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आज़ादी के 65 वर्ष बाद भी गुलामी की बू नहीं निकली है उसी का जीता जागता उदाहरण है यह दान। देश के गरीब आदिवासी अपने घर ज़मीन से उजाड़े जा रहे हैं उनकी मदद करने की बजाए उनके हिमायतियों को जेलों मे ठूँसा जा रहा है। जिन देशों ने दुनिया को लूटा और जनता का शोषण किया उनकी सहायता मे 'दान' दिया जा रहा है -यह है लोकतान्त्रिक रूप से साम्राज्यवाद की गुलामी।
संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर
हिंदुस्तान,लखनऊ,29 जून 2012 |
आज़ादी के 65 वर्ष बाद भी गुलामी की बू नहीं निकली है उसी का जीता जागता उदाहरण है यह दान। देश के गरीब आदिवासी अपने घर ज़मीन से उजाड़े जा रहे हैं उनकी मदद करने की बजाए उनके हिमायतियों को जेलों मे ठूँसा जा रहा है। जिन देशों ने दुनिया को लूटा और जनता का शोषण किया उनकी सहायता मे 'दान' दिया जा रहा है -यह है लोकतान्त्रिक रूप से साम्राज्यवाद की गुलामी।
संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर
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