Tuesday 30 April 2013

अन्यायी एवं अत्याचारी निर्णय ---विजय राजबली माथुर

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धनवानों को लाभ पहुंचाने की गहरी साजिश-

29 april-2013

हिंदुस्तान,लखनऊ, 29 अप्रैल,2013 अंक के पृष्ठ-14 पर प्रकाशित यह समाचार 'अनुदार प्रधानमंत्री' के घोर अन्यायी एवं अत्याचारी निर्णय का परिचायक है। 

देश की एक अरब 20 करोड़  से अधिक आबादी में से कुल 32 करोड़ लोगों के ही 'आधार कार्ड' अब तक बनाए गए हैं जिनमें से सिर्फ 80 लाख ही बैंक खाते से जुड़े हैं इस अधिकृत जानकारी के बावजूद 'चार्टर्ड एकाउंटेंट'वित्त मंत्री द्वारा अपने प्रधानमंत्री की ख़्वाहिश पूरा करने के लिए आदेश जारी किया गया है कि आगामी अक्तूबर माह से सालाना सिर्फ चार हज़ार रुपए आधार कार्ड से सम्बद्ध खातों में गैस सबसीडी के रूप में जमा किए जाएँगे। अर्थात देश की एक बड़ी आबादी को बाज़ार दाम पर लगभग एक हज़ार वाला गैस सिलेन्डर खरीदना होगा । यह सबसीडी समृद्ध लोगों के काम आएगी और गरीब जनता पिसेगी। रिलायंस गैस को अरबों रुपयों की सबसीडी दी जा रही है,मुकेश अंबानी को सरकारी सुरक्षा कवच दिया जा रहा है,मथुरा रिफायनरी से 300 सिलेंडरों के बराबर गैस बेवजह फूंकी जा रही है क्योंकि सिलेन्डर नहीं हैं और भंडारण -व्यवस्था नहीं है। दूसरी ओर निर्ममता पूर्वक जनता को कुचला जा रहा है। जनता को जागरूक होकर जन-विरोधी निर्णय लेने वाली सरकार को आगामी चुनावों में उखाड़ फेंकना चाहिए।


संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

Monday 29 April 2013

तर्क-वितर्क-कुतर्क का बोलबाला और यथार्थ की अवहेलना---विजय राजबली माथुर

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हिंदुस्तान,लखनऊ,दिनांक-28-04-2013 के अंक मे शशि शेखर जी का यह संपादकीय तो 'यथार्थ' का प्रकटीकरण करता है किन्तु 'आज',आगरा के स्थानीय संपादक की हैसियत से तब वह भी 'विहिप' के विद्वेषात्मक आंदोलन को हवा देने में अग्रणी थे। विहिप के उसी आंदोलन की परिणति 'बाबरी मस्जिद/राम मंदिर विध्वंस'के रूप मे हुई थी और मुंबई के दंगे भी उसी का परिणाम थे। जिनको 'धर्म' की संज्ञा दी जाती है वस्तुतः वे धर्म नहीं 'अधर्म' के प्रतीक हैं। चाहें साप्रदायिक विषमता हो चाहे चारित्रिक उच्चश्रंखलता सभी का मूल कारण 'धर्म' के 'मर्म'को न समझना है। 


'धर्म=सत्य,अहिंसा (मनसा-वाचा-कर्मणा),अस्तेय,अपरिग्रह और ब्रह्मचर्य'। इनको ठुकरा कर जब 'ढोंग-पाखंड-आडंबर' को धर्म का नाम दिया जाएगा और शोषकों -लुटेरों -व्यापारियों- उद्योगपतियों के दलालों को साधू-सन्यासी माना जाएगा एवं पूंजी (धन)को पूजा जाएगा तो समाज वैसा ही होगा जैसा चल रहा है। आवश्यकता है उत्पीड़नकारी व्यापारियों/उद्योगपतियों तथा उनके दलाल पुरोहितों/पुरोहित् वादियों का पर्दाफाश करके जनता को उनसे दूर रह कर वास्तविक 'धर्म' का पालन करने हेतु समझाने की।
'देवता=जो देता है और लेता नहीं है जैसे-वृक्ष,नदी,समुद्र,आकाश,मेघ-बादल,अग्नि,जल आदि' और 'भगवान=भ (भूमि)+ग (गगन-आकाश)+व (वायु-हवा)+I(अनल-अग्नि)+न (नीर-जल)'चूंकि ये प्रकृति तत्व खुद ही बने हैं इनको किसी ने बनाया नहीं है इसीलिए ये ही 'खुदा' हैं। इन प्रकृति तत्वों का कार्य G(जेनरेट-उत्पत्ति)+O(आपरेट-पालन)+D (डेसट्राय-संहार)। अतः झगड़ा किस बात का?यदि है तो वह व्यापारिक/आर्थिक हितों के टकराव का है अतः 'शोषण/उत्पीड़न'को समाप्त कर वास्तविक 'धर्म' के 'मर्म' को समझना और समझाना ही एकमात्र हल है।


आजकल ब्लाग और फेसबुक  तथा अखबारों में भी बेवजह खुराफ़ातों को धर्म का सम्बोधन देते हुये आपस मे कलह की बातें करते देखा जा सकता है या फिर प्रगतिशीलता/वैज्ञानिकता की आधारहीन बातों के आधार पर 'धर्म' और 'भगवान' की आलोचना करते। ये पढे-लिखे लोग खुद भी यथार्थ-सत्य को समझने व मानने को तैयार नहीं हैं तब जनता को कौन समझाएगा?


 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

Wednesday 24 April 2013

बलात्कार ... भ्रष्टाचार का वंशज है?---डॉ डंडा लखनवी

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Danda Lakhnavi's status.
बलात्कार ... भ्रष्टाचार का वंशज है?
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आजकल भ्रष्टाचार और बलात्कार मीडिया का ज्वलंत मुद्दा है। इस मुद्दे पर होटलों, ढाबों, चौपालों आदि में खूब बहसें होती हैं| भारतीय समाज में यह अवगुण गेहूँ में घुन की तरह है| अधिकांश नागरिक किसी न किसी रूप में इससे आहत हैं| प्रश्न उठता है कि ‘भ्रष्टाचार’ क्या है? यह ‘भ्रष्ट’ और ‘आचार’ शब्दों का युग्म है| भ्रष्ट शब्द का अर्थ होता है- शीलहीन, निंदनीय, दुश्चरित्र, पतित, नीतिपथ से गिरा हुआ है। वहीं ‘आचार’ शब्द से आचरण, व्यवहार, चाल-चलन, स्वभाव, चरित्र, रहन-सहन आदि का बोध होता है। इस प्रकार भ्रष्टाचार के अंतर्गत वे सभी कार्य समाहित हो जाते हैं जो विधि-सम्मत एवं लोक- स्वीकृत नहीं होते हैं| जब कोई नागरिक इन्हें अपनाता है तो अन्य नागरिकों के हितों को चोट पहुँचती है| संक्षेप में भ्रष्टाचार राज्य प्रदत मौलि़क अधिकारों का दुरुपयोग है| ‘छल’ भ्रष्टाचार का मूल है| भ्रष्टाचारी-व्यक्ति, समाज तथा राष्ट्र को छलता है| उसे अच्छी स्थिति में पाकर अन्य लोग उसकी नक़ल करने लगते हैं| जब समाज में छलियों / कदाचारियों की बाढ़ आ जाती है तो हजारों वर्षों में विकसित सभ्यता और सांस्कृतिक के सर्वमान्य मूल्य ढह जाते हैं| मानव-मानव के बीच अविश्वास की दीवारें खड़ी हो जाती हैं| सामाजिक समरसता छिन्न-भिन्न हो जाती है| शोषण भ्रष्टाचार का पुराना संस्करण है| सामंती युग में मानवाधिकारों की घोर उपेक्षा हुई है| उस युग में शोषण के तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जाते रहे हैं| यद्यपि समय-समय पर अनेक सुधारवादी आंदोलन हुए किन्तु भ्रष्टाचारियों की चालों के आगे वे बौने सिद्ध हुए| लोकतंत्र में भी मानवाधिकारों को बलात्कारी ठेस पहुंच रहे हैं| गांवों में सामंती लक्षण शहर की अपेक्षा अधिक हैं| वहाँ मानवाधिकारों का हनन भी अधिक होता है| जब कोई कदाचारी व्यक्ति किसी नारी के साथ दुराचार करता है तो उसका प्रमुख हथियार छल होता है|
 
 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

Sunday 14 April 2013

डॉ अंबेडकर --- विजय राजबली माथुर

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 14 अप्रैल,1990 को 'सप्तदिवा',आगरा मे प्रकाशित मेरा लेख-










 हिंदुस्तान,लखनऊ,14 अप्रैल 2013 के समपादकीय पृष्ठ पर-




14-04-2018 

संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर
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फेसबुक पर प्राप्त टिप्पणी :
14-04-2015 ---


14-04-2016 

16-04-2016 

Saturday 13 April 2013

प्राण साहब को फाल्के सम्मान मुबारक हो

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आगामी तीन मई 2013 को दिल्ली के विज्ञान भवन मे प्राण साहब को 'दादा साहब फाल्के' सम्मान प्रदान किया जाएगा। हम इस हेतु उनको व उनके समस्त प्रशंसकों को हार्दिक बधाई देते हैं एवं प्राण साहब के उत्तम स्वास्थ्य तथा दीर्घायुष्य की मंगल कामना करते हैं। 



















संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

Friday 12 April 2013

पास्को विरोधी संघर्ष के साथ एकजुटता

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लखनऊ 12 अप्रैल। पास्को विरोधी संघर्ष के साथ एकजुटता दिवस पर प्रदर्शन करते हुए उत्तर प्रदेश विधान सभा के सामने जिला मंत्री मो ख़ालिक़ के नेतृत्व मे लखनऊ के कोने -कोने से आए मजदूर,किसान,महिलाओं ने गगनभेदी नारे लगाते हुए का. आशा मिश्रा की अध्यक्षता मे धरना दिया। धरने को संबोधित करते हुए का. परमानंद द्विवेदी ने कहा कि उड़ीसा की सरकार ने किसानों की बेशकीमती उपजाऊ भूमि व पर्यावरण को शुद्ध बनाए रखने वाले जंगलों को कॉर्पोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने हेतु कोरिया की स्टील कंपनी को कौड़ियों के भाव भूमि अधिग्रहण कर किसानों को बेरोजगार कर व पीढ़ी दर पीढ़ी बर्बाद करने के लिए कमर कस लिया है। और आंदोलनकारी किसानों के नेताओं पर बेबुनियाद हजारों मुकदमे व तमाम किसानों की हत्याएँ भी की गई हैं। जिसे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी कतई बर्दाश्त नहीं कर सकती और आंदोलन को और तेज किया जाएगा। मधुकर राम ने कहा कि केंद्र सरकार को किसानों को आठ वर्षों से चल रहे आंदोलन की समाप्ति करने हेतु हस्तक्षेप कर पास्को के लिए भूमि अधिग्रहण को तत्काल रोकना चाहिए। का. मो.अकरम ने कहा कि भारत की नव उदारवादी आर्थिक नीतियों ने देश में भ्रष्टाचार को जन्म दिया है। जिसके खिलाफ जनता को लामबंद हो कर मूल रूप से व्यवस्था को बदलने की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होने कहा कि जिससे लोकतन्त्र के निचले पायदान पर खड़े व्यक्ति को भी आजादी का लाभ मिल सके। का.विजय माथुर ने धरने को संबोधित करते हुए कहा कि आज की सरकारें धर्म के आडंबर का सहारा ले कर विकृत राजनीति कर सत्ता हथिया लेती हैं और बड़े भू-माफियाओं व धनवानो को पैदा करने मे मदद करती हैं।उन्होने कहा कि,50 वर्षों के लिए कोरिया की कंपनी को उड़ीसा की कृषी उपयोगी उपजाऊ भूमि को लीज़ पर तो दे दिया गया है परंतु किसानो और कृषी मजदूरों के पुनर्वास का कोई प्रबंध नहीं किया गया है । वहाँ 8 वर्षों से हमारी पार्टी इकाई संघर्ष कर रही है और आज के दिन सारे भारत मे हमारी पार्टी उनके साथ एकजुट्टता का प्रदर्शन कर रही है तथा हमे उम्मीद है कि हम शीघ्र ही सफल होंगे। अंत में धरने को समाप्त करते हुए का. आशा मिश्रा ने कहा कि आज भारत के तमाम राज्यों की सरकारें गरीब किसानों की भूमि को अधिग्रहण कर बड़ी-बड़ी कंपनियों,बिल्डर्स व कॉर्पोरेट घरानों को दे कर बड़ा मुनाफा कमा रही हैं। वस्तुतः वे सरकार न चलाकर व्यापार कर रही हैं। अंत मे का. मो. ख़ालिक़ ने छः सूत्री निम्नलिखित बिन्दुओं का राष्ट्रपति को संबोधित माँगपत्र श्रीमान जिलाधिकारी महोदय को सौंपा। मांग पत्र में पास्को के विरोध में चल रहे जन आंदोलन में हुई क्षति को क्षति पूर्ति किया जाये। विदेशी स्टील कंपनी पास्को के लिए किसानों की भूमि अधिग्रहण कदापि न किया जाए। पास्को परियोजना रद्द किया जाए। पिछले पास्कों विरोधी आंदोलन कारियों की हत्या की साजिश को बेनकाब कर हत्यारों को गिरफ्तार किया जाए। मृतक किसानों के परिवारों को पर्याप्त मुआवजा दिया जाय। आंदोलन में समर्पित नेताओं पर लगे फर्जी मुकदमों को वापस लिया जाए। सभा को कान्ति मिश्रा,के सचान,अशोक रावत,महेंद्र रावत,बलवन्त लोधी तथा अन्य नेताओं ने भी संबोधित किया।

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फेसबुक -स्थिति---

संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

Thursday 4 April 2013

विकास सहयात्री मे प्रकाशित लेख---विजय राजबली माथुर

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पटना से प्रकाशित होने वाली  त्रै मासिकी-विकास सहयात्री ,मार्च 2013 मे प्रकाशित लेख।
 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर