Friday 21 September 2012

फेसबुक का सार्थक सदुपयोग



लखनऊ,20 सितंबर 2012,आज प्रातः 10-30 बजे 22 क़ैसर बाग ,भाकपा के
प्रदेश कार्यालय पर भाकपा,माकपा,फारवर्ड ब्लाक और जन संघर्ष मोर्चा के नेता गण एवं कार्यकर्ता एकत्र होकर झंडे,बैनर एवं नारे लिखी तख्तियाँ लेकर एफ डी आई ,डीजल मूल्य वृद्धि एवं गैस सिलिंडरों मे कटौती के केंद्र सरकार के जन-विरोधी निर्णयों के विरुद्ध विभिन्न बाज़ारों मे जुलूस के रूप मे प्रदर्शन करते हुये पहुंचे। दूकानदारों ने स्वतः ही
अपने प्
रतिष्ठान बंद किए थे और जगह-जगह जुलूस का अभिवादन व स्वागत किया। प्रेस फोटोग्राफरों एवं विभिन्न चेनलों के प्रतिनिधियों मे जुलूस की फोटोग्राफी करने की होड लगी हुई थी। कुछ चेनलों ने सीधे प्रसारण की भी व्यवस्था की हुई थी। जुलूस मे जो नारे लगाए गए उनमे प्रमुख थे-
जो अमेरिका का यार है ,वह देश का गद्दार है।
अमेरिका के दलाल,कमीशंनखोर-मनमोहन सिंह गद्दी छोड़।
रिटेल मे एफ डी आई ,नहीं चलेगा-नहीं चलेगा।
एफ डी आई,डीजल मूल्य वृद्धि-वापस लो,वापस लो ।
गैस सिलिंडरों मे कटौती -वापस लो,वापस लो।
वाल मार्ट -गो बैक,गो बैक।
बामपंथी मोर्चा -ज़िंदाबद,ज़िंदाबाद।
भाकपा,माकपा,फारवर्ड ब्लाक,जन संघर्ष मोर्चा -ज़िंदाबाद,ज़िंदाबाद।
भाकपा के राष्ट्रीय सचिव -अतुल अंजान,प्रदेश सचिव-डॉ गिरीश,सह-सचिव--डॉ अरविंद राज स्वरूप,इप्टा के प्रदेश सचिव -डॉ राकेश,भाकपा-लखनऊ के ज़िला मंत्री-कामरेड मोहम्मद ख़ालिक़,दोनों सह सचिव-कामरेड दिवेदी और कामरेड अवस्थी,कामरेड वीर बहादुर सिंह यादव, कामरेड विजय राज बली माथुर,फारवर्ड ब्लाक के प्रदेश अध्यक्ष -राम किशोर और उनके साथी राधेश्याम,सी पी एम के डॉ कश्यप और उनके साथी,जनसंघर्ष मोर्चा के दिनकर कपूर और उनके साथियों की उपस्थिती विशेष उल्लेखनीय थी।

आज के भारत बंद मे जनता और व्यापारियों का व्यापक सहयोग मिला जो यह बताता है कि मनमोहन सरकार की अमेरिका परस्त नीतियों के विरुद्ध आम जन काफी आक्रोशित है। आज पुलिस का भी रुख सहयोगात्मक था क्योंकि वे भी तो सरकारी नीतियों के दुष्परिणामों को भोग रहे हैं।

  • Shivkumar Choubey YE JARURI HAI
  • भूपट शूट ठीक हैं इस बार बंद तो स्वतःस्पूर्त था. क्या इनके पास देशी लुटेरों का कोई वैकल्पिक ढ़ांच हैं या नहीं. भाई हम भी विरोध के नाम विरोध तो कही नहीं कर रहे. हाँ मेरे पास तो वैकल्पिक चिंतन भी हैं. मैं उस अधर पर ही लिखता हूँ.
  • Madan Tiwary अभी जरुरत विदेशी लुटेरो को रोकने की है, उसके बाद देशी लूटेरे जो कालाधन दबाये हुये हैं, उनकि संपति जप्त कर के आम जन मे बातना भी एक आवश्यक कदम है।
  • Madan Tiwary मैने भी बंद का समर्थन किया, बंद करीब-करीब स्वैच्छिक था लेकिन जैसा की हमारे देश के कुछ दलो के कार्यकर्ताओं की आदत मे शुमार है, वे जबर्दस्ती भी करते हुये दिखें , मन खिन्न हो गया मे गया में जदयू के कार्यकर्ताओं की हरकत देखकर , साम्यवादियों का रवैया बहुत अच्छा था।
  • भूपट शूट ठीक हैं हम भी तो कहते व करते तो यही हैं पर मेने गहरा सवाल लिया हैं. मुझे दुःख इस बात हैं कि ''हिंदूवादी'', मार्क्सवादी, लोहियावादी व अम्बेडकरवादी तथा अन्य सभी विचारक तो दोनों धाराओ- देशी व विदेशी, का विरोध तो कर रहे हैं मगर अभी तक विकल्प देने में असमर्थ हैं . इन्होने नई आर्थिक नीतियों के नाम पर सभी ने विरोध किया मगर वैकल्पिक निति किसी के पास इस भूमंडलीकरण के दोर में नहीं दिखती . वे अपनी जन्मस्थली, परिवेशिकी, संस्कृति व कर्मस्थली के धरातल पर खड़े होकर जबतक नहीं समझेंगे, सोचेंगे व विचार नहीं करेंगे तक तक उनके पास ना तो देशी लुटरों को रोकने का उपाय दिखेगा व ना ही FDI का सार्थक विकल्प दे पाएंगे .
    आज हम जिस स्थति में पहुंचे हैं वंहा चोतरफा मिलावट, धोखाधड़ी, जमाखोरी, कालाबाजारी, लूटखसोट, बईमानी व चोरी का इतना बोलबाला हैं की अब हम अपने आपको उनके शिकंजे व जबड़े में पाते हैं. इसके बावजूद हम तो FDI का सार्थक विरोध ही कर रहे हैं.
  • भूपट शूट मित्र, मैं भी आप जेसे ही सोचता हूँ.
  • Madan Tiwary @भूपट शूट हां आपका कहना सही है , बहुत सारे बदलाव और कदम उठाने की जरुरत है, दिक्कत यह है कि जैसे हीं सता का परिवर्तन होता है, हम आंदोलन के लक्ष्य को भुलकर सता का आनंद लेने मे मशगुल हो जाते हैं। आज जिस एफ़ डी आई का विरोध हो रहा है , या गैस सिलेंडर की बात उठ रही है , उसके पक्ष मे सबसे पहले भाजपा खदी थी। यह दोहरा चरित्र है हमारे देश के दलो का। लेकिन जो सबसे पहले आवश्यक है, वह है सरकार के निर्णय का विरोध । सरकार बदलने से कुछ नही होनेवाला। भाजपा ी ीीी है कि किसी तरह सता परिवर्तन हो । उसे अपने पाप का प्रायश्चित करना होगा ।
  • Vijai RajBali Mathur Madan जी एवं भूपट शूट जी आपके उपरोक्त वार्तालाप को भाकपा राज्य सचिव,सहायक सचिव और कोषाध्यक्ष उत्तर प्रदेश को ई मेल द्वारा संदर्भित कर दिया है।
  • Madan Tiwary Vijai RajBali Mathur धन्यवाद सर जी , मैने भी आज सीआइएम एल के नेताओ को धन्यवाद दिया शांतिपूर्ण बंद करवाने के लिये।
  • भूपट शूट विजय जी.मेरी एक पोस्ट भी १० बजे तक आएगी . बड़ी विचारोताजक होगी.
  • Yashwant Mathur @भूपट शूट जी अपनी पोस्ट का लिंक यहाँ और जनहित ग्रुप मे भी दे दीजिएगा।
  • भूपट शूट Vijai RajBali Mathur जी मेरा नोट इसी मुधे पर पढ़ ले !
  • भूपट शूट ...See More


     इस बार का भारत बंद स्वतःस्पूर्त रहा. हम इसका यश जनता को अधिक दे सकते हैं जिसने
    आगे बढ़कर इसे सफल बनाया. इस बार व्यापारिक तबका भी आम कर्यकर्ता जितना ही सक्रीय दिखा. उसे भी कहिन कहिन यह लग रहा हैं कि FDI कि मार उस पर पड़नी हैं तथा वह डीजल तथा गेस कि मार को तो पहले ...






 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

Sunday 16 September 2012

ग्रहों की चाल मध्यावधि चुनावों की ओर


तीसरा मोर्चा का शिगूफ़ा,ग्रहों की चाल और समय पूर्व चुनावों की दस्तक



लोकसंघर्ष मे 13-09-2012 को ऐसा कहा गया था---

(मुलायम सिंह के तीसरा मोर्चा कीचुनाव बाद घोषणा पर )

चुनाव लड़ने में समझौता नहीं करेंगे क्यूंकि उसमें अन्य दलों को भी सीटें देनी पड़ेंगी और चुनाव बाद उन्ही दलों की मदद से तीसरा मोर्चा बना कर प्रधानमंत्री बनने  की उनकी ख्वाहिश भी पूरी नहीं होगी।
http://loksangharsha.blogspot.com/2012/09/blog-post_13.html

उस लेख पर मैंने यह टिप्पणी दी थी-

ब्लॉगर विजय राज बली माथुर ने कहा…
मनमोहन सिंह जी नरसिंघा राव जी के परम प्रिय शिष्य हैं। राव साहब ने अपने हटने से पहले कांग्रेस को सत्ताच्युत करने का बंदोबस्त कर दिया था और दो वर्षों के अंतराल मे भाजपा को सत्तासीन होने का अवसर प्रदान कर दिया था। मनमोहन जी उसी नीति का अनुसरण कर रहे हैं। एक के बाद एक ऐसे निर्णय लिए जा रहे हैं जिंनका खामियाजा कांग्रेस चुनावों मे भुगतेगी। गत वर्ष अपनी पार्टी अध्यक्ष की गैर हाजिरी मे उनके द्वारा RSS/देशी-विदेशी कारपोरेट घरानों की मदद से अन्ना आंदोलन खड़ा करा कर पार्टी महासचिव राहुल को अन्ना से भिड़ाने का उपक्रम किया था। राहुल ने चुप्पी साध कर उनकी योजना पर पानी फेर दिया था। इस बार जन-विरोधी निर्णयों को लागू करके अपनी पूरी पार्टी की कब्र उन्होने खोद दी है। इतिहास मे वह आत्मभंजक के रूप मे ही जाने जाएँगे।
लेकिन इस बार एल के आडवाणी साहब ने भी ठान लिया है कि वह अपनी पार्टी और उसके नेता को पी एम नहीं बनने देंगे। ऐसी सूरत मे यदि बामपंथ ने साथ न दिया तो मुलायम वाया आडवाणी भाजपा के समर्थन से भी पी एम बन सकते हैं भले ही छह माह के लिए ही सही।

