Saturday, 30 April 2016

बिपन चन्द्र के खिलाफ संघ की साजिश ------ आदित्य मुखर्जी / सौरभ बाजपेयी

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Saurabh Bajpai
April 28  · 

कृपया इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करें ताकि बिपन चन्द्र के खिलाफ संघ की साजिश बेनकाब हो जाए...
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यह बिपन चन्द्र का 1 नवंबर 2007 का स्टेटमेंट है जो टाइम्स ऑफ़ इंडिया में प्रकाशित हुआ था. इसमें वो साफ़-साफ़ कहते हैं कि यह टर्म पहले इज़्ज़त के साथ प्रयोग किया जाता था। लेकिन अब आतंकवाद शब्द के साथ बहुत नकारात्मक भाव जुड़ गया है इसलिए वो भविष्य में इस शब्द का हरगिज़ प्रयोग नहीं करेंगे. सोच में इस परिवर्तन को वो क्या समझेंगे जिनकी सोच 1925 से आज तक नहीं बदली है.
https://www.facebook.com/photo.php?fbid=1137293679626220&set=a.181882891833975.38332.100000367971889&type=3&permPage=1



    संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त यश

Tuesday, 26 April 2016

किसान बजट भी संसद में प्रस्तुत किया जाय ------ अतुल कुमार सिंह 'अंजान '

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राष्ट्रीय महासचिव - किसानसभा कामरेड अतुल कुमार सिंह 'अंजान ' 








उ.प्र.किसान सभा के प्रदेश सचिव व पूर्व विधायक राजेंद्र यादव की नैतृत्व में गाजीपुर से निकली किसान जन जागरण यात्रा बुधवार को मऊ के कलेक्ट्रेट में पहुंची। किसान सभा के महा सचिव अतुल कुमार अनजान के कहा कि अखिल भारतीय किसान सभा ने राजेंद्र यादव की अगुवायी में नंदगंज चीनी मिल गाजीपुर के सामने एक महीने तक अनवरत धरना व 15 दिन तक सरजू  पांडे पार्क में क्रमिक धरना चलाया जो की ऐतिहासिक आंदोलन था जिसमे हर दल के लोग सामिल हुए ।
उन्होंने कहा कि गन्ना सचिव व राज्य सरकार के आश्वासन के बाद भी बंद पड़ी मिलें चालू नहीं हो सकीं। कहा कि प्रदेश में सडकों की स्थिति सबसे अधिक दयनीय है। अनियमित विद्युत कटौती से प्रदेश का किसान ;व्यापारी ;छात्र; महिलायें सभी परेशान हैं।
नहरों में टेल तक पानी नहीं पहुंच पा रहा। इस साल दैवीय आपदा के कारण किसानों की फसल बीमा व फसल मुवावजा तो केंद्र और राज्य सरकार द्वारा घोषित धनराशि का लाभ प्रदेश के 70 प्रतिशत किसानों को नहीं मिल रहा है।
किसान सभा जनजागरण यात्रा की प्रमुख मागों को बताते हुए अतुल कुमार अनजान ने बताया कि 60 साल से अधिक उम्र के सभी किसान, मजदूर ,बडई, शिल्पकार,स्त्री-पुरुष को 6000 रूपये मासिक पेन्शन प्रदेश व केंद्र सरकार मिलकर दे ।
प्रदेश में रवी व खरीफ की फसल बर्बाद होने के बाद प्रदेश व केंद्र सरकार ने छतिपूर्ति देने का वादा किया था लेकिन अब तक 30 प्रतिशत किसानों को ही मिल पाया है जिससे किसानो में रोष व्याप्त है।
गन्ने का समर्थन मूल्य 450 रुपया कुंतल दिया जाए तथा गन्ने की बकाया राशि ब्याज के साथ दिया जाय। देवकली पम्प कैनाल व शारदा सहायक परियोजनाओं की अधिकांश नहरें पट गयी हैं,इनके टेल तक सफाई कराकर पानी पहुंचाया जाए। 
नन्दगंज ,रसड़ा ,छाता,देवरिया ,शाहगंज चीनी मिलों को चालू कराया जाय। स्वामीनाथ रिपोर्ट को लागू किया जाय। फसलों के लाभकारी मूल्य में 50 प्रतिशत लाभ जोड़कर दिया जाय। फसल बर्बादी एवम फसल बीमा का पैसा किसानों को तत्काल दिया जाय।
रेल बजट की तरह किसान बजट भी संसद में प्रस्तुत किया जाय। जो किसान नहरी एरिया से बाहर हैं उनको 80 प्रतिशत सब्सिडी पर सोलर सबमर्सिबल बिजली पम्प अथवा डीजल इंजन दिये जायं। पदेश की छोटो नदियों में डैम बनाकर पानी का संचय किया जाय।

