Sunday, 29 April 2012

रेखा को राज्य सभा मे सांसद मनोनीत करने का विरोध क्यों?

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हिंदुस्तान,लखनऊ,27-04-2012 


सचिन और रेखा को राष्ट्रपति महोदया द्वारा राज्य सभा मे बतौर सांसद खिलाड़ी और कलाकार होने के नाते मनोनीत किया गया है। किन्तु ब्लाग जगत मे ही नहीं प्रिंट मीडिया मे भी दोनों के चयन की तीखी आलोचना हो रही है।

हिंदुस्तान के प्रधान संपादक शशि शेखर साहब ने तो आज (29-04-2012)के अपने समपादकीय का विषय ही इन दोनों के मनोनयन को चुना है जबकि इनही के साथ चुनी गई अनु आगा जी के विषय मे कोई कुछ नही कह रहा है। एक चेनल के अधिकारी के ब्लाग पर तो व्यंग्य की पराकाष्ठा ही हो गई,देखें-



Replies

  1. आप जल्दी राज्यसभा में पहुंचें,
    मेरी भी शुभकामना है

    प्रत्येक व्यक्ति अपने पूर्व जन्म के संस्कारों के आधार पर इस जन्म के समय स्थित ग्रहों के अनुसार ही अच्छा /बुरा फल प्राप्त  करता है। दूसरों के चिढ़ने/कुढ़ने से उसके पूर्व संस्कार कम/ज्यादा नहीं हो सकते। मैंने 19-04-2012 को 'रेखा' के राजनीति मे आने की संभावना व्यक्त की थी और इसकी घोषणा 26-04-2012 को हो गई। पूरी तरह ग्रहों पर निर्भर है इसी प्रकार सचिन के ग्रह 'राजनीति' के रहे होंगे तो क्या चिढ़ोक्ररों के कोसने से उनका फल नहीं मिलता?केवल 'कायर' ही राजनीति और राजनेताओं का विरोध करते हैं।
    http://krantiswar.blogspot.in/2012/04/blog-post_19.html
एक दूसरे ब्लाग पर उक्त ब्लागर की टिप्पणी इसलिए उद्धृत की है कि सभी को पता चल जाये कि उक्त ब्लागर मेरे विश्लेषण को किस कदर गलत साबित करने पर उतारू रहा कि विश्लेषण एक सप्ताह मे ही सही सिद्ध होने पर बौखलाहट मे अपनी तुलना 'रेखा' से करने की ज़रूरत पड़ गई। कौन सी  पार्टी आत्मघाती कदम (अपनी पार्टी को तहस-नहस करने और अपनी सरकार की छीछालेदार करवाना) उठाना चाहेगी जो उक्त ब्लागर को  राज्य-सभा सदस्य बनवाएगी ? क्योंकि उक्त ब्लागर तो अपनी ही संतानों का भी सगा नहीं है जो 'राष्ट्र और समाज' की सेवा क्या खाकर करेगा?आत्म-भंजक पार्टी से मै भी उक्त ब्लागर को राज्य सभा मे भिजवाने की सिफ़ारिश करता हूँ । 


चेतन चौहान और कीर्ति आज़ाद को भाजपा ने सांसद बनवाया और अजहरुद्दीन को कांग्रेस ने तब किसी ने आपत्ति नहीं की तो फिर सचिन पर क्यों? सुश्री शबाना आज़मी को इंदर कुमार गुजराल साहब ने और लता मंगेशकर जी को ए बी बाजपाई साहब ने राज्य सभा मे मनोनीत कराया तो भी कोई आपत्ति नहीं हुई। किन्तु 'रेखा' के मनोनयन पर बावेला मचाया जा रहा है क्योंकि उन्होने 'संघर्ष' के बल पर अपना स्थान बनाया है।

मैंने 'रेखा' के ग्रहों का ज्योतिषीय विश्लेषण करके एक लेख 'क्रांतिस्वर' पर 19-04-2012 को प्रकाशित किया था और उसका लिंक दिग्विजय सिंह जी और राहुल गांधी साहब के फेसबुक वाल पर पेस्ट कर दिया था। इसके ठीक एक सप्ताह बाद 26-04-2012  राष्ट्रपति महोदया ने 'रेखा' को राज्य सभा मे मनोनीत करने की घोषणा कर दी। इसी के साथ 'रेखा' के मनोनयन पर प्रश्न-चिन्ह लगने  प्रारम्भ हो गए। नीचे उस विश्लेषण को उद्धृत किया जा रहा है जिसके द्वारा 'रेखा' के राजनीतिक योगों को स्पष्ट समझने मे मदद मिलेगी।


बृहस्पतिवार, 19 अप्रैल 2012


रेखा -राजनीति मे आने की सम्भावना

सुप्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री 'रेखा'
हिंदुस्तान,आगरा,03 जून 2007 मे प्रकाशित 'रेखा'की जन्म कुंडली 

सुप्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री 'रेखा' किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। उनके पिता सुप्रसिद्ध फिल्म अभिनेता 'जेमिनी' गनेशन ने उनकी माता सुप्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री पुष्पावल्ली से विधिवत विवाह नहीं किया था। उन्हें पिता का सुख प्राप्त नहीं हुआ और न ही पिता का धन ही प्राप्त हुआ। कुल-खानदान से भी लाभ नहीं मिला और समाज से भी आलोचनाओ का सामना करना पड़ा। इतनी जानकारी पत्र-पत्रिकाओं मे छ्पी है। किन्तु ऐसा क्यों हुआ हम ज्योतिष के आधार पर देखेंगे।