यदि बामपंथ मे कुछ नेता केंद्र सरकार मे मंत्री बनने के इच्छुक होंगे तो निश्चित रूप से बामपंथ भाजपा को रोकने के नाम पर मुलायम के तीसरे मोर्चे को ही समर्थन दे देगा बनिस्बत कांग्रेस
के।
15 सितम्बर 2012 9:07 am

हिंदुस्तान,लखनऊ दिनांक -16 सितंबर,2012 ,पृष्ठ 17 पर '20 सितंबर को भारत बंद का ऐलान' शीर्षक के अंतर्गत एजेंसी के हवाले से खबर छ्पी है कि,"भाकपा के वरिष्ठ नेता ए बी वर्धन ने बताया कि सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने 20 तारीख को हड़ताल का सुझाव दिया था जिसे स्वीकार कर लिया गया है। "

साम्यवादियों समेत सम्पूर्ण बामपंथ ने जिस प्रकार खुद को 'धर्म विरोधी' छवी प्रदान करके जनता से काट रखा है और जनता को RSSआदि से  गुमराह होने देने की छूट प्रदान कर रखी है क्योंकि वे ढ़ोंगी-ढकोसले बाज़ आडंबर को धर्म बता कर जनता को छलते रहते हैं।  यदि बामपंथी साम्यवादियों ने 'धर्म' की वास्तविक व्याख्या बता कर जनता को समझाया होता तो जनता उनके अलावा किसी फरेबी  पर विश्वास कर उसके चक्कर मे फँसती ही नही।

मैंने इसी ब्लाग मे 14-08-2012 को अपने 04 अगस्त के फेसबुक नोट के हवाले से  यह लिखा था-

·



'बकवास' कहना और लिखना कितना आसान है लेकिन क्या ग्रहों की चाल को रोका या टाला जा सकता है?यदि हाँ तो वित्त मंत्रालय,महाराष्ट्र के सी एम आफिस,नेल्लोर मे तामिल नाडू एक्स्प्रेस मे अग्निकांड क्यों नहीं रोके जा सके। ईरान की भूकंप त्रासदी को क्यों नहीं रोका जा सका। ईरान का घोर शत्रु भी आज ईरान को मानवीय मदद का प्रस्ताव दे रहा है पहले उसके वैज्ञानिकों ने चेतावनी देकर आबादी को क्यों नहीं हटवाया या भूकंप को रोक लिया।लेकिन विरोध के लिए विरोध करना फैशन है तो करते हैं जन-कल्याण बाधित करने के लिए।


राजनेताओं मे कैप्टन डॉ  लक्ष्मी सहगल,के बाद केंद्रीय मंत्री विलास राव देशमुख को भी क्यों नहीं बचाया जा सका?
यू पी सरकार के नेताओं मे मतभेदों के बारे मे भी आंकलन पहले ही दिया जा चुका है। 

http://krantiswar.blogspot.in/2012/03/blog-post_16.html?


14 सितंबर को केंद्र सरकार ने गैस के दाम अनाप शनाप बढ़ाते हुये 'खुदरा व्यापार' के लिए वाल मार्ट आदि विदेशी कंपनियों के लिए दरवाजे खोल दिये और सहयोगी दलों के विरोध पर सदा  चुप रहने वाले पी एम मनमोहन सिंह जी ने कहा कि सरकार जानी है तो दम-खम के साथ जाये। तमाम लोग इस पर भी सरकार की स्थिरता के प्रति आश्वस्त हैं। लेकिन ग्रह क्या कहते हैं जान लीजिये-

 अमा.पूर्णिमा वार रवि,नहीं सुखद परिवेश। निर्धन लेवे आपदा ,पशुजन पीड़ित देश । । 
रोग शोक व्याधि गति,संक्रामक अतिचार। सुख सुविधा मे न्यूनता,पाँच रूप रविवार । । 

गति चाल मार्गी गति ,गणना  शनि प्रधान । मौलिक राशि तुला बने,गोचर पंथ विधान । । 
राज काज व्यापार मे,चिंतन विविध प्रकार । नायक नेता आपदा ,जन विग्रह संचार । । 

कृषि खेत खलिहान मे,चिंतन कृषक निहार। उत्पादन उद्योग मे,सांसारिक अधिभार । । 
वित्त व्यवस्था विश्व की,असंतुलित परिवेश। मुद्राकोश आर्थिक विषय,चिंतन देश विदेश । । 

चलन कलाँ गुरु भौम का,षडाश्टकी शनि पक्ष। राजतंत्र नव चेतना,गठबंधन गति दक्ष । । 
दल विरोध की जगराती,नायक सत्ता मंद। राजकाज विपदा गति,निर्णय कथन दु: द्वंद । । 

युति योग शनि भौम का,राशि तुला निहार। अग्नि -वात से आपदा ,अस्त्र शस्त्र भंडार । । 
विस्फोटक रचना गति,हिंसा द्वंद प्रसार। राहत सेहत पक्ष मे,व्यय विशेष अधिभार । । 

मंगल राहू साथ मे,सम सप्तक गुरु भौम। यान खान घटना विविध,भू क्रंदन गति व्योम ।  । 
व्यय विशेष संसार मे,राज काज पाठ भार । त्रोटक संधि वार्ता,सीमा क्षेत्र विचार । ।
(पृष्ठ-41,निर्णय सागर-'चंड मार्तंड पंचांग ) इसी पृष्ठ पर 02 सितंबर से 05 सितंबर तथा 12 सितंबर से 16 सितंबर एवं 19 सितंबर से 23 तथा 27 सितंबर से 30 सितंबर तक न्यूनाधिक मानसून रचना का अंदेशा व्यक्त किया गया है। )

हिंदुस्तान,लखनऊ,16-09-2012 के पृष्ठ 02 पर मौसम निदेशक जे पी गुप्त की रिपोर्ट मे छ्पा है-"मध्य उत्तर प्रदेश के ऊपर कम हवा का दबाव क्षेत्र बना हुआ है और मानसून की ट्रफ   लाईन फिरोजपुर,करनाल,बरेली,बलिया,धनबाद,कोलकाता से होकर गुजर रही है। "मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार बीते 24 घंटों मे पूर्वी उत्तर प्रदेश मे मानसून सक्रिय रहा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश मे भी कहीं -कहीं बारिश हुई।

मौसम विभाग तो वैज्ञानिक उपकरणों के सहारे निकट भविष्य की बात करता है जबकि पंचांग मे गणना ग्रहों की चाल के आधार पर बहुत पहले प्रकाशित हो चुकी है। केवल किसी के न  मानने या बकवास घोषित कर देने से ग्रहों के असर को टाला नहीं जा सकता है और इसी लिए सम्पूर्ण विश्वास के साथ कहा जा सकता है कि पी एम साहब ने मध्यावधि चुनावों का बिगुल फूँक दिया है अपनी  ही पार्टी को सत्ताच्युत करने हेतु।  राष्ट्रपति महोदय भी तीसरा मोर्चा को ही वरीयता देंगे ,यह बात उनकी शपथ कुंडली वाली पोस्ट मे दी जा चुकी है-

 http://krantiswar.blogspot.in/2012/07/blog-post_28.html

वर्तमान हालात 

इस समय देश मे कन्या के शनि-मंगल विग्रह,अग्निकांड,उपद्रव, हिंसा,तोड़-फोड़,जन-संहार की स्थिति उत्पन्न किए हुये हैं। केंद्र सरकार 'जनाक्रोश' के भी केंद्र मे है।
राष्ट्रपति पद के चुनाव मे अपने-अपने हितों के संरक्षण हेतु यू पी ए के प्रत्याशी को समर्थन देने वाले दल अब चुनाव के बाद यू पी ए को आँखें दिखा रहे हैं और 'मध्यावधि चुनावों' की संभावनाएं व्यक्त कर रहे हैं। ग्रह भी अराजकता की स्थिति बनाए हुये हैं। चुनावों की स्थिति मे एन डी ए और यू पी ए से कुछ दल टूट कर तीसरे गैर कांग्रेसी/गैर भाजपाई  गुट के साथ आ जाएँगे। इस तीसरे गुट को बहुमत न भी मिले तो भी कांग्रेस को मजबूरन इसे ही समर्थन देना होगा और राष्ट्रपति महोदय भी चुनाव अभियान के दौरान इस गुट के नेताओं को दिये गए अपने आश्वासन को पूर्ण करेंगे। अतः नए महामहिम के आगमन को केंद्र मे गैर कांग्रेस/भाजपा सरकार के गठन की मुहिम के रूप मे भी देखा जा सकता है।   
   



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Friday 14 September 2012

सोच-समझ का महत्व

स्पष्ट रूप से पढ़ने के लिए इमेज पर डबल क्लिक करें (आप उसके बाद भी एक बार और क्लिक द्वारा ज़ूम करके पढ़ सकते हैं )

