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अभी ०२ जुलाई २०११ को 'क्रन्तिस्वर' में कुछ ज्योतिश्यात्मक विश्लेषण दिए थे और १०,११,१२ जुलाई को रेल हादसे तथा १३ जुलाई को मुम्बई में हुई आतंकवादी गतिविधियां सभी गृह-नक्षत्रों के प्रभाव से हैं.तमाम वैज्ञानिक ज्योतिष को अवैज्ञानिक ठहराते हैं क्योंकि प्रचलित ज्योतिषी गण इसे अवैज्ञानिक और अधार्मिक गतिविधियों से जोड़ कर धर्म कह कर परोसते हैं.वस्तुतः किन्हीं व्यक्ति-विशेषों द्वारा की गई गलतियों के कारण ज्योतिष की वैज्ञानिकता नहीं समाप्त हो जाती है.किसी विद्वान का कहना है-
समय करे,नर क्या करे,समय बड़ा बलवान.
असर ग्रह सब पर करें,परिंदा-पशु-इंसान..
१२ जुलाई २०११ को 'समझदारों की नासमझी' शीर्षक से मैंने ०२ जुलाई वाले विश्लेषणों की और ध्यानाकर्षण किया था.उसमें आगे के लिए और भी घटनाओं को इंगित किया गया है.मात्र डा.मोनिका शर्मा जी और अल्पना वर्मा जी ने सकारात्मक प्रतिक्रया दी है.बाकी विद्वान तो ज्योतिष को बकवास मानते हैं.उनकी जानकारी हेतु -०४ से १० ,११ से १७ और १८ से २४ सितम्बर,२००३तथा २२-२८ अप्रैल २००४ के अंकों में 'ब्रह्मपुत्र समाचार',आगरा में पूर्व प्रकाशित अपने लेखों की स्कैन कापियां प्रस्तुत कर रहा हूँ.इनसे स्पष्ट होगा कि मेरे विश्लेषण तो सही गए किन्तु उन पर वांक्षित लोगों ने ध्यान नहीं दिया इसलिए हानि का उन्हें सामना करना पड़ा
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http://krantiswar.blogspot.com/2011/07/blog-post_18.html
संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर
अभी ०२ जुलाई २०११ को 'क्रन्तिस्वर' में कुछ ज्योतिश्यात्मक विश्लेषण दिए थे और १०,११,१२ जुलाई को रेल हादसे तथा १३ जुलाई को मुम्बई में हुई आतंकवादी गतिविधियां सभी गृह-नक्षत्रों के प्रभाव से हैं.तमाम वैज्ञानिक ज्योतिष को अवैज्ञानिक ठहराते हैं क्योंकि प्रचलित ज्योतिषी गण इसे अवैज्ञानिक और अधार्मिक गतिविधियों से जोड़ कर धर्म कह कर परोसते हैं.वस्तुतः किन्हीं व्यक्ति-विशेषों द्वारा की गई गलतियों के कारण ज्योतिष की वैज्ञानिकता नहीं समाप्त हो जाती है.किसी विद्वान का कहना है-
समय करे,नर क्या करे,समय बड़ा बलवान.
असर ग्रह सब पर करें,परिंदा-पशु-इंसान..
१२ जुलाई २०११ को 'समझदारों की नासमझी' शीर्षक से मैंने ०२ जुलाई वाले विश्लेषणों की और ध्यानाकर्षण किया था.उसमें आगे के लिए और भी घटनाओं को इंगित किया गया है.मात्र डा.मोनिका शर्मा जी और अल्पना वर्मा जी ने सकारात्मक प्रतिक्रया दी है.बाकी विद्वान तो ज्योतिष को बकवास मानते हैं.उनकी जानकारी हेतु -०४ से १० ,११ से १७ और १८ से २४ सितम्बर,२००३तथा २२-२८ अप्रैल २००४ के अंकों में 'ब्रह्मपुत्र समाचार',आगरा में पूर्व प्रकाशित अपने लेखों की स्कैन कापियां प्रस्तुत कर रहा हूँ.इनसे स्पष्ट होगा कि मेरे विश्लेषण तो सही गए किन्तु उन पर वांक्षित लोगों ने ध्यान नहीं दिया इसलिए हानि का उन्हें सामना करना पड़ा
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संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर
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