Sunday, 11 March 2018

नेहरू - तिब्बत -चीन : कारण और भ्रम निवारण ------ एस डी ओझा

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Er S D Ojha
10 मार्च 1959 को तिब्बत में क्या हुआ था ? : 

चीन ने अक्टूबर 1950 से तिब्बत को अपने कब्जे में लेना शुरु कर दिया था । शुरूआत में तिब्बत सरकार झुक गयी । चीन के साथ संधि हुई । उसमें तय हुआ कि बाहरी मामले चीन के और अंदरुनी मामले दलाई लामा के अधीन रहेंगे । लेकिन 1958 में चीन के सम्बंध तिब्बत से बहुत हीं खराब हो गये । यहां तक कि चीन ने यह धमकी दे दी कि तिब्बत की राजधानी ल्हासा को वह बम से उड़ा देगा । तिब्बत में यह अफवाह फैल गई कि दलाई लामा को अगवा कर बीजींग ले जाया जाएगा । 10 मार्च 
1959 को दलाई लामा के आवास के चारों ओर 30 हजार तिब्बतियों ने एक मानव दीवार बना दी । यह दीवार अभेद्द थी । छः दिन तक यह दीवार बनी रही । लोग भूखे प्यासे डटे रहे ।

सातवें दिन यानी की 17 मार्च को चीन ने दलाई लामा के घर के सामने तोप व मशीन गन लगा दिए । उस तीस हजारी जनता पर इसका कोई फर्कन हीं पड़ा । 18 मार्च 1959 को चीनी सेना ने दलाई लामा के अंग रक्षकों को मौत के घाट उतार दिया । उन निहत्थे औरतों और बच्चों को मारना शुरु कर दिया । मारने से जनता तितर बितर हो गयी । चीनी सेना दलाई लामा के घर में दाखिल हुई । वहां दलाई लामा नहीं थे । 23 वर्षीय दलाई लामा वहां से भाग गये थे । दलाई लामा को वहां की स्थानीय जनता का समर्थन प्राप्त था । इसलिए वे भागने में कामयाब हो गये ।

बाद के दिनों में जब चीन को पता चला कि भारत ने दलाई लामा को अपने यहां शरण दे रखी है, वह आग बबूला हो गया । उसने भारत से सीमा विवाद का बहाना बनाया । चीन के साथ भारत की दोस्ती हमेशा कागजों में रही । अब यह कागजी दोस्ती भी दुश्मनी में बदल गयी । चीन ने भारत पर आक्रमण कर दिया । 1962 की लड़ाई में भारत की बुरी तरह हार हुई । चीन ने हमारे एक बड़े भू भाग पर कब्जा कर लिया । चीन की साम्राज्यवाद नीतियों ने भारत को कभी भी अपना दोस्त नहीं माना । आज भी चीन भारत का दुश्मन है । आज भी वह सीमा 
विवाद सुलझाने में कोई रुचि नहीं ले रहा है ।


दलाई लामा हमारे शरणागत हैं । उन्होंने भारत के धर्मशाला धमें तिब्बत की राजधानी बना रखी है । दलाई लामा कहां जाते हैं ? क्या करते हैं ? सब पर चीन की नजर होती है । यदि दलाई लामा अरुणांचल प्रदेश भी जाते हैं तो चीन अपना विरोध जताना नहीं भूलता । आज यही चीन साम्यवाद को छोड़ अपना कायाकल्प कर चुका है । यह दुनिया के बाजार में अपना सिक्का जमा चुका है । वैश्वीकरण में चीन अब पहले पायदान पर आ गया है । चीन का आधिपत्य तिब्बत पर आज भी है , चीन का भारत के एक बड़े भू भाग पर कब्जा आज भी है ।


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    संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त यश

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