हिंदुस्तान,लखनऊ,05 अगस्त,2012




 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

Thursday 6 September 2012

"लोकसंघर्ष " मे -लम्पट ब्लॉगर

सोमवार, 3 सितम्बर 2012

लम्पट ब्लॉगर

तस्लीम परिकल्पना ब्लॉग सम्मान समारोह में एक वक्ता ने कहा था कि कुछ ब्लॉगर लम्पट होते हैं। उस वक्ता ने सही कहा था ब्लॉग जगत अमृत भी है विष भी है। कुंठाग्रस्थ लोग या लम्पट तत्व अपनी हरकतों से बाज नहीं आ सकते हैं। अन्तर्रष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मलेन में लोकसंघर्ष पत्रिका तथा प्रगतिशील ब्लॉग लेखक संघ का सहयोग था। कार्यक्रम आयोजक श्री रविन्द्र प्रभात व श्री जाकिर अली रजनीश ने आयोजन के सम्बन्ध में जो भी कार्य लोकसंघर्ष पत्रिका को बताये उनको पूरा करा दिया गया। सम्मलेन में उत्तर प्रदेश के साहित्य जगत के चर्चित रचनाकार डॉ सुभाष राय , शैलेन्द्र सागर, उद्भ्रांत, रंगकर्मी राकेश, आलोचक वीरेन्द्र  यादव,   मुद्राराक्षस, कथाकार शिवमूर्ती जैसी विभूतियाँ शामिल हुईं। ब्लॉग जगत के पाबला साहब, रवि रतलामी, डॉ अरविन्द मिश्र, शिवम् मिश्र, दिनेश गुप्त रविकर, अविनाश वाचस्पति, शिखा वार्ष्णेय, आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी मास्टर हरीश अरोड़ा , संतोष , पवन चन्दन, रूप चन्द्र शास्त्री 'मयंक', पूर्णिमा वर्मा, विजय माथुर, यशवंत माथुर, धीरेन्द्र भदौरिया, अलका सैनी, अलका सरवत मिश्र, कुंवर बेचैन, मनोज पाण्डेय सहित सैकड़ों चिट्ठाकार शामिल हुए। सभी चिट्ठकारों क नाम अगर लिखूंगा तो बात अधूरी रह जाएगी। 
                  मुख्य बात यह है की कार्यक्रम में चिट्ठाकारों से जो स्नेह प्राप्त हुआ है वह अद्वित्यीय है। पाबला  साहब को देख कर और उनकी बात सुनकर मेरा पूरा परिवार बहुत खुश हुआ। हमारे जनपद से काफी लोग अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन  में गए थे जिन्होंने कार्यक्रम से लौटने के बाद चिट्ठाकारों की भूरि - भूरि प्रसंशा की थी लेकिन वह चिट्ठाकार नहीं थे अगर वह चिट्ठाकार होते तो कार्यक्रम क बाद कुछ लोगों की लम्पटई व चिरकुटई देख कर वह मन में क्या सोचते। ये हरकतें उसी तरह की हरकत है की एक शराबी ने बढ़िया खाना  खाया, बढ़िया शराब पी और जब नशा चढ़ा तो वह उलटी करने लगा और नशे में ही वह उलटी को पुन: खाने भी लगा और जब उसको लोगों ने रोकने की कोशिश की खाने से ज्यादा मजा उलटी खाने में है। इसलिए सभी साथियों से विनम्र प्रार्थना है की कार्यक्रम हो गया, सफल रहा तो ठीक असफल रहा तो ठीक लेकिन ऐसी हरकत न करें की ब्लॉगजगत के बाहर क लोगों को गलत धारणा बनानी पड़े। कार्यक्रम की सफलता काजल कुमार का यह कार्टून है जिसके लिए वह बधाई के पात्र हैं। 
हमारे लिए हर ब्लॉगर सम्मानीय है, साहित्यकार है, रचनाधर्मी है, सृजनकर्ता  है सभी सृजनकर्ताओं को मेरा सलाम।

13 टिप्‍पणियां:

विजय राज बली माथुर ने कहा…
तथ्यात्मक रिपोर्ट उत्तम है। हम लोगों के नाम शामिल करने हेतु हार्दिक धन्यवाद।
dheerendra ने कहा…
बीती बात बिसार के आगे की सुधि लेय,,,,
मुझे याद रखने के लिये आभार,,,,,


रवीन्द्र प्रभात ने कहा…
यह शराबी वाला उद्धरण तथ्यपरक है, अच्छी पोस्ट है ।
Virendra Kumar Sharma ने कहा…
सुमन जी सार्थक पोस्ट लायें हैं आप .सही समीक्षा .
शिवम् मिश्रा ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
शिवम् मिश्रा ने कहा…
मोहब्बत यह मोहब्बत - ब्लॉग बुलेटिन ब्लॉग जगत मे क्या चल रहा है उस को ब्लॉग जगत की पोस्टों के माध्यम से ही आप तक हम पहुँचते है ... आज आपकी यह पोस्ट भी इस प्रयास मे हमारा साथ दे रही है ... आपको सादर आभार !
BS Pabla ने कहा…
nice...!
नुक्‍कड़ ने कहा…
good
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) ने कहा…
वाह...!
रविकर फैजाबादी ने कहा…
बढ़िया -मर्मस्पर्शी ||
दिगम्बर नासवा ने कहा…
सच कहा है ... आज आलोचना सिर्फ आलोचना के लिए हो रही है जो गलत है ...
रविकर फैजाबादी ने कहा…
उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवार के चर्चा मंच पर ।।
Ratan singh shekhawat ने कहा…
Nice

Gyan Darpan

Wednesday 5 September 2012

अरे गुरुजी का वह डंडा !(पुनर्प्राकाशन)

स्पष्ट रूप से पढ़ने के लिए इमेज पर डबल क्लिक करें (आप उसके बाद भी एक बार और क्लिक द्वारा ज़ूम करके पढ़ सकते हैं )
 शिक्षक दिवस पर विशेष -


प्रस्तुत कविता 1954 मे प्रकाशित पुस्तक 'सरल हिन्दी पाठमाला' से उद्धृत है जिसे बनारस वासी( 'सुखी बालक'के सहायक संपादक) रमापति शुक्ल जी ने हास्य-रचना के रूप मे प्रस्तुत किया था । आपकी यह कविता रूढ़ीवादी शिक्षा-प्रणाली पर तीव्र व्यंग्य है । बालोपयोगी कविताओं की रचना मे शुक्ल जी सिद्ध हस्त रहे हैं ।

शिक्षक दिवस पर उनकी इस रचना को विशेष रूप से आपके समक्ष रख रहे हैं ।







 क्या आज भी ऐसे शिक्षकों की आवश्यकता है?क्या ऐसा उचित था?या है?


