आधार
कार्ड बनवा चुके या फिर बनवाने की सोच रहे लोगों को उनके विरुद्ध हो रही
एक भयावह साज़िश का अनुमान होना चाहिए ! आधार कार्ड स्कीम(UID project) नामक
षड्यंत्रकारी कुचक्र के जनक नंदन निलेकणी को इनाम के रूप में बैंगलोर से
कांग्रेस की टिकेट मिली है ! बैंगलोर में हमने 12 से 17 अप्रैल को चुनाव से
पहले निलेकणी की इस कुचक्री स्कीम का पोल खोल अभियान चलाया! इस विषय कुछ
ज़रूरी बिंदु साझा करना चाहूंगी जो हमें जानना ज़रूरी है ! जून 2010 में
ब्रिटिश गृह सचिव , Theresa May ने UID project को साफ़ खारिज करते हुए कहा
कि ये अब तक की सबसे घटिया सरकारी योजना है , नागरिकों के जीवन में घुसपैठ ,
दबंगई है , और हर नागरिक की व्यक्तिगत आज़ादी पर हमला है !
लेकिन सच तो
ये है कि UID आधार कार्ड स्कीम इससे कहीं बड़ा षड्यंत्र है! बिना संसद में
या देशव्यापी चर्चा के इसे जबरन देश पर थोपा गया है और ये विडम्बना है कि
UPA सरकार इसे तब लाई है जब दुनिया के अधिकाँश देश (अमेरिका , ब्रिटेन ,
ऑस्ट्रेलिया , चीन , कनाडा , जर्मनी ) इससे मिलती जुलती परियोजना को कूड़े
के डब्बे में फेंक चुके हैं !
इस स्कीम को लाने के पीछे सरकार ये
कारण दे रही है कि इससे हर नागरिक को पहचान आधार मिलेगा और सरकारी योजनाओं
और सुविधाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने में आसानी होगी! मनमोहन और
निलेकणी को इतने नहीं पता कि तमाम studies बताती हैं कि सरकारी परियोजनाओं
के अप्रभावी होने के पीछे कारण अपनी पहचान को न साबित कर पाना नहीं बल्कि
ताकतवर , रसूखदार और इन परियोजनाओं के कर्ता धर्ताओं द्वारा अपने फायदे के
लिए सिस्टम को तोड़ना मरोड़ना है ! जहाँ BPL परिवार अपने राशन कार्ड का
इस्तेमाल नहीं कर पाते , जहाँ गरीब छात्रों को उनकी स्कालरशिप नहीं मिल रही
, जहाँ महिला मजदूरों को NREGA के तहत अपने हक़ की सही मजदूरी नहीं मिल
पाती , इन समस्याओं का कारण इनका अपनी पहचान न साबित कर पाना नहीं और
इसीलिए सरकार का इस परियोजना को लाने का तर्क ही खोखला साबित होता है !
अब असली मुद्दे पर आते हैं ! बिल में एक बिंदु ये कहता है
कि National Identification Authority of India (NIDAI) किसी भी नागरिक का
पर्सनल डाटा , सरकारी ख़ुफ़िया विभागों को कभी भी देने को स्वतंत्र है और यदि
इन कुख्यात सरकारी एजेंसीयों(RAW, IB, NIA इत्यादि) के अनुसार आप
राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं , तो वो आधी रात को भी आपके घर का
दरवाज़ा तोड़कर आपको उठवा सकती है ! ये सीधे सीधे संविधान की "Right to
privacy" का उल्लंघन है और मानवाधिकारों का हनन है ! याद रहे कि द्वितीय
विश्व युद्ध में नाजियों ने IBM के साथ मिलकर कुछ इसी दिशा में database
बनाए थे और यहूदियों की संपत्ति हड़पने , उन्हें उठवाने और उन्हें मरवाने के
लिए इस्तेमाल किया था ! कुल मिलाकर UID स्कीम देश के हर नागरिक को एक
संभावित अपराधी, और देश की सुरक्षा के लिए खतरा मानती है !
World Bank जो सीधे सीधे साम्राज्यवादी ताकतों से गलबहियां करते आई एक
कुख्यात संस्था है , वो कई schemes में भारत सरकार को फण्ड भी करती है तथा
उसके साथ मिलकर काम भी करती है ! तो हर नागरिक की गुप्त जानकारी वर्ल्ड
बैंक भी साझा होगी और इससे हम पूरी दुनिया के साम्राज्यवादी ताकतों के सीधे
निशाने पर होंगे, जी हाँ एक एक individual नागरिक ! गौरतलब रहे कि world
bank ने कई बार CIA और MOSSAD जैसी साम्राज्यवादी ख़ुफ़िया एजेंसीयों के
षड्यंत्रों में सहायक की भूमिका निभाई है !
इस कुचक्री
स्कीम पर जनता के इतने ज्यादा पैसे खर्च होने वाले हैं जिसका फायदा नगण्य
और हानियाँ - खामियां भयावह हैं ! 45000 करोड़ तो सिर्फ इसे पहले चरण में
लागू करने में ही खर्च होने का अनुमान है ! उसके बाद NREGA और public
distribution system में इसे लागू करने के लिए हर पंचायत ऑफिस और राशन
दूकान पर finger-print reader लगाना होगा ! देश के 6 लाख गाँव में हर PDS
outlet पर fingerprint reader लगाने की जो भयानक लागत आएगी वो अब तक सरकार
calculate कर रही है ! ज़रा सोचिए , देश को कंगाल करने वाली इस परियोजना
जिसका फायदा नगण्य और खामियां इतनी अधिक हो , उसे बिना संसद में लाए , बिना
चर्चा के ज़बरदस्ती थोपने से सरकार की किस खतरनाक मंशा का पता चलता है !
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