Friday, 10 February 2017

गुरू रविदास ने पाखंड़,आड़म्बर और जातीय भेदभाव की तीव्र निन्दा की ------ रजनीश कुमार श्रीवास्तव

#गुरू रविदास(रैदास)जयन्ती की हार्दिक शुभकामनाएँ#


Rajanish Kumar Srivastava
 10-02-2017 

संत कुलभूषण कवि रविदास उन महान संतों में अग्रणी थे जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया और इनकी रचनाओं एवं वाणी ने ज्ञानाश्रयी तथा प्रेमाश्रयी भक्ति शाखाओं के मध्य सेतु का कार्य करते हुए भक्ति आन्दोलन को पूर्णता प्रदान की।भक्ति मार्ग के निर्गुण सम्प्रदाय के सर्वप्रमुख संत रैयदास जी एक उच्चकोटि के दार्शनिक,कवि और समाज सुधारक थे।उनका जन्म हिन्दू कैलेंडर के माघ महीने की पूर्णिमा के दिन चमार जाति के मोची परिवार के पिता संतोख दास एवं माता कालसा देवी के घर वाराणसी के पास सीर गोवर्धनपुर में 15 वीं शताब्दी में हुआ था।आप गृहस्थ संत थे और पत्नी लोना देवी और पुत्र विजय दास की जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए आपने धर्म सुधार और समाज सुधार में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।सम्पूर्ण जीवन भेद भाव का दंश झेलने के बावजूद भी आपने हमेशा भाईचारे और शांति का सन्देश दिया।
प्रारम्भिक जीवन में आपने गुरू पंडित शारदानन्द से शिक्षा ली और आगे चलकर आप प्रसिद्ध भक्तिमार्गी संत रामानन्द के शिष्य बने।इस लिहाज से आप संत कबीर के गुरूभाई हुए।गृहत्याग के उपरान्त संत रैयदास ने बेगमपुरा शहर बसाया।आप प्रसिद्ध कवित्री मीराबाई और चित्तौड़ के राजा के आध्यात्मिक गुरू थे।आपकी वाणी का सर्वाधिक प्रभाव सिक्ख धर्म पर पड़ा और संत रविदास के 41 पद "गुरूग्रंथ साहिब" में संकलित किए गये।इसके अलावा दादूपंथ की "पंचवाणी" में भी संत रैयदास की कविताएँ शामिल हैं।पंजाब,राजस्थान,महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में संत रविदास के सर्वाधिक अनुयायी हुए।
गुरू रविदास ने पाखंड़,आड़म्बर और जातीय भेदभाव की तीव्र निन्दा की।उनकी उक्ति थी,"मन चंगा तो कठौती में गंगा" और उनका संदेश था कि,"इंसान जाति-धर्म से नहीं बल्कि अपने कर्म से पहचाना जाता है।अतः उसके कर्म ऊँचे होने चाहिए ,जाति नहीं।" वे सर्वधर्मसद्भाव पर जोर देते थे।उनका मानना था कि राम और रहीम एक ही परमेश्वर के विविध नाम है और वेद,पुराण और कुरान आदि ग्रंथों में एक ही परमेश्वर का गुणगान है।उनका मानना था कि सत्ता,धन और जाति के अभिमान का त्याग करने पर ही ईश्वर की कृपा प्राप्त हो सकती है।गुरू रविदास ने आजीवन कुष्ठ रोग के उपचार में अमूल्य योगदान दिया।मानवता के ऐसे पुजारी,समाज सुधारक और महान दार्शनिक संत रैयदास की जयन्ती पर उनका शत शत नमन।

https://www.facebook.com/photo.php?fbid=1793493434308596&set=a.1488982591426350.1073741827.100009438718314&type=3
***************************************
फेसबुक कमेंट्स : 
10-02-2017 

1 comment:

  1. बहुत अच्छी सामयिक प्रस्तुति
    संत रविदास जी को सादर श्रद्धा सुमन

    ReplyDelete

कुछ अनर्गल टिप्पणियों के प्राप्त होने के कारण इस ब्लॉग पर मोडरेशन सक्षम है.असुविधा के लिए खेद है.