 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

Monday 3 September 2012

अतीत के झरोखे से

12 वर्ष का एक 'युग' माना जाता है। यदि हम वर्ष 2000 की बात करें जब सरला बाग,दयाल बाग ,आगरा मे हमारा ज्योतिष कार्यालय था। चारों तरफ समृद्ध लोगों की आबादी थी। राधास्वामी ज़्यादा थे। घोषित रूप से उनके मत मे ज्योतिष का विरोध किया जाता है। लेकिन सभी एक दूसरे से छिपाते हुये हमारे पास अपनी -अपनी समस्याओं के समाधान के लिए आते थे। उन सबमे एक समानता थी कि वे सभी निर्धारित शुल्क से कम देते थे। एक दिन शाम को एक साधारण व्यक्ति पहले कार्यालय से आगे निकल गया था फिर लौट कर पीछे आया और अपने बीमार बेटे के बारे मे ज्योतिषीय जानकारी ली। उसके पास जन्मपत्री न थी अतः प्रश्न कुंडली से काम चलाना पड़ा। उपाय जो बताए उसने सहर्ष अपनाना कुबूला और शुल्क की बाबत पूछा जो बताया उसने चुप-चाप दे दिया। वह आगे बढ़ गया था मुझे लगा शायद इसकी हैसियत न हो फिर भी पूरा शुल्क दे गया और समृद्ध लोग कन्सेशन मांगते हैं,इसका बच्चा बीमार है और यह आगरा अस्पताल से दवा लेने जा रहा है । मैंने उसे आवाज़ देकर बुलाया और वापिस रुपए देकर कहा आप इनको रखें आपको अभी ज़रूरत है। वह व्यक्ति पूछने पर मजदूर हूँ -बोला। लेकिन स्वाभिमानी था वापिस रुपए लेने को राज़ी न था। मैंने समझाया आप पूरी फीस दे चुके और मैं ले चुका हूँ। अब अपनी तरफ से उस बच्चे के लिए दे रहा हूँ आपको नहीं। तब भी उसने मुझे पाँच रुपए सौंपते हुये कहा कि शुगन के रख लीजिये। उसकी बात रखनी पड़ी। आज जब धनाढ्य इन्टरनेट साथियों को ज्योतिषीय समाधान  निशुल्क जान लेने के बाद मुझको अनाड़ी ,अपरिपक्व,की उपाधी देते देखता हूँ और उनके द्वारा अपना चरित्र हनन पढ़ता हूँ तो अनायास वह गरीब मजदूर आँखों के सामने घूम जाता है।