मांगो को लेकर आज किसान सभा ने कलेक्ट्रेट में सभा किया।
Rajendra Yadav Ex Mla

https://www.facebook.com/groups/794417660591110/permalink/1175955229104016/




मछली शहर - विश्व नाथ शास्त्री जी , पूर्व सांसद 




संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त यश

Friday, 22 April 2016

किसानों का उत्तर प्रदेश विधानसभा पर विशाल प्रदर्शन : कामरेड अतुल अंजान का आह्वान

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12 अप्रैल 2016 को सरजू पांडे पार्क,गाजीपुर में किसानसभा के राष्ट्रीय महासचिव कामरेड अतुल अंजान का सम्बोधन 



तरवान बाज़ार में,22 अप्रैल को कामरेड विश्वनाथ शास्त्री,पूर्व सांसद का सम्बोधन 

किसानसभा के राष्ट्रीय महासचिव एवं भाकपा के राष्ट्रीय सचिव  कामरेड अतुल अंजान ने 10 अप्रैल 2016 से 'किसान जागरण यात्रा ' का प्रारम्भ किया है जो 20 मई को विधान सभा पर  लखनऊ में सम्पन्न होगी। 


 इस क्रम में 12 अप्रैल को गाजीपुर   जिला मुख्यालय स्थित सरजू पांडेय पार्क में  बड़ी संख्या में किसानों ने प्रदर्शन किया। धरने  को संबोधित करते हुये  कामरेड अंजान  ने  कहा कि यूपी का सरकारी अमला जूताखोर हो गया है। उन्हें महाराष्ट्र के जल संकट से सबक लेना चाहिए। अफसर सरकार की नीतियों को अमल में नहीं ला रहे हैं। सीएम को उन पर कार्रवाई करनी चाहिए।

उन्होंने कहाकि सरकारों की नजर में विजय माल्या देशभक्त हैं, जो जनता को शराब पिलाकर सरकारों को विदेशी मुद्रा देता है। शायद यही कारण है कि खेती के लिए सरकारी बैंक से मामूली कर्ज लेने वाले किसान की जमीन कर्ज चुकता न कर पाने पर कुर्क कर ली जाती है, जबकि वि‍जय माल्या देश का सात हजार करोड़ रुपए कर्ज के रुप में लेकर फरार हो जाता है। लेकिन सरकार उस पर कार्रवाई नहीं करती है।

कामरेड  अतुल अंजान ने कहाकि सरकार अपने - अपने बजट को किसानों का बजट बता रही है। लेकिन किसानों को लाभ पहुंचाने वाली योजनाएं और कार्यक्रम नजर नहीं आ रहे हैं।


उन्होने कहा कि केंद्र सरकार 1922 तक किसानों की आमदनी दोगुना करने की बात कर रही है। लेकिन यह बता पाने में असमर्थ है कि यह होगा कैसे ? भारत के विकास का नारा चंद कारपोरेट घरानों के लिए है। देश की 65 से 70 प्रतिशत आबादी के लिए नहीं है। इन लोगों के विकास के बिना तरक्की का नारा पूर्ण रुप से बेइमानी है।  उन्होने  किसानों व आम जनता का आह्वान किया  कि, 20 मई को लखनऊ विधानसभा के सामने प्रदर्शन में अधिक से अधिक संख्या में एकत्र  हों  जिससे प्रदेश और देश की सरकारों  के कानों पर जूं रेंगे और हमारी मांगे पूरी हों।

15 अप्रैल 2016 को मधुबन में कामरेड अतुल अंजान 


रानीपुर में कामरेड अर्चना उपाध्याय 


 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त यश

Thursday, 14 April 2016

"जिंदल ने मेरी ज़मीन छीनी,मार दिया भाई को, तार तार करदी आबरू मेरी" ------ तारिका

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"जिंदल ने मेरी ज़मीन छीनी,मार दिया भाई को, तार तार करदी आबरू मेरी"

 0   Abdullah Jan   April 12, 2016

यह कहानी रायगढ़ क्षेत्र की तारिका कि है। तारिका की ज़ुबानी सुनिए कि जिंदल समूह ने उनकी ज़मीन .. हथियाने के लिए उनपर किस किस प्रकार के ज़ुल्म ढाये और तत्कालीन सरकारी तंत्र ने कैसे इस पाप में भागीदारी ली



मेरे पापा सरकारी अधिकारी थे। 1998 में उनका देहांत हो गया। हमारी जमीन गांव से तीन किमी दूर है। वर्ष 2000 में जिंदल दो साथियों के साथ जमीन लेने आए थे, लेकिन तब मां ने मना कर दिया, क्योंकि वो पापा के निधन के बाद उस जमीन से हम दो भाई-बहिनों को संभाल रही थीं। हमें गांव तक बिजली लाने के लिए रिश्वत देनी पड़ी थी, लेकिन राज्य का निर्माण हमारे लिए दुखद दिन था। बिजली वायर चोरी हो गए। इसकी शिकायत की, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।

2003 में पता चला कि हमारी जमीन का अधिग्रहण होगा। सरपंच से पता चला कि पूंजीपथरा में जमीनों के अधिग्रहण को लेकर कोई ग्राम सभा नहीं हुई। कोटवार और एक आरक्षक ने मां को बताया कि हमारी जमीन अधिग्रहण दायरे में है, मुआवजा लेने आओ। मां ने आपत्ति की तो दबाव का खेल शुरू हुआ। एक रोज घर के बाड़े को तोड़ा जा रहा था, तब मां जो स्वयं सरकारी मुलाजिम थी, वह घरघोड़ा के एसडीएम सुनील जैन के पास सूचना देने गईं। मां शुगर और बीपी की मरीज है, लेकिन उन्हें वहां बंधक बना लिया गया। एक तरफ मां कैद थी तो दूसरी तरफ मैं अपने पति और भाई के साथ अपनी जमीन पर खड़ी थी। हम विरोध कर रहे थे कि जमीन पर बुलडोजर नहीं चलने देंगे।

उधर एसडीएम दफ्तर में मां को धमकी दी जा रही थी कि जमीन नहीं दोगी तो बच्चों पर बुलडोजर चढ़ा देंगे। दफ्तर के बाहर डीके भार्गव और राकेश जिन्दल, जो जिन्दल के दलाल थे, वे बैठे हुए थे। जब यह तय हो गया कि हम पर बुलडोजर चल जाएगा, तब मां ने हमें एसडीएम दफ्तर बुला लिया। हम चार घंटे तक वहां थे, हमारी जमीन पर बुलडोजर चल चुका था। आम-काजू के पेड़ बरबाद हो गए। वहां कच्ची सडक़ बन गई और गाडिय़ां आने-जाने लगीं।

