Tajinder Singh
कबाड़ी का ज्ञान........WEEKEND SPECIAL
त्योहारों का मौसम मेरे लिए बहुत परेशानी लेकर आता है। गणेश पूजा से शुरू होकर छठ पूजा तक आते आते मेरी परेशानी अपने चरम पर होती है। बड़ा सा घर धीरे धीरे छोटा होता चला जाता है। यहां तक की घर में चलने फिरने की भी जगह नहीं बचती।
सारी परेशानियों की जड़ मुझे बता कर पत्नी अलग ही नाराज रहती है। और सारा दोष मेरी सामाजिकता और फ़ेसबुक को देती है।
आखिर एक दिन पत्नी के उलाहनों से तंग आकर मैं भी सुबह सुबह मोहल्ले के कबाड़ी को बुला लाया। आज कुछ नहीं रखना, सब दे दुकर जगह खाली करनी है। ज्यादा मोह भी ठीक नहीं। गीता में कृष्ण जी ने सही कहा है।
मैंने पत्नी से कहा निकालो सब बाहर। आज कबाड़ी आया है।
दुखी पत्नी तो जैसे मौके की ही तलाश में थी। कुछ ही देर में उसने ढेर लगा दिया।
कबाड़ी - ये इतना ढेर सा क्या है साब जी?
मैं - अरे ये विभिन्न अवसरों पर मिली शुभकामनाएं हैं। ले जाओ सब और जो बनता हो दे जाओ।
कबाड़ी - बाज़ार में इनकी कीमत तो एक धेला भी नहीं साब जी। और मैं इनका क्या करूंगा? ये मेरे किस काम की?
मैं - क्यों जब इतनी सारी शुभकामनाएं तुम्हे मिलेंगी तो तुम गरीब का तो जीवन संवर जाएगा। तुम्हे तो आभारी होना चाहिए कि मुझे मिली शुभकामनाएं मैं तुम्हे दे रहा हूँ।
कबाड़ी - साब जी इनसे तो मेरे घर में एक जून की रोटी भी नहीं बनेगी। ये तो आप बड़े लोगों और भरे पेट वालों
के शगल है। अपना समय बिताने और सामाजिक दिखने के। गरीब के लिए क्या त्यौहार और क्या जन्म दिन। उसके तो सब दिन एक सामान हैं।
मुझे कबाड़ी पर गुस्सा आ रहा था। इतने प्यार से संजोयी गयी शुभकामनाओं को उसने एक पल में कबाड़ जो बना दिया।
शायद ये दुनिया ऐसी ही है। यहां कुछ भी कबाड़ बनते क्षण नही लगता।
थोड़ा असमंजस में पड़ा मैं कबाड़ी को पटाने का उपाय सोच रहा था कि कबाड़ी बोला - अच्छा साब जी , WELL SAID और WELL DONE में अच्छा कौन है।
मैं थोड़ा चौंक गया - पढ़ा लिखा मालुम होता है। साला मेरे ज्ञान की परीक्षा ले रहा है। अभी दिखाता हूँ इसे।
मैं - निश्चित ही WELL DONE.
कबाड़ी - सही कहा साब जी। लेकिन ये जो आपके पास है ना वो सब WELL SAID है। कुछ WELL DONE है तो दिखाओ। साब जी, बहुत आसान है अच्छी अच्छी बातें बोलना। बहुत मुश्किल है अच्छा कर के दिखाना। जरूरत पड़ने पर मुँह घुमा लेने वालों की कमी नही इस दुनिया में।
अब ये शुभकामना देखिये क्या लिखा है।
MAY GOD BLESS YOU
यानि भगवान् आपका भला करे ??
अरे जब करना भगवान् को ही है तो इन बंधू का बीच में क्या काम। आप क्या कर सकते हैं आप अपनी बात बोलिये। भगवान् को तो जो करना है वो करेगा। और उससे तो आप डायरेक्ट भी आग्रह कर सकते हैं। इस सिफारशी पत्र की क्या जरूरत है।
मैं थोड़ा हैरान सा बैठा उसकी बात सुन रहा था।
मैंने पूछा - तो क्या ये सब बेकार और बेमतलब है।
कबाड़ी - नही साब जी इसे गलत भी नही कह सकते, ये तो लोगों का प्यार है जो वो कह कर जता रहें है। लेकिन यहीं पर रुक जाना, अपने प्यार को केवल दिखावे तक ही सीमित रखना जरूर गलत है। ये तो प्यार की तरफ उठा पहला कदम है। अगला कदम WELL DONE वाला नही उठाया, तो जरूर ये केवल दिखावा है और बेकार है।
साब जी आप सोचिये अगर दुनिया में सब WELL SAID के साथ साथ WELL DONE पर भी आ जाएं तो इस धरती को स्वर्ग बनते देर नहीं लगेगी। तब किसी भगवान और उससे निवेदन की जरूरत भी नही रहेगी।
शायद उसकी जादुई बातों के असर से मेरे मुँह से निकल गया - आखिर लोग ऐसा करते क्यों हैं।
कबाड़ी - क्यों कि ये आसान है और इसमें कुछ लगता भी नहीै। मनुष्य का स्वभाव है ये , वो आसान काम पहले करता है और कठिन बाद में।
इतने में पत्नी मेरे लिए सुबह का नाश्ता ले आयी। मैंने कहा भागवान, अपने मोहल्ले का ही है ये कबाड़ी। एक नाश्ता इसके लिए भी लाओ। और आज से अभी से WELL DONE शुरू करो।
खैर दोस्तों , WELL DONE तो शुरू हो गया लेकिन इस WELL SAID का मैं क्या करूं?
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