धनु लग्न और कुम्भ राशि मे जन्मी रेखा घोर 'मंगली'हैं और उनके द्वादश भाव मे 'शुक्र'ग्रह स्थित है जिसने उन्हे परिवार व समाज से लाभ नहीं प्राप्त होने दिया है। उनके दशम भाव मे जो पिता,कर्म व राज्य का हेतु होता है -कन्या राशि का सूर्य है। इस भाव मे सूर्य की स्थिति उनकी माता और पिता के विचारों मे असमानता का द्योतक है। इसी सूर्य ने उनकी माता को उनके पिता से अलग रखा और इसी सूर्य ने उन्हें खुद को पिता,परिवार व कुल से लाभ नहीं मिलने दिया। तृतीय भाव मे चंद्र ने बैठ कर कुटुंब सुख को और कम किया तथा पति भाव-सप्तम मे बैठ कर 'केतू' ने पति-सुख से वंचित रखा। द्वादश भाव मे 'शुक्र' मंगल की वृश्चिक राशि मे स्थित है जो जीवन भर 'उपद्रव'कराने वाला है और इसी ने उन्हें व्यसनी भी बनाया।

लग्न मे बैठे 'मंगल' की दृष्टि ने वैवाहिक सुख तो नहीं मिलने दिया किन्तु कला-ज्ञान और धन की प्रचुरता उसी ने उपलब्ध कारवाई। लग्न मे ही बैठे 'राहू' ने उन्हें शारीरिक 'स्थूलता' प्रदान की थी जिसे उन्होने अपने प्रयासों से नियंत्रित कर लिया है। यही 'राहू'  उन्हें छोटी परंतु पैनी आँखें ,संकरा तथा अंदर खिचा हुआ सीना,चालाकी तथा ऐय्याशी भी प्रदान कर रहा है।

तृतीय भाव मे बैठा चंद्र 'रेखा' को अल्पभाषी,व म्रदुल व्यवहार वाला भी बना रहा है जिसके प्रभाव से वह कम से कम बोल कर अधिक से अधिक कार्य करके दिखा सकी हैं। अष्टम भाव मे उच्च का ब्रहस्पति उन्हें दीर्घायु भी प्रदान कर रहा है तथा धनवान व स्वस्थ भी रख रहा है।

राज योग 

दशम भाव मे कन्या राशि का सूर्य 'रेखा' को 'राज्य-भंग ' योग भी प्रदान कर रहा है। इसका अर्थ हुआ कि पहले उन्हें 'राज्य-सुख 'और 'राज्य से धन'प्राप्ति होगी फिर उसके बाद ही वह भंग हो सकता है। लग्न मे बैठा 'राहू' भी उन्हें राजनीति-निपुण बना रहा है। एकादश भाव मे बैठा उच्च का 'शनि' उन्हें 'कुशल प्रशासक' बनने की क्षमता प्रदान कर रहा है। नवम  भाव मे 'सिंह' राशि का होना जीवन के उत्तरार्द्ध मे सफलता का द्योतक है। अभी वह कुंडली के दशम भाव मे 58 वे वर्ष मे चल रही हैं और आगामी जन्मदिन के बाद एकादश भाव मे 59 वे वर्ष मे प्रवेश करेंगी। समय उनके लिए अनुकूल चल रहा है।

राज्येश'बुध' की महादशा मे 12 अगस्त 2010 से 23 फरवरी 2017 तक की अंतर्दशाये भाग्योदय कारक,अनुकूल सुखदायक और उन्नति प्रदान करने वाली हैं। 24 फरवरी 2017 से 29 जून 2017 तक बुध मे 'सूर्य' की अंतर्दशा रहेगी जो लाभदायक राज्योन्नति प्रदान करने वाली होगी।

अभी तक रेखा के किसी भी राजनीतिक रुझान की कोई जानकारी किसी भी माध्यम से प्रकाश मे नहीं आई है ,किन्तु उनकी कुंडली मे प्रबल राज्य-योग हैं। जब ग्रहों के दूसरे परिणाम चरितार्थ हुये हैं तो निश्चित रूप से इस राज्य-योग का भी लाभ मिलना ही चाहिए। हम 'रेखा' के राजनीतिक रूप से भी सफल होने की मंगलकामना करते हैं।
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संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

Thursday, 19 April 2012

पूंजीवादी मार्कस्वाद

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महावीर 'जिन'ने मूर्ती पूजा और पाखंडवाद का विरोध किया और आज उनकी मूर्तियाँ पाखंड का प्रचार करती हुई मिल जाईंगी। सिद्धार्थ गौतम ने मूढ़ता का विरोध किया उन्हीं महात्मा 'बुध' की मूर्तियाँ मूढ़ताओं का प्रचार करती मिल जाएंगी। 'अवतारवाद' का विरोध करने वाले गौतम बुध खुद ही 'अवतार' घोषित हो गए। जीवन पर्यंत पूंजीवाद का विरोध करने वाले 'महर्षि कार्ल मार्क्स'को आज पूंजीवाद अपने अस्तित्व की रक्षा हेतु पूज रहा है। 1990 मे प्रकाशित लिंक्ड -लेख मे मैंने भारतीय परिस्थितियों मे ही मार्कस्वाद के सफल होने का संकेत किया था। लेकिन अफसोस कि मार्क्स के अनुयायी इसे मानने को तैयार नहीं। फिर तो पूंजीवादी मार्क्स के विचारों का अपने अनुकूल प्रचार करने मे कामयाब होंगे ही।








 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

Monday, 16 April 2012

kamal haasan

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 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

Monday, 2 April 2012

आक्सीजन की चिंता

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हिंदुस्तान-लखनऊ-28/03/2011 


 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर