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27-04-2014
आज के अखबार में इन खबरों को देख-पढ़ कर बाबू
जगजीवन राम जी के प्रतिनिधि के रूप में आए स्व.हेमवती नन्दन बहुगुणा के 13
मार्च 1977 को रामलीला मैदान,आगरा में चुनावसभा में दिये गए भाषण के ये अंश
याद आ रहे हैं-
जब वह (बहुगुणा जी )मुख्यमंत्री थे तब उनके
अधीन मंत्री रहे एन डी तिवारी जी विभाग के वरिष्ठतम अधिकारी की उपेक्षा
करके एक कनिष्ठ अधिकारी को उस विभाग का सचिव बनाने की सिफ़ारिश लाये थे।
मंत्री तिवारी जी की सिफ़ारिश मानते हुये भी उनके द्वारा 'सांप्रदायिक' आधार
पर उपेक्षित वरिष्ठ अधिकारी को बहुगुणा जी ने OSD (आफ़ीसर आन स्पेशल
ड्यूटी) के पद पर नियुक्त कर दिया था। बहुगुणा जी ने साफ-साफ कहा था कि
तिवारी जी घोर सांप्रदायिक पृवृति के प्राणी हैं। राजनाथ-तिवारी का यह फोटो
37 वर्ष पूर्व की गई बहुगुणा जी की घोषणा की पुष्टि करता है। इससे मायावती
जी के इस आरोप की भी पुष्टि हो जाती है कि भाजपा हिन्दू कार्ड खेल रही है।
लखनऊ के मतदाताओं को 30 अप्रैल को यह दिखा देना है कि सौहार्द की नगरी लखनऊ में 'सांप्रदायिकता' के लिए कोई स्थान नहीं है।
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यह भी ध्यान देने योग्य है कि जब यही तिवारी जी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री थे तब उनकी सरकार ने दवा कारोबारी रामदेव को कामरेड वृंदा करात द्वारा लगाए गए ठोस आरोपों से क्लीन चिट दे दी थी। यही तिवारी जी आजकल सत्तारूढ़ सपा सरकार के मेहमान की हैसियत से लखनऊ प्रवास कर रहे हैं। अतः लखनऊ के नागरिकों का परम कर्तव्य है कि वे न केवल लखनऊ संसदीय क्षेत्र से बल्कि प्रदेश के बाकी बचे सभी संसदीय क्षेत्रों से भाजपा-सपा-तिवारी गठबंधन के नापाक सांप्रदायिक इरादों को ध्वस्त करने हेतु भारी संख्या में मतदान सुनिश्चित करें।
NOTA का प्रयोग मतदान का बहिष्कार ही है और उससे सांप्रदायिक शक्तियों का ही भला होगा अतः उसका प्रयोग न करके भाजपा-सपा-तिवारी गठबंधन को परास्त करने हेतु मतदान अवश्य ही करें।
संकलन-विजय माथुर,
फौर्मैटिंग-यशवन्त यश
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