भाई की हत्या को दुर्घटना में बदल दिया
मां ने सहमति पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए, पुलिसवाले मेरे भाई प्रवीण पर दबाव बनाने लगे। वे उसे हर दूसरे-तीसरे रोज थाने ले जाते थे, धूप में खड़ा रखते, मुर्गा बनाते। एक अप्रैल 2007 को भाई अपने दोस्तों के साथ तराईमाल गया। 2 अप्रैल की सुबह खबर मिली कि उसका एक्सीडेंट हो गया। मैं घटनास्थल पर पहुंची तो प्रवीण के साथ उसके दोस्तों की भी मौत हो चुकी थी। कहीं से भी नहीं लग रहा था कि वह एक एक्सीडेंट है। शासन-प्रशासन ने उनकी हत्या को एक्सीडेंट साबित कर दिया। हमारी आधी जमीन पर कब्जा हो चुका था। शिकायत करनी चाही तो मां पर ही शांति भंग का प्रकरण दर्ज कर दिया।

...और वो भयानक दिन
31 मई 2015 को मां के साथ पूंजीपथरा में थी। रात में तेज बुखार आया। सुबह अकेली ही इलाज के लिए घर से निकली। सडक़ पर खड़ी होकर बस का इन्तजार कर रही थी, तभी एक फोरव्हीलर आकर रुकी। ड्राइवर ने पूछा कि क्या तमनार जाना है। मैं गाड़ी में बैठ गई। मुझे पता नहीं चला, क्या हुआ...। होश आया तो कुछ आवाजें सुनीं। मेरे दोनों हाथ पलंग पर बंधे थे। कुछ लोग एक-दूसरे को मैनेजर-डायरेक्टर बोलकर बात कर रहे थे।

मैं चिल्लाई तो एक आदमी आया और उसने मेरे कंधों को पकडक़र कहा कि तुम्हारी जमीन हमारे कब्जे में है। तुम कलक्टर को लिख दो कि हम जमीन छोडक़र जा रहे हैं। जब उसने मुझे झकझोरा, तब मुझे पता चला कि मेरे शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था। मेरी आंखों पर पट्टी बंधी थी। वो जानवर मेरे हाथों में अपना गुप्तांग पकड़ा रहे थे। चिल्लाना चाहती थी लेकिन चिल्ला नहीं पा रही थी। इन जल्लादों की बात अगर मैं कहूं तो आप सभी अपना सिर शर्म से नीचे कर लेंगे। जब मेरी आंखों की पट्टी खुली तो मैंने कपड़े पहने। जल्लादों ने मुझे वहीं छोड़ दिया, जहां से लेकर आए थे। हम तीन जून को तमनार थाने गए तो मुंशी ने शिकायत रख ली। पांच जून को पुलिसवालों ने घर आकर मेरे पति को धमकाया कि ज्यादा नेतागिरी करोगे तो नक्सली बनाकर मार देंगे। मेरी कम्पलेन फाड़ दी।

जिंदा हूं, तब तक लडूंगी...
मैंने अपने छह साल के बच्चे को बाहर पढऩे भेज दिया। यह फैसला बेहद कठिन था। 2014 में तय किया कि मैं लड़ाई लडूंगी। सुप्रीम कोर्ट गई तो मेरा केस रजिस्ट्रार के पास ही खारिज हो गया। सात अप्रैल 2015 को मेरा केस फिर सुप्रीम कोर्ट में लगा। जो वकील जिन्दल के पक्ष में खड़े थे, वे कार्यक्रम में मौजूद हैं। उन्हें देखकर बेहद तकलीफ हुई। मेरी ओर से एक-दो वकील। और उसके लिए 20-20 वकील। कैसे मिलेगा साधारण इंसान को न्याय। जब मैं वहां से गुहार लगाकर लौटी तो कलक्टर ने मुझे दोबारा ज्वाइनिंग नहीं दी। ट्रांसफर कर दिया। वेतन नहीं दी जा रही। एफआईआर तक दर्ज नहीं, लेकिन मैं लड़ाई लडूंगी। जब तक मैं जिन्दा रहूंगी अपनी लड़ाई लडूंगी।

ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन के सचिव शौकत अली कहते हैं, तारिका हयूमन राइट लॉ नेटवर्क के माध्यम से कार्यक्रम में पहुंची थी। उसने कानूनविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के सामने जो कुछ बयां किया वह दिल को दहला देने वाला था। उसकी एक-एक बात अकल्पनीय है। तारिका ने सबके सामने जो कुछ कहा, वही पूंजीपथरा का सच है। हम उसके साथ हैं ၊ इस खबर को कवर किया है श्री राजकुमार सोनी  catchnews से



हिंदी उस्ताद कैच न्यूज़, पत्रिका न्यूज़ और हिमांशू कुमार का ख़ास धन्यवाद करता है


Sunday, 10 April 2016

लेखकीय सत्य ------ माता प्रसाद , पूर्व राज्यपाल

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 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त यश

Monday, 4 April 2016

इन्टरनेट से सावधानी और हिम्मत की दीवानी

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 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त यश

Saturday, 2 April 2016

वरना कल बहुत देर हो जायेगी! जो आग ये लगा रहे हैं, उसमें हमारे घर, हमारे लोग भी झुलसेंगे

देशभक्त यादगारी अभियान
देश कागज़ पर बना नक्शा नहीं होता…
सच्चे देशभक्तों को याद करो! नयी क्रान्ति की राह चुनो!

भाइयो! बहनो!

जब भी हम देशभक्ति के बारे में सोचते हैं, तो जो पहला नाम हमारे दिमाग़ में आता है वह है शहीदे-आज़म भगतसिंह और उनके साथियों राजगुरू, सुखदेव, चन्द्रशेखर आज़ाद, अशफ़ाक-उल्ला, बिस्मिल का नाम। अंग्रेज़ों की गुलामी और किसानों और मज़दूरों के शोषण के ख़ि‍लाफ़ इन्होंने एक महान लड़ाई लड़ी और उसके लिए बहादुरी के साथ अपने प्राण त्याग दिये।

शहीदे-आज़म भगतसिंह की देशभक्ति

भगतसिंह का मानना था कि देश का अर्थ कोई काग़ज़ी नक्शा नहीं। देश को मातृभूमि या पितृभूमि कहने का अर्थ कोई हवाई सोच नहीं है। माँ या पिता वे होते हैं जो बच्चे को भोजन, वस्त्र और शरण देते हैं। ऐसे में देश और देशभक्ति का अर्थ क्या है? देश के सच्चे माँ और पिता कौन हैं? वे जो देश को रोटी, कपड़ा और मकान मुहैया कराते हैं। ये लोग हैं इस देश के 84 करोड़ मज़दूर, मध्यवर्ग और ग़रीब किसान जो कि महँगाई, बेरोज़गारी, सूखे, अम्बानियों-अदानियों की लूट और सरकारी दमन का शिकार हो आत्महत्याएँ करने को मजबूर हैं। ये वे लोग हैं जो देश में सुई से लेकर जहाज़ तक बना रहे हैं। अगर ‘देश’, ‘राष्ट्र’, ‘भारत माता’, ‘हिन्द’, ‘भारत’ जैसे विशाल शब्दों का कोई सच्चा अर्थ है, तो वह ये ही लोग हैं! भगतसिंह का मानना था की देश का अर्थ ये ही मज़दूर, आम मेहनती लोग और किसान हैं। ऐसे में देशभक्ति का अर्थ क्या हुआ? यह कि इस अन्नदाता, वस्त्रदाता, शरणदाता आबादी को ग़रीबी, बेरोज़गारी, महँगाई और पूँजीपतियों की गुलामी से मुक्ति मिले। शहीदे-आज़म भगतसिंह ने इसीलिए कहा था कि हमारे लिए आज़ादी का मतलब केवल अंग्रेज़ों से आज़ादी नहीं है, बल्कि इस देश के मज़दूरों और किसानों को हर प्रकार की लूट और शोषण से आज़ादी दिलाना है।

संघ परिवार व मोदी के “राष्‍ट्रवाद” की नौटंकी

​आज पूरे देश में कुछ ताक़तें देशभक्ति और राष्ट्रवाद की ठेकेदार बने हुई हैं। ये देशभक्ति की नयी परिभाषा रच रही हैं। इनके अनुसार, जो मोदी सरकार और आर.एस.एस. की आलोचना करे, वह देशद्रोही है। लेकिन दोस्तो ज़रा सोचिये कि भाजपा और संघ परिवार के ये लोग देशभक्ति के ठेकेदार कब से बन गये? क्या आपको याद है कि भाजपा के मन्त्रियों ने कारगिल युद्ध के बाद मारे गये भारतीय सैनिकों के लिए ताबूत की ख़रीद में भी घोटाला कर दिया था? क्या आप भूल गये कि सेना के लिए ख़रीद में दलाली और रिश्वत खाते हुए भाजपा के अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण पकड़े गये थे? क्या आपको याद नहीं कि भाजपा के एक नेता दिलीप सिंह जूदेव कैमरा पर रिश्वत लेकर यह बोलते हुए पकड़े गये थे कि ‘पैसा खुदा नहीं तो खुदा से कम भी नहीं!’ क्या आपको याद नहीं है कि भाजपा की सरकार ने देश में पहली बार सरकारी नौकरियों को ख़त्म करने के लिए विनिवेश मन्त्रलय बनाया था? क्या हम भूल सकते हैं कि 1925 में अपनी स्थापना से 1947 में आज़ादी मिलने तक आर.एस.एस. ने हमेशा आज़ादी की लड़ाई विरोध किया था और इनके नेताओं ने भगतसिंह की शहादत को ‘बेकार की कुर्बानी’ बताया था? क्या आप भूल सकते हैं कि जिस समय भगतसिंह और उनके साथी अंग्रेज़ी हुकूमत से फाँसी की बजाय गोली मारे जाने की माँग करते हुए शहादत को गले लगा रहे थे, उस समय हिन्दू महासभा के सावरकर अण्डमान जेल से अंग्रेज़ी सरकार से माफ़ी माँगते हुए और कभी भी अंग्रेज़ों के विरुद्ध कोई गतिविधि न करने का वायदा करते हुए माप़फ़ीनामे पर माफ़ीनामे लिख रहे थे? क्या आपको पता है कि 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में जब देश के नौजवान उतर पड़े थे, तो अटलबिहारी वाजपेयी ने आन्दोलन में शामिल लोगों की मुखबिरी अंग्रेज़ों से की थी? आज़ादी के बाद जब कांग्रेस की इन्दिरा गाँधी की सरकार ने नौजवानों और मज़दूरों के आन्दोलन को दबाने के लिए एमरजेंसी लगायी तो आर.एस.एस. के नेता देवरस इन्दिरा गाँधी के नाम मा(फ़ीनामा लिख रहे थे और उन्हें देवीतुल्य बता रहे थे? क्या आपको पता है कि मोदी सरकार ने अपने दो बजटों में देश के 5 फीसदी अमीर लोगों के लिए नीतियाँ बनाते हुए टाटाओं, बिड़लाओं, अम्बानियों, अदानियों को पिछले दस साल में दी गयी 42 लाख करोड़ रुपये की कर माफी को जारी रखा है? वह भी उस समय जब देश में पिछले दो वर्षों में कर्ज़ तले दबकर लाखों ग़रीब किसानों ने आत्महत्याएँ की हैं? क्या आपको पता है कि मोदी सरकार ने शिक्षा के ख़र्च को आधा कर दिया है जिससे कि स्कूलों और कॉलेजों की फीसें इतनी बढ़ जायेंगी कि आप और हम अपने बच्चों को उसमें पढ़ाने का सपना भी नहीं देख पायेंगे? खाने के सामान पर सब्सिडी को मोदी सरकार ने लगभग 10,000 करोड़ रुपया कम कर दिया है; स्वास्थ्य व परिवार कल्याण पर करीब 6000 करोड़ रुपये की कटौती की गयी है, यानी आपको अब सरकारी अस्पताल में दवा और इलाज पहले से दुगुना महँगा मिलेगा; बड़ी-बड़ी देशी-विदेशी कम्पनियों का 1.14 लाख करोड़ रुपये का बैंक कर्ज सरकार ने माफ़ कर दिया है और दूसरी तरफ़ हमारी जेब पर डकैती डालते हुए सारे अप्रत्यक्ष कर बढ़ा दिये गये हैं, जिससे की महँगाई तेज़ी से बढ़ी है; अम्बानियों-अदानियों का 70,000 करोड़ रुपये का पेण्डिंग टैक्स भी माफ़ कर दिया गया है; दूसरी तरफ़ मोदी की “देशभक्त सरकार” ने खाने के सामानों में वायदा कारोबार की इजाज़त देकर सट्टेबाज़ी के दरवाज़े खोल दिये हैं, जिसके कारण दाल 170 रुपया किलो बिक रही है! छोटे व्यापारियों की पार्टी कहलाने वाली भाजपा ने खुदरा व्यापार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की इजाज़त देकर सारे छोटे उद्यमों को तबाह करने का रास्ता खोल दिया है; यहाँ तक कि इन्होंने रक्षा क्षेत्र तक में विदेशियों को घुसने की इजाज़त दे दी है! ये ही लोग पहले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के विरोध की नौटंकी कर रहे थे क्योंकि इन्हें मध्यवर्ग का वोट चाहिए था। क्या यही है देशभक्ति? क्या यही है राष्ट्रवाद?
सच्चे देशभक्तों को याद करो! नकली “देशभक्तों” की असलियत को पहचानो!

खुद सोचिये भाइयो और बहनो! कहीं ‘देशभक्ति’, ‘राष्ट्रवाद’, ‘भारत माता’ का शोर मचाकर संघ परिवार और मोदी सरकार देश से ग़द्दारी करने के अपने पुराने इतिहास और जनता के ख़ि‍लाफ़ टाटा-बिड़ला-अम्बानी की दलाली करने की अपनी असलियत को ढँकने की कोशिश तो नहीं कर रहे हैं? कहीं ये असली मुद्दों से हमारा ध्यान भटकाने के लिए ये हल्ला तो नहीं मचा रहे हैं? कहीं संघ परिवार और मोदी सरकार इस शोर में महँगाई दूर करने, बेरोज़गारी से आज़ादी दिलाने, सभी खातों में 15 लाख रुपये डालने आदि के वायदे को भुला तो नहीं देना चाहते? सीधे कहें तो अपने आप से पूछिये भाइयो और बहनो-क्या आपको बेवकूफ़ तो नहीं बनाया जा रहा है? सोचिये! आपके असली दुश्मन कौन हैं? इस नफ़रत की सोच से अलग हटकर, ठहरकर एक बार सोचिये कि 2 लाख करोड़ रुपये का व्यापम घोटाला करने वाले, घोटाले के 50 गवाहों की हत्याएँ करवाने वाले, विधानसभा में बैठकर पोर्न वीडियो देखने वाले, विजय माल्या और ललित मोदी जैसों को देश से भगाने में मदद करने वाले देशभक्ति और राष्ट्रवाद का ढोंग करके आपकी जेब पर डाका और घर में सेंध तो नहीं लगा रहे? कहीं ये ‘बाँटो और राज करो’ की अंग्रेज़ों की नीति हमारे ऊपर तो नहीं लागू कर रहे ताकि हम अपने असली दुश्मनों को पहचान कर, जाति-धर्म के झगड़े छोड़कर एकजुट न हो जाएँ? सोचिये साथियो, वरना कल बहुत देर हो जायेगी! जो आग ये लगा रहे हैं, उसमें हमारे घर, हमारे लोग भी झुलसेंगे। इसलिए सोचिये!

क्रान्तिकारी अभिवादन के साथ,

फ़ासीवाद का एक इलाज – इंक़लाब ज़ि‍न्दाबाद!

http://naubhas.in/archives/574
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