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Sunday, 21 October 2012

संप्रग-1 का ज्योतिषीय विवेचन कैसा रहा?

मई-जूलाई,2004 के 'अग्र मंत्र',आगरा मे मनमोहन सिंह जी के नेतृत्व मे गठित 'संप्रग-1'सरकार की शपथ-कुंडली का विवेचन मैंने दिया था जिसकी स्कैन कापी दी जा रही है । परंतु यह ज़िक्र करना चाहूँगा कि,चुनाव पूर्व आगरा नगर कांग्रेस के पूर्व उपाध्यक्ष और कायस्थ सभा ,आगरा के तत्कालीन अध्यक्ष श्री चंद्र मोहन शेरी साहब ने मुझसे बाजपाई जी और सोनिया जी के प्रधानमंत्री बनने की संभावना के बारे मे पूछा था और मैंने उनको स्पष्ट कह दिया था कि कोई 'तीसरा' ही बनेगा इन दोनों के ग्रह-नक्षत्र विपरीत हैं। मनमोहन जी के पी एम बनने पर उन्होने यह बात का .स .की कार्यकारिणी बैठक मे सबको बताई भी थी।

वह सरकार हिचकोले खाते ही चल रही थी जब बामपंथ ने समर्थन वापिस ले लिया था तो 'तकनीकी तौर' पर सरकार का पतन हो ही गया था किन्तु सपा को ब्लैकमेल करके गिनती के आंकड़े पूरे कर लिए गए थे।2009 के चुनावों मे आगरा संसदीय क्षेत्र आरक्षित होने के कारण राज बब्बर वहाँ से चुनाव न लड़ सके और फिर भाजपा को जीत हासिल हो गई। मेरी स्पष्ट चेतावनी थी कि,"डॉ मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री के रूप मे निष्कलंक शासन नहीं कर सकेंगे। " उस समय भी केंद्र सरकार अमेरिकी परमाणु डील पर कलंकित हुई थी और अब तो और भी ज़्यादा कालिख सरकार की साख पर पुत चुकी है। 

इस पुराने लेख को देना इसलिए आवश्यक समझा कि,ज्योतिष को मीठा जहर बताने वालों के झांसे मे प्रबुद्ध जन न फंसे तथा अपना बुद्धि-विवेक जाग्रत रख सकें । पुराना विश्लेषण तमाम भ्रमों का निवारण करने मे समर्थ है।   



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 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

Thursday, 21 July 2011

अतीत के ज्योतिष्यात्मक राजनीतिक विश्लेषण---विजय राजबली माथुर

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अभी ०२ जुलाई २०११ को 'क्रन्तिस्वर' में कुछ ज्योतिश्यात्मक विश्लेषण दिए थे और १०,११,१२ जुलाई को रेल हादसे तथा १३ जुलाई को मुम्बई में हुई आतंकवादी गतिविधियां सभी गृह-नक्षत्रों के प्रभाव से हैं.तमाम वैज्ञानिक ज्योतिष को अवैज्ञानिक ठहराते हैं क्योंकि प्रचलित ज्योतिषी गण इसे अवैज्ञानिक और अधार्मिक गतिविधियों से जोड़ कर धर्म कह कर परोसते हैं.वस्तुतः किन्हीं व्यक्ति-विशेषों द्वारा की गई गलतियों के कारण ज्योतिष की वैज्ञानिकता नहीं समाप्त हो जाती है.किसी विद्वान का कहना है-

समय करे,नर क्या करे,समय बड़ा बलवान.
असर ग्रह सब पर करें,परिंदा-पशु-इंसान..

१२ जुलाई २०११ को 'समझदारों की नासमझी' शीर्षक से मैंने ०२ जुलाई वाले विश्लेषणों की और ध्यानाकर्षण किया था.उसमें आगे के लिए और भी घटनाओं को इंगित किया गया है.मात्र डा.मोनिका शर्मा जी और अल्पना वर्मा जी ने सकारात्मक प्रतिक्रया दी है.बाकी विद्वान तो ज्योतिष को बकवास मानते हैं.उनकी जानकारी हेतु -०४ से १० ,११ से १७ और १८ से २४ सितम्बर,२००३तथा २२-२८ अप्रैल २००४ के अंकों  में 'ब्रह्मपुत्र समाचार',आगरा में पूर्व प्रकाशित अपने लेखों की स्कैन कापियां प्रस्तुत कर रहा हूँ.इनसे स्पष्ट होगा कि मेरे विश्लेषण तो सही गए किन्तु उन पर वांक्षित लोगों ने ध्यान नहीं दिया इसलिए हानि का उन्हें सामना करना पड़ा

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http://krantiswar.blogspot.com/2011/07/blog-post_18.html

    संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर