Saturday 23 January 2016

रोहित वेमुला को लेकर मोदी सरकार की राजनीतिक हत्यारी संस्कृति के खिलाफ प्रतिरोध मार्च ------ Kaushal Kishor



रोहित वेमुला की आत्महत्या को लेकर
मोदी सरकार की राजनीतिक हत्यारी संस्कृति के खिलाफ वामपंथी दलों, जन संगठनों और बुद्धिजीवियों ने लखनऊ मे निकाला प्रतिरोध मार्च
लखनऊ, 23 जनवरी। हैदराबाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय के दलित शोध छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या की धटना के विरोध में तथा मोदी सरकार की हत्यारी राजनीतिक संस्कृति के खिलाफ आज शनिवार को वामपंथी दलों और जन संगठनों की ओर से संयुक्त प्रतिरोध मार्च निकाला गया। मार्च परिवर्तन चौक से चलकर जीपीओ पार्क पहुंच कर सभा में बदल गया। इसमें वामपंथी दलों व जन संगठनों के कार्यकर्ताओं के साथ छात्रों, महिलाओं, संस्कृतिकर्मियों और बुद्धिजीवियों ने भी भाग लिया। प्रदर्शनकारी अपने हाथों में मोदी सरकार की हत्यारी संस्कृति के विरोध में नारे लिखे तख्तियां लिये थे। मार्च का नेतृत्व भाकपा (माले) के जिला प्रभारी कामरेड रमेश सिंह सेंगर, माकपा की नेता कामरेड मधु गर्ग और भाकपा के जिला मंत्री कामरेड मो खालिद द्वारा किया गया।
इस अवसर पर हुई सभा को जाने माने आलोचक वीरेन्द्र यादव, जन संस्कृति मंच के प्रदेश अध्यक्ष कौशल किशोर, इप्टा के महासचिव राकेश, जनवादी लेखक संघ के सचिव नलिन रंजन सिंह, एपवा की प्रदेश अध्यक्ष ताहिरा हसन, माकपा के नेता प्रशान्त सिंह, एडवा की रूपा सिंह, भाकपा के जिला मंत्री मो खालिद आदि ने संबोधित किया। सभा की अध्यक्षता भाकपा माले के जिला प्रभारी रमेश सिंह सेंगर ने किया तथा संचालन किया माले के युवा नेता राजीव गुप्ता ने।
वक्ताओं का कहना था कि जिन हालातों में रोहित वेमुला को आत्महत्या के लिए बाध्य किया गया, वह आत्महत्या न होकर हत्या है जिसके लिए केन्द्र सरकार के मंत्री और विश्वविद्यालय के कुलपति जिम्मेदार है। वक्ताओं का यह भी कहना था कि मोदी सरकार जिस तरह शैक्षणिक संस्थानों का भगवाकरण में लगी है उससे इनकी स्वयत्ता तथा गुणवत्ता खतरे में पड़ गई है। लखनऊ विश्वविद्यालय भी इसका शिकर है। घृणा व भय का ही वातावरण नहीं तैयार किया जा रहा बल्कि आम लोगों के जीने के अधिकार पर हमले हो रहे हैं, तर्क व विवेकशील लोगों की हत्या की जा रही है। इस फासीवादी निजाम को लेकर प्रगतिशील व जनवादी दलों और बुद्धिजीवियों में जबरदस्त रोष है। कल अम्बेडकर विश्वविद्यालय में प्रधानमंत्री मोदी का वहां के छात्रों द्वारा विरोध उसी का उदाहरण है। सभा में ये छात्र भी मौजूद थे। इनका यहां अभिनन्दन भी किया गया।
आज के प्रतिरोध मार्च के माध्यम से मांग की गई कि रोहित वेमुला के लिए जिम्मेदार केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति इरानी, श्रम राज्यमंत्री बंडारू दत्तात्रेय व विश्वविद्यालय के कुलपति को बर्खास्त कर उन्हें गिरफ्तारी किया जाय, शैक्षणिक संस्थानों की स्वायत्ता बहाल हो, उनका भगवाकरण न किया जाय, लोकतांत्रिक अधिकारों व स्वतंत्रता पर हमले बंद हो तथा घृणा व उन्माद फैलाने वाले सांप्रदायिक संगठनों की फासिस्ट कार्रवाइयों पर रोक लगे। कल प्रधानमंत्री का विरोध करने वाले अम्बेडकर विश्वविद्यालय के छात्रो की गिरफ्तारी की भी निन्दा की गई तथा मांग की गई कि उन पर कायम मुकदमें वापस लिये जाय।ं
इस मार्च में कवि भगवान स्वरूप कटियार, शकील सिद्दीकी, एस आर दारापुरी, रिहाई मंच के शाहनवाज आलम, बी एन गौड़, के के चतुर्वेदी, उमेश चन्द्र नागवंशी,  नाइश हसन, सीमा राना, कलम के रिषी श्रीवास्तव, निर्माण मजदूरों के नेता सुरेन्द्र प्रसाद, रंगकर्मी कल्पना पाण्डेय, एपवा की विमला किशोर, आइसा की पूजा शुक्ला सहित बड़ी संख्या में छात्रों, महिलाओं और सामाजिक व राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया।



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