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इधर कुछ दिनों से ब्लाग जगत मे फेसबुक के विरुद्ध भूचाल आया हुआ है। प्रबुद्ध ब्लागर एक के बाद एक पोस्ट फेसबुक लेखन की आलोचना मे लगा रहे हैं। छोटे मियां छोटे मियां,बड़े मियां सुभान अल्लाह की तर्ज पर उन पोस्ट के टिप्पणीकार फेसबुक लेखकों का निर्मम चरित्र हनन कर रहे हैं।
आज के हिंदुस्तान के समपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित डॉ मोहन श्रोत्रिय साहब द्वारा फेसबुक स्टेटस के आधार पर अपने ब्लाग मे लिखा यह लेख पढ़ कर क्या आप कह सकते हैं कि,फेसबुक लेखन निकृष्ट होता है। यदि किसी ब्लागर ने निकृष्ट फेसबुकिया को अपना फ्रेंड बना रखा है तो उसे निकृष्ट लेखन ही मिलेगा।
फेसबुक के माध्यम से ब्लाग लेखन उन लोगों तक आसानी से पहुँच जाता है जो पहले ब्लाग से अपरिचित थे। जाकी रही भावना जैसी ,प्रभु तिन मूरत,तिन्ह तैसी। जो जैसा होगा उसे वैसा ही दीखेगा। वैसे कई ब्लागर्स तो फेसबुकिए लोगों की निकृष्टता से भी गए गुजरे हैं और वे ही दुष्प्रचार मे आगे-आगे हैं।
संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर
इधर कुछ दिनों से ब्लाग जगत मे फेसबुक के विरुद्ध भूचाल आया हुआ है। प्रबुद्ध ब्लागर एक के बाद एक पोस्ट फेसबुक लेखन की आलोचना मे लगा रहे हैं। छोटे मियां छोटे मियां,बड़े मियां सुभान अल्लाह की तर्ज पर उन पोस्ट के टिप्पणीकार फेसबुक लेखकों का निर्मम चरित्र हनन कर रहे हैं।
आज के हिंदुस्तान के समपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित डॉ मोहन श्रोत्रिय साहब द्वारा फेसबुक स्टेटस के आधार पर अपने ब्लाग मे लिखा यह लेख पढ़ कर क्या आप कह सकते हैं कि,फेसबुक लेखन निकृष्ट होता है। यदि किसी ब्लागर ने निकृष्ट फेसबुकिया को अपना फ्रेंड बना रखा है तो उसे निकृष्ट लेखन ही मिलेगा।
फेसबुक के माध्यम से ब्लाग लेखन उन लोगों तक आसानी से पहुँच जाता है जो पहले ब्लाग से अपरिचित थे। जाकी रही भावना जैसी ,प्रभु तिन मूरत,तिन्ह तैसी। जो जैसा होगा उसे वैसा ही दीखेगा। वैसे कई ब्लागर्स तो फेसबुकिए लोगों की निकृष्टता से भी गए गुजरे हैं और वे ही दुष्प्रचार मे आगे-आगे हैं।
संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर
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