Tuesday 28 February 2017

गुरमेहर ने युद्ध और नफरत की राजनीति पर सोचने को मजबूर किया ------ Girish Malviya

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Girish Malviya
गुरमेहर ने युद्ध और नफरत की राजनीति पर सोचने को मजबूर किया। शहीद की बेटी के वीडियो में कही गई बात एक बार पढ़ने से समझ में न आए, तो बार-बार पढ़िए।-

मैं भारत के जालंधर शहर की रहने वाली हूं.
ये मेरे पिता कैप्टन मनदीप सिंह हैं.
वो 1999 के कारगिल युद्ध में मारे गए थे.
मैं दो साल की थी, जब उनका निधन हुआ.
उनसे जुड़ी बहुत कम यादें हैं मेरे पास.
पिता नहीं होते तो कैसा महसूस होता है, इसकी ज़्यादा यादें हैं मेरे पास.
मुझे याद है कि मैं पाकिस्तान और पाकिस्तानियों से कितना नफ़रत करती थी, क्योंकि उन्होंने मेरे पिता को मारा था.
मैं मुसलमानों से भी नफ़रत करती थी, क्योंकि मैं सोचती थी कि सभी मुस्लिम पाकिस्तानी होते हैं.
जब मैं छह साल की थी तो बुर्का पहनी एक महिला को चाकू मारने की कोशिश भी की.
किसी अनजान वजह से मुझे लगा कि उसने मेरे पिता को मारा होगा.
मेरी मां ने मुझे रोका और समझाया कि.
पाकिस्तान ने मेरे पिता को नहीं मारा, बल्कि जंग ने मारा है.
वक़्त लगा लेकिन आज मैं अपनी नफ़रत को ख़त्म करने में कामयाब रही.
ये आसान नहीं था लेकिन मुश्किल भी नहीं था.
अगर मैं ऐसा कर सकती हूं तो आप भी कर सकती हैं.
आज मैं भी अपने पिता की तरह सैनिक बन गई हूं.
मैं भारत-पाकिस्तान के बीच अमन के लिए लड़ रही हूं.
क्योंकि अगर हमारे बीच कोई जंग ना होती, तो मेरे पिता आज ज़िंदा होते.
मैंने ये वीडियो इसलिए बनाया ताकि दोनों तरफ़ की सरकारें दिखावा करना बंद करें.
और समस्या का समाधान दें.
अगर फ़्रांस और जर्मनी दो विश्व युद्ध के बाद दोस्त बन सकते हैं.
जापान और अमरीका अतीत को पीछे छोड़ आगे देख सकते हैं.
तो हम ऐसा क्यों नहीं कर सकते?
ज़्यादातर भारत और पाकिस्तानी शांति चाहते हैं, जंग नहीं.
मैं दोनों देशों के नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठा रही हूं.
हम तीसरे दर्जे के नेतृत्व के साथ पहले दर्जे का मुल्क़ नहीं बन सकते.
प्लीज़ तैयार हो जाइए. एक-दूसरे से बातचीत कीजिए और काम पूरा कीजिए.
स्टेट प्रायोजित आतंकवाद बहुत हो चुका.
स्टेट प्रायोजित जासूस बहुत हुए.
स्टेट प्रायोजित नफ़रत बहुत हुई.
सरहद के दोनों तरफ़ कई लोग मारे जा चुके हैं.
बस, बहुत हुआ.
मैं ऐसी दुनिया चाहती हूं, जहां कोई गुरमेहर कौर ना हो, जिसे अपने पिता की याद सताती हो.
मैं अकेली नहीं. मेरे जैसे कई हैं.

एक भाई की वाल पर मिला अभी अभी
https://www.facebook.com/girish.malviya.16/posts/1433656299999347?comment_id=1433747266656917&comment_tracking=%7B%22tn%22%3A%22R2%22%7D




 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त यश

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