु जी का विश्लेषण सटीक और व्यवहारिकता को दर्शाता है। 

साम्राज्यवादियो ने भारत विभाजन सांप्रदायिकता के सहारे से अपने हितों हेतु ही करवाया था और शुरू से ही पाकिस्तान तो उनके खुले चंगुल मे चला जबकि भारत मे लोकतन्त्र का आवरण रखा गया। नेहरू जी साम्राज्यवादियो की पसंद थे किन्तु शास्त्री जी नहीं इसी लिए उनको मार्ग से हटा दिया गया। दोबारा सत्ता मे आने के बाद इन्दिरा जी भी खुल कर साम्राज्यवादियो के हितों का संरक्षण करती रहीं,उनके बाद भी साम्राज्यवादियो को कोई दिक्कत न हो इस हेतु अपने शिष्य आतंकवादियों के सहारे से उनकी हत्या करा दी गई जिससे उनके पुत्र राजीव जी सहानुभूति की लहर पर सवार होकर सुगमता से सत्तासीन हो गए जिन्होने सरकार को एक कारपोरेट उद्योगपति के रूप मे  ढाल दिया।उनकी भी  हत्या अपने शिष्य आतंकवादियो  के सहारे से करने के बाद नरसिंघा राव जी के लिए रास्ता बन सका जिनको वित्तमंत्री मनमोहन जी को बनाना पड़ा पूरी स्वतन्त्रता के साथ पद से हटने के बाद उन्होने अपने THE INSIDER मे  कुबूल किया कि हम स्वतन्त्रता के 'भ्रम जाल 'मे जी रहे हैं।

वी पी सिंह,देवगौड़ा और गुजराल सरकारों का पतन साम्राज्यवादियो ने कारपोरेट घरानों की मदद से करा दिया।एन डी ए शासन यद्यपि साम्राज्यवादियों के लिए मुफीद रहा किन्तु जनता मे वह अलोकप्रिय  होने के कारण यू पी ए को साम्राज्यवादियों  का समर्थन मिल गया जबकि परिवर्तन दिखाने को उसे बामपंथी समर्थन हासिल करना पड़ा। फिर निर्लज्जता के साथ बामपंथियों को हटा कर खुले रूप मे साम्राज्यवादियों के हितार्थ परमाणु सम्झौता किया गया। 

आज जब यू पी ए /एन डी ए अलग-अलग बोतल मे एक ही शराब हो चुके हैं इनके एक-एक प्रतिनिधि को भारत के प्रधानमंत्री हेतु विदेशी मीडिया के जरिये प्रस्तुत किया जा रहा है। 

चूंकि सोनिया जी खुद और अपनी किसी संतान को प्रधानमंत्री नहीं बनाना चाहती हैं जैसा कि उनके अपने पीहर वाले भी चाहते हैं। इसलिए मनमोहन जी के बाद चिदम्बरम साहब का नाम उभरा है। चिदम्बरम साहब सोनिया जी के बहुत पुराने वफादार भी हैं। राजीव जी के शासन मे जब उनके ममेरे भाई अरुण नेहरू साहब ने गृह-मंत्री के रूप मे सोनिया जी की फाईल सी बी आई से तैयार कारवाई थी तब उनको हार्ट अटेक पड़ने पर गृह-राज्यमंत्री के रूप मे चिदम्बरम साहब ने राजीव जी को वह फाईल दिखा दी थी जिसके बाद अरुण नेहरू साहब का मंत्रालय बादल दिया गया था। विभिन्न सरकारों मे वित्तमंत्री के रूप मे वह साम्राज्यवादियों के हित-साधन करते रहे है इसलिए उनकी पसंद भी है और सोनिया जी की भी। 

साम्यवादियों-बामपंथियों का इस समय यह गुरुतर दायित्व है कि वे राष्ट्र-हित मे देश की जनता को जाग्रत करके अपने नेतृत्व मे सरकार गठन का प्रयास करे न कि किसी अन्य को समर्थन दे।   






 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर