Thursday, 19 April 2012

पूंजीवादी मार्कस्वाद

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महावीर 'जिन'ने मूर्ती पूजा और पाखंडवाद का विरोध किया और आज उनकी मूर्तियाँ पाखंड का प्रचार करती हुई मिल जाईंगी। सिद्धार्थ गौतम ने मूढ़ता का विरोध किया उन्हीं महात्मा 'बुध' की मूर्तियाँ मूढ़ताओं का प्रचार करती मिल जाएंगी। 'अवतारवाद' का विरोध करने वाले गौतम बुध खुद ही 'अवतार' घोषित हो गए। जीवन पर्यंत पूंजीवाद का विरोध करने वाले 'महर्षि कार्ल मार्क्स'को आज पूंजीवाद अपने अस्तित्व की रक्षा हेतु पूज रहा है। 1990 मे प्रकाशित लिंक्ड -लेख मे मैंने भारतीय परिस्थितियों मे ही मार्कस्वाद के सफल होने का संकेत किया था। लेकिन अफसोस कि मार्क्स के अनुयायी इसे मानने को तैयार नहीं। फिर तो पूंजीवादी मार्क्स के विचारों का अपने अनुकूल प्रचार करने मे कामयाब होंगे ही।








 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

1 comment:

  1. फेसबुक पर प्राप्त टिप्पणी:
    Anita Rathi---" really enhances the knowledge about the matters of deep understandings. Though Knowledge society treats Karl Marx as theorist but what i believe is .... that ... now it is demand of the time that we should rethingk over the matters , polish the set theories as per their contemporary contexts. .. thank You so much for the post."

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