अबसे 20 वर्ष पीछे लौट कर देखते हैं तो एक पंडित जी जो शक्तिशाली राजनेता थे का ज़िक्र करना मुनासिब लगता है। पंडित जी को एक दूसरे पंडित नेता जी ब्लैक मेल कर रहे थे किन्तु दूसरे पर पहले का अगाध विश्वास था। वह उनके विरुद्ध कुछ भी सुनना पसंद नहीं करते थे। समझाने पर उनको लगता था कि उनके खिलाफ साजिश हो रही है। आगरा शहर से 80 किलोमीटर दक्षिण -पूर्व स्थित बाह नमक कस्बे मे उन्होने ज़िला स्तरीय चुनाव रखे थे। उनके घरेलू मित्रों ने मुझसे अनुरोध किया कि पंडित जी के परिवार को बचाओ दूसरा पंडित उनका घर-परिवार,कारख़ाना और राजनीति सब हथिया लेना चाहता है। खैर दिमाग और मेहनत खर्च करके पिछड़ा वर्ग के एक पहलवान साहब को उनके विरुद्ध चुनाव लड़ने को राज़ी किया। ठीक दो दिन पहले पहलवान साहब मैदान छोड़ गए। पंडित जी के पारिवारिक हितैषी कब मानने वाले थे। उनके एक समय के बिजनेस सहयोगी रहे दलित वर्ग के विश्वस्त को अंडर ग्राउंड राज़ी कर लिया और मुझसे उनका समर्थन करने को कहा जबकि व्यक्तिगत रूप से मैं उनसे घनिष्ठ नहीं था। पंडित जी ने चुनाव से ठीक एक दिन पूर्व मेरे विश्वस्त के माध्यम से अपने घर बुलवाया और कहा कल आपकी बुरी तरह से हार होने वाली है। मैंने जवाब दिया यदि मैं हारता हूँ तो मुझे खुशी होगी और आप हारे तो मुझे पीड़ा होगी। वह बोले आप दिन रात मेरे खिलाफ प्रचार कर रहे हैं साईकिल से 16-16 किलोमीटर गावों मे चल कर जाते हैं और हार जाने पर खुश होंगे फिर इतनी कसरत क्यों की। मैंने कहा इसलिए कि आपकी एक रेपुटेशन है ,इमेज है आपके हारने पर उस पर धक्का लगेगा। मेरे हारने पर मेरी कौन सी इमेज है जो टूटेगी। उनका प्रस्ताव था तब निर्विरोध चुनाव होने दो मैंने कहा तब आप जीत कर भी हारेंगे क्योंकि आपका बेहद नुकसान हो जाएगा और आप हारते हैं तो आपका सब कुछ सुरक्षित रह जाएगा। पंडित जी बोले हमे यह गणित न समझाओ। मैंने कहा आप लोग दीवार तक देखते हैं मैं दीवार के पार देखता हूँ और चला आया था।
अगले दिन वातावरण देख कर पंडित जी ने खुद की जगह दूसरे अपने साथी का नाम प्रस्तावित कर दिया जिसे उन्होने वापिस ले लिया। इस प्रकार दलित वर्ग के प्रतिनिधि निर्विरोध चुन गए। कुछ कारणों से मैं बाद मे दूसरी पार्टी मे चला गया और फिर 10 वर्ष बाद घर बैठ गया । पंडित जी को पता चला मेरे घर आए और बोले एक राजनीति का खिलाड़ी घर बैठा अच्छा नहीं लगता है आप वापिस लौट आईए। आप ही तब सही थे मैं गलत था वह पंडित जी पार्टी से हट गए हैं धोखा दे रहे थे। नौ वर्ष उनको कुर्सी से दूर रहना पड़ गया था ।  आपने सही कहा था कि आप दीवार के पार देखते हैं। और पंडित जी पुनः अपने साथ पुरानी पार्टी मे अपना सहयोगी बना कर ले आए।
  05-09-2012 को टिप्पणी
Arvind Vidrohi Muft me kuch mat dijiye ,, jankari lekar swarthi log mazak udaate hai
7 hours ago ·

Sunday 2 September 2012

उल्टी और डकार


भर्त्सना

अरुण चन्द्र रॉय said...

"यह तो होना ही था... शास्त्री जी आप जैसे यशस्वी और अनुभवी साहित्यकार को उस फार्स (farce) कार्यक्रम में जाना ही नहीं चाहिए था. क्या गत वर्ष की अवास्य्स्था और बंदरबाट भूल गए थे आप... गत वर्ष के कार्यक्रम की रूपरेखा जो हिंदी साहित्य निकेतन ने तय की थी वह वैसी रही और वहां भी ब्लॉग सत्र को स्क्रैप कर दिया गया था. यहाँ भी सूना है कि वैसा ही हुआ है.... शिवमूर्ति जैसे कथाकार को बुलाकर बेईज्ज़त करना शर्मनाक है... यदि आप ब्लोगर को आमंत्रित करते हैं तो उन्हें सम्मान देना चाहिए.... यह कार्यक्रम तीन लोगों का व्यक्तिगत कार्यक्रम था...वटवृक्ष के ब्लोगर विशेषांक के अवसर पर उसके संपादक का न रहना भी दुखद है... गत वर्ष के अनुभव से शायद वे न आई हों..... खैर.... हम इसकी भर्त्सना करते हैं..... "


सम्मान समारोह : ब्लागिंग का ब्लैक डे !

"1- पूरी हो गई "अलीबाबा 40 चोर" की टीम।
2-नाराजगी शिखा वार्ष्णेय से भी है। आप मंचासीन थीं, आप नहीं जानतीं कि रुपचंद्र शास्त्री जी का हिंदी ब्लागिग और ब्लागर के बीच क्या सम्मान है। इस पर तो हिंदी ब्लागर में वोटिंग करा ली जानी चाहिए कि क्या शास्त्री जी को मंच पर स्थान नहीं मिलना चाहिए था ? मुझे पता है कि जब लोग देश छोडकर बाहर जाते हैं तो अपनी संस्कृति  और सभ्यता से भी बहुत दूर हो जाते हैं। वरना शिखा से ऐसी  उम्मीद नहीं की जा सकती थी। उन्हें चाहिए था कि वो अपना स्थान शास्त्री जी के लिए खाली करतीं, इससे आयोजक मजबूर हो जाते एक वरिष्ठ ब्लागर को सम्मान देने के लिए।
3- एक ब्लागर की बात तो मैं आज भी नहीं भूल पाया हू, जिन्होंने मुझे बताया कि उन्हें "वटवृक्ष" का सह संपादक बनाने के लिए पैसे लिए गए।"

संपादक-प्रकाशक गठजोड़-

जो ब्लागर्स अपने नाम के प्रचार के ख़्वाहिशमंद होते हैं उनके इस लालच को भुनाने मे माहिर उक्त संपादक उनसे हजारों मे रकम एंठ कर पुस्तकें छ्पवाता रहता है। स्व्भाविक रूप से पुस्तकें प्रकाशक लोग ही छापते हैं जिंनका धंधा उक्त संपादक के सहारे चलता रहता है। फलतः यदि ऐसे प्रकाशक उक्त संपादक की आड़ लेकर हल्ला करते हैं तो विस्मय की कोई बात नहीं है यह तो व्यापीरिक रिश्ते निभाने का उनका अपना फर्ज़ ही है।  

वस्तुतः  "वटवृक्ष" का सह संपादक बनाने के लिए पैसे लिए गए।"---जैसा कि तमाम ब्लागर्स ने पीड़ा व्यक्त की कि उक्त सम्पादक महोदया ही ने उनको फोन करके हजारों मे रकम की मांग करके 'वटवृक्ष' पत्रिका से जोड़ने की बात कही थी जिन लोगों ने रकम नहीं दी वे नहीं जुड़े जिसने दी होगी वह जुड़ गया होगा।

   यदि वटवृक्ष पत्रिका के मालिकान कारपोरेट घराना होते तो अब तक सम्पादक को कान पकड़ कर हटा चुके होते। लेकिन सम्पादक उनके विरुद्ध लगातार लामबंदी करके विष-वमन करता जा रहा है सिर्फ उनको ब्लैकमेल करने हेतु। अपने बच्चों के एंगेजमेंट करना ,धन बटोरना और फिर रिश्ता तोड़ना यही धंधा है उन सम्पादक का।

    • "उंगलियाँ इतनी लचीली होती हैं
      कि फट से उठ जाती हैं किसी पर
      अपनी हार पर बौखला कर
      सबसे सरल तरीका है
      ऊँगली उठाना !
      ...
      सामनेवाला कोई शिकायत न रख दे
      बेहतर है उससे शिकायत कर अपना रास्ता साफ़ कर लेना ...

      सौ प्रतिशत सही कौन होता है दोस्त
      मेरी कमी तो तुम कह गए
      रिश्ते का मान उतार गए
      अब तो अपनी कमी देखो मेरे दोस्त !

      कहनेवालों ने तुम्हारे लिए भी बहुत कहा
      हमने अनसुना किया
      प्रश्न उठाकर तुमसे
      तुम्हें रुसवा न किया
      तुमने जो भी कहा मुझसे
      बस उसी पर ऐतबार किया ...

      बड़े मनोयोग से तुम मेरी तस्वीर बनाते गए
      दूसरी तरफ उसमें आग लगाते गए
      तस्वीर देख लोगों ने तुमको खुदा मान लिया
      राख के ढेर में हम
      खामोश होकर रह गए ...

      प्यार - पूजा
      शब्द - आरती ...
      सोचकर बढ़ती गई
      ये तो वक़्त ने है बताया
      खून की पगडंडियाँ बनती गयी !..."

      माँजरा क्या है सब समझ सकते हैं सम्पादक महोदया के  इस उद्बोधन से।

यह एक हकीकत है कि उक्त सम्पादक जी काव्य रचयिता ब्लागर्स से हजारों की रकम लेकर कभी किसी कभी किसी प्रकाशक के यहाँ से पुस्तकें छपवा कर अपना व्यापार चलाती हैं। जब ब्लागर्स शोहरत के लालच मे धन व्यय करने को लालायित हैं तो वह कोई समस्या नहीं है। लेकिन यदि 'वटवृक्ष' के सम्पादक के नाते रकम एंठी गई होगी और मालिकान से छिप कर तब तो 'समस्या' उठी ही होगी। ताज्जुब यह है कि पत्रिका के मालिकान ने किस भय से सम्पादक के विरुद्ध कारवाई नहीं की और उनको अपने विरुद्ध हल्ला मचाने की छूट प्रदान कर दी?

सम्मान गलत हुआ हो या सही ,जिनका सम्मान हुआ उनको 40 चोर कहने का क्या औचित्य?कहने वाले ब्लागर साहब कारपोरेट घराने की मज़ेदार नौकरी मे हैं। वह उक्त संपादक महोदया के पूना निवास पर पाँच घंटे बिता कर-चाय,नाश्ता,खाना,मीट,मुर्गा,मच्छी खा कर और शराब आदि से जो मेहमान नवाज़ी करा कर आए थे उसी की 'डकार' और 'उल्टी' है उनका यह अभद्र,अश्लील,असामाजिक लेखन। किसी भी आयोजन मे उसके आयोजकों द्वारा निर्धारित व्यक्ति किसी दूसरे को अपनी मंचस्थ 'कुर्सी' किस अधिकार से हस्तांतरित कर सकता है?क्या चेनल शास्त्र मे ऐसा होता है?

यह ब्लागर साहब संकीर्ण पोंगापंथी ढ़ोंगी विचार-धारा के ध्वजा वाहक हैं और 'हवन' जैसी वैज्ञानिक पद्धति के विरोधी। यह पुरोहितवाद के संरक्षण के हिमायती हैं । ज्योतिष के मेरे वैज्ञानिक विश्लेषण की खिल्ली इनके ही ब्लाग पर उक्त संपादक महोदया ने तब उड़ाई थी जबकी  अपने बच्चों की चार कुंडलियों का विश्लेषण मुझसे करा चुकी थीं और 'रेखा के राजनीति'मे आने का मेरा विश्लेषण सही सिद्ध हो चुका था।  अतः उनका लेखन मुझे तो 'खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे' ही लगता है।