Sunday, 14 July 2019

सामूहिक चेतना के ह्रास और वर्गीय स्वार्थ के उभार का हश्र है निजीकरण ------ हेमंत कुमार झा

एक नागरिक के रूप में तो बीते दो-ढाई दशकों में गजब की सुप्त चेतना का परिचय दिया है आपने और...पिछले आम चुनाव में तो कमाल ही कर दिया। तो फिर...आप चाहे जितने नारे लगाएं, ऐसी स्थिति में न आप रेलवे को बचा पाएंगे, न बैंकों को, न शिक्षा संस्थानों को, न लाभ कमा रहे सार्वजनिक उपक्रमों को।

Hemant Kumar Jha
3 hrs

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