स्पष्ट रूप से पढ़ने के लिए इमेज पर डबल क्लिक करें (आप उसके बाद भी एक बार और क्लिक द्वारा ज़ूम करके पढ़ सकते हैं ) भाजपा नेता यह पत्रकार कांग्रेस पर जो आरोप लगा रहे हैं उनका जवाब तो कांग्रेस खुद दे या न दे लेकिन जब वह दोनों कम्युनिस्ट पार्टियों का जिक्र करते हैं तो क्या यह बताना चाहते हैं कि, भाकपा और माकपा अब भाजपा के सहयोगी दल हैं ? क्या मोदी के चीन और उनके राष्ट्रपति से संबंध छिपे हुए हैं , क्या चीनी कंपनियों ने पी एम केयर फंड में चंदा मोदी को मजबूत करने के लिए नहीं दिया है ? क्या चीन की निगाह लद्दाख क्षेