Thursday 29 September 2011

कारपोरेट मीडिया द्वारा जन-संघर्षों की उपेक्षा

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Hindustan-Lucknow-29/09/2011

JanSandesh Times-Lucknow-29/09/2011

शहीदे आजम सरदार भगत सिंह के जन्म दिवस पर AISF तथा AIYF ने संयुक्त रूप से एक विशाल जुलूस निकाल कर गोमती तट पर स्थित झूले लाल वाटिका मे कल एक  धरना दिया था जिसमे बोलते हुये भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा गिरीश ने मीडिया कर्मियों को संबोधित करते हुये कहा कि कारपोरेट मीडिया जन-संघर्षों की सर्वथा उपेक्षा करता है ,उदाहरण के तौर पर उन्होने बताया कि कु .निधि चौहान ,संयोजक AISF एवं का .नीरज यादव ,संयोजक AIYF ने इस धरना-प्रदर्शन हेतु राजधानी के सभी अखबारों को सूचना दी थी। किन्तु एक भी अखबार ने उस सूचना को स्थान नहीं दिया जबकि व्यर्थ की खबरों से अखबार रंगे रहते हैं। उन्होने यह भी स्पष्ट किया कि कर्मियों को अपने मालिकों और प्रबन्धकों के निर्देश पर कार्य करना होता है वे उत्तरदाई नहीं हैं। दंगे-फसाद ,लूट-मार की खबरें देकर दहशत फैलाने वाले अखबार और चैनल जनता के सरोकारों से जुड़ी खबरों को जनता तक नहीं पहुँचने देना चाहते। लगभग सभी अखबारों ने छात्रों-नौजवानों के इस धरना-प्रदर्शन के समाचारों की खाना पूर्ती की है फोटो केवल जनसंदेश टाईम्स ने  छोटा सा दिया है जबकि दूसरे छोटे  कार्यक्रमों के बड़े-बड़े समाचार और बड़े फोटो छापे गए हैं।

कल के इस धरने की सभा की अध्यक्षता संयुक्त रूप से विनय त्रिपाठी,निधि चौहान और अमरकान्त ने की थी और संचालन नीरज यादव ने। अखिल भारतीय नौजवान सभा के महामंत्री पी संदोष एवं संजीव कुमार सिंह पटना से दिल्ली जाते हुये इस कार्यक्रम मे शामिल हुये और सभा को संबोधित भी किया। विभिन्न जिलों से आए हुये छत्रों एवं नौजवानों ने सभा मे छत्रों की पढ़ाई,फीस,मूल्यांकन से संबन्धित समस्याओं पर प्रकाश डाला । यू पी, ए आई एस एफ की संयोजिका निधि चौहान ने अपने उद्बोधन मे  एक महत्वपूर्ण बात कही कि शहीद भगत सिंह और दूसरे नेताओं ने देश को आजाद तो करा दिया अब वे लौट कर नहीं आने वाले और आज जो आजादी पर खतरा मंडरा रहा है उसका मुक़ाबला हमे और आने वाली पीढ़ियों को खुद ही करना होगा,यदि हम विफल हुये तो फिर गुलाम होते देर नहीं लगेगी। डा अरविंद राज स्वरूप ने अपने भाषण मे निधि चौहान की इस बात का समर्थन किया उन्होने अपने अनुभव के आधार पर छात्रों  का मार्ग दर्शन भी किया। डा गिरीश ने कहा कि जब वे लोग छात्र थे तो सरकार न्यूनतम फीस रखती थी जिस कारण शिक्षा प्राप्ति सुगम थी लेकिन आज शिक्षा का व्यवसायीकरण हो जाने से गरीब के बच्चों का पढना  दुष्कर हो गया है। उन्होने यह भी कहा पहले छात्र संघों को महत्व इस लिए दिया जाता था कि इन से निकल कर देश का भावी नेतृत्व सामने आयेगा। आज ठीक इसका उल्टा हो रहा है छात्र-संघों के चुनाव नहीं कराये जा रहे हैं जिससे यूनिवर्सिटी प्रशासन के घोटाले दबे रहें। विशेष कर लखनऊ विश्वविद्यालय मे चल रहे वर्तमान छात्र असंतोष का जिक्र करते हुये उन्होने कापियों के दिखाये जाने पर रु 500/- फीस रखने की कड़ी आलोचना की। बी एड की फीस रु 51000/- किए जाने को भी उन्होने अनुचित बताया। डा गिरीश ने नीरज यादव एवं निधि चौहान द्वारा अपने-अपने संगठनों की मजबूती के लिए किए जा रहे प्रयासों की सार्वजनिक रूप से सराहना की। उन्होने छात्रों का आह्वान किया कि AISF के साथ आकर अपने अधिकारों की रक्षा एवं भविष्य को उज्ज्वल बनाने का ठोस कार्य करें। लखनऊ विश्वविद्यालय मे AISF के संयोजक गौरव सक्सेना ने भी मंच से AISF की मजबूती के लिए सक्रिय होने की बात कही।

पूर्व छात्र नेता प्रदीप तिवारी ने आगामी तीन वर्षों मे AISF के बुलंदियों पर पहुँच जाने के अपने सपने की अभिव्यक्ति की। जिला प्रशासन के प्रतिनिधि को 6 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च,व्यवसायीकरण पर रोक ,विदेशी विश्वविद्यालयों पर प्रतिबंध आदि अनेक मांगों के समर्थन मे एक मांग पत्र सौंप कर महामहिम राष्ट्रपति महोदया और महामहिम राज्यपाल महोदय से निवेदन किया गया। मांग पत्र पर AISF की प्रांतीय संयोजिका निधि चौहान एवं AIYF के प्रांतीय संयोजक नीरज चौहान ने हस्ताक्षर किए ,इन्ही दोनों ने जुलूस का भी नेतृत्व किया था।

समाचार पत्रों ने मुख्य-मुख्य  कही गई बातों को बिलकुल भी स्थान नहीं दिया।







 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

1 comment:

  1. आवाज़ तो उठानी ही होगी.

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