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गुरु पूर्णिमा पर विशेष-
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संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर
गुरु पूर्णिमा पर विशेष-
गुरु का अर्थ क्या है?
by Vijai RajBali Mathur on Tuesday, July 3, 2012 at 11:33am ·
गुरु का अर्थ क्या है?
आज एक तरफ से सभी गुरु पूर्णिमा को गुरु वंदना मे लगे हुये हैं। गुरु=गु+रू । गु=अंधकार और रू=प्रकाश की ओर। अर्थात जो अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाये वही गुरु हो सकता है। क्या पूरी धरती पर आज एक भी ऐसा व्यक्ति है?नहीं तो ढोंग मनाने का क्या अर्थ?
क्या एकलव्य से दाहिना अंगूठा व्यर्थ की दक्षिणा मे मांगना गुरुत्व है?क्या कर्ण को सारी शिक्षा व्यर्थ जाने का आशीर्वाद देना गुरुत्व है?जब तब ऐसे गुरु थे तब आज कैसे होंगे सहज समझा जा सकता है। 1969-71 के मध्य मेरठ कालेज के एक गुरुजी अपनी सजातीय साथी जो विडो थीं को होटलों मे भोजन कराते थे और वही साईकिल के डंडे पर बैठ कर चेलों के खर्च पर देशी शराब पीते थे। क्या यह गुरुत्व पूजनीय है?चेलों के नाक,कान,हड्डी-पसली तोड़ने के किस्से रोजाना छ्प्ते रहते हैं क्या ऐसे गुरुओं की वंदना की जानी चाहिए। 500 से अधिक गुरुघंटाल 'ढोंग-पाखंड' फैला कर खुद की पूजा करवा रहे हैं। कहाँ है अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाले लोग?
स्वामी दयानन्द सरस्वती ने 'गुरुडम' का तीव्र विरोध किया था आज फिर वह सिर उठाए हये है। इस गुरुडम को समाप्त किए बगैर 'गुरु पूर्णिमा' मनाए जाने का कोई औचित्य नहीं है।
आज एक तरफ से सभी गुरु पूर्णिमा को गुरु वंदना मे लगे हुये हैं। गुरु=गु+रू । गु=अंधकार और रू=प्रकाश की ओर। अर्थात जो अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाये वही गुरु हो सकता है। क्या पूरी धरती पर आज एक भी ऐसा व्यक्ति है?नहीं तो ढोंग मनाने का क्या अर्थ?
क्या एकलव्य से दाहिना अंगूठा व्यर्थ की दक्षिणा मे मांगना गुरुत्व है?क्या कर्ण को सारी शिक्षा व्यर्थ जाने का आशीर्वाद देना गुरुत्व है?जब तब ऐसे गुरु थे तब आज कैसे होंगे सहज समझा जा सकता है। 1969-71 के मध्य मेरठ कालेज के एक गुरुजी अपनी सजातीय साथी जो विडो थीं को होटलों मे भोजन कराते थे और वही साईकिल के डंडे पर बैठ कर चेलों के खर्च पर देशी शराब पीते थे। क्या यह गुरुत्व पूजनीय है?चेलों के नाक,कान,हड्डी-पसली तोड़ने के किस्से रोजाना छ्प्ते रहते हैं क्या ऐसे गुरुओं की वंदना की जानी चाहिए। 500 से अधिक गुरुघंटाल 'ढोंग-पाखंड' फैला कर खुद की पूजा करवा रहे हैं। कहाँ है अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाले लोग?
स्वामी दयानन्द सरस्वती ने 'गुरुडम' का तीव्र विरोध किया था आज फिर वह सिर उठाए हये है। इस गुरुडम को समाप्त किए बगैर 'गुरु पूर्णिमा' मनाए जाने का कोई औचित्य नहीं है।
हिंदुस्तान-लखनऊ 03/04/2012 |
संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर
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