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संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर
Danda Lakhnavi's status.
बलात्कार ... भ्रष्टाचार का वंशज है?
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आजकल भ्रष्टाचार और बलात्कार मीडिया का ज्वलंत मुद्दा है। इस मुद्दे पर होटलों, ढाबों, चौपालों आदि में खूब बहसें होती हैं| भारतीय समाज में यह अवगुण गेहूँ में घुन की तरह है| अधिकांश नागरिक किसी न किसी रूप में इससे आहत हैं| प्रश्न उठता है कि ‘भ्रष्टाचार’ क्या है? यह ‘भ्रष्ट’ और ‘आचार’ शब्दों का युग्म है| भ्रष्ट शब्द का अर्थ होता है- शीलहीन, निंदनीय, दुश्चरित्र, पतित, नीतिपथ से गिरा हुआ है। वहीं ‘आचार’ शब्द से आचरण, व्यवहार, चाल-चलन, स्वभाव, चरित्र, रहन-सहन आदि का बोध होता है। इस प्रकार भ्रष्टाचार के अंतर्गत वे सभी कार्य समाहित हो जाते हैं जो विधि-सम्मत एवं लोक- स्वीकृत नहीं होते हैं| जब कोई नागरिक इन्हें अपनाता है तो अन्य नागरिकों के हितों को चोट पहुँचती है| संक्षेप में भ्रष्टाचार राज्य प्रदत मौलि़क अधिकारों का दुरुपयोग है| ‘छल’ भ्रष्टाचार का मूल है| भ्रष्टाचारी-व्यक्ति, समाज तथा राष्ट्र को छलता है| उसे अच्छी स्थिति में पाकर अन्य लोग उसकी नक़ल करने लगते हैं| जब समाज में छलियों / कदाचारियों की बाढ़ आ जाती है तो हजारों वर्षों में विकसित सभ्यता और सांस्कृतिक के सर्वमान्य मूल्य ढह जाते हैं| मानव-मानव के बीच अविश्वास की दीवारें खड़ी हो जाती हैं| सामाजिक समरसता छिन्न-भिन्न हो जाती है| शोषण भ्रष्टाचार का पुराना संस्करण है| सामंती युग में मानवाधिकारों की घोर उपेक्षा हुई है| उस युग में शोषण के तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जाते रहे हैं| यद्यपि समय-समय पर अनेक सुधारवादी आंदोलन हुए किन्तु भ्रष्टाचारियों की चालों के आगे वे बौने सिद्ध हुए| लोकतंत्र में भी मानवाधिकारों को बलात्कारी ठेस पहुंच रहे हैं| गांवों में सामंती लक्षण शहर की अपेक्षा अधिक हैं| वहाँ मानवाधिकारों का हनन भी अधिक होता है| जब कोई कदाचारी व्यक्ति किसी नारी के साथ दुराचार करता है तो उसका प्रमुख हथियार छल होता है|
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आजकल भ्रष्टाचार और बलात्कार मीडिया का ज्वलंत मुद्दा है। इस मुद्दे पर होटलों, ढाबों, चौपालों आदि में खूब बहसें होती हैं| भारतीय समाज में यह अवगुण गेहूँ में घुन की तरह है| अधिकांश नागरिक किसी न किसी रूप में इससे आहत हैं| प्रश्न उठता है कि ‘भ्रष्टाचार’ क्या है? यह ‘भ्रष्ट’ और ‘आचार’ शब्दों का युग्म है| भ्रष्ट शब्द का अर्थ होता है- शीलहीन, निंदनीय, दुश्चरित्र, पतित, नीतिपथ से गिरा हुआ है। वहीं ‘आचार’ शब्द से आचरण, व्यवहार, चाल-चलन, स्वभाव, चरित्र, रहन-सहन आदि का बोध होता है। इस प्रकार भ्रष्टाचार के अंतर्गत वे सभी कार्य समाहित हो जाते हैं जो विधि-सम्मत एवं लोक- स्वीकृत नहीं होते हैं| जब कोई नागरिक इन्हें अपनाता है तो अन्य नागरिकों के हितों को चोट पहुँचती है| संक्षेप में भ्रष्टाचार राज्य प्रदत मौलि़क अधिकारों का दुरुपयोग है| ‘छल’ भ्रष्टाचार का मूल है| भ्रष्टाचारी-व्यक्ति, समाज तथा राष्ट्र को छलता है| उसे अच्छी स्थिति में पाकर अन्य लोग उसकी नक़ल करने लगते हैं| जब समाज में छलियों / कदाचारियों की बाढ़ आ जाती है तो हजारों वर्षों में विकसित सभ्यता और सांस्कृतिक के सर्वमान्य मूल्य ढह जाते हैं| मानव-मानव के बीच अविश्वास की दीवारें खड़ी हो जाती हैं| सामाजिक समरसता छिन्न-भिन्न हो जाती है| शोषण भ्रष्टाचार का पुराना संस्करण है| सामंती युग में मानवाधिकारों की घोर उपेक्षा हुई है| उस युग में शोषण के तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जाते रहे हैं| यद्यपि समय-समय पर अनेक सुधारवादी आंदोलन हुए किन्तु भ्रष्टाचारियों की चालों के आगे वे बौने सिद्ध हुए| लोकतंत्र में भी मानवाधिकारों को बलात्कारी ठेस पहुंच रहे हैं| गांवों में सामंती लक्षण शहर की अपेक्षा अधिक हैं| वहाँ मानवाधिकारों का हनन भी अधिक होता है| जब कोई कदाचारी व्यक्ति किसी नारी के साथ दुराचार करता है तो उसका प्रमुख हथियार छल होता है|
संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर
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