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Monday, 5 November 2012

सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल-एकू लाल

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हिंदुस्तान,लखनऊ,दिनांक 05 नवंबर 2012 के पृष्ठ 08 पर प्रकाशित यह समाचार भारत के धर्म निरपेक्ष होने एवं मानवता की अद्भुत मिसाल पेश करता है। जब कुछ वर्ष पूर्व इन पिता-पुत्र के बारे मे आगरा मे समाचार पढ़ा था तो कौतूहल एवं आश्चर्य दोनों हुआ था। किन्तु लखनऊ आने पर इन लोगों से व्यक्तिगत मुलाक़ात भी संभव हो गई। एकू साहब बारादरी  के पीछे अपना चाय का ठेला लगाते हैं जो कि भाकपा कार्यालय के निकट ही है। इसलिए हमारे ज़िला मंत्री कामरेड ख़ालिक़ साहब प्रदर्शन,मीटिंग समाप्त होने के बाद सभी कामरेड्स को इनकी दुकान पर ही चाय पिलवाते हैं। एकू साहब भी कामरेड्स के प्रति अपनत्व रखते हैं। उनका सौम्य व्यवहार ही सबको उनके प्रति आकर्षित करता है।

एकू साहब सांप्रदायिक सौहार्द का एक उज्ज्वल प्रतीक हैं। अपने दत्तक पुत्र  'अकबर' के प्रति अतीव लगाव के कारण ही एकू साहब ने खुद अविवाहित रहने का फैसला लिया है ताकि भविष्य मे भी कभी उनके इस पुत्र को कोई समस्या न हो सके। एकू साहब को सम्मान मिला(जिसके वह पात्र थे) उनको बधाई एवं अभिनंदन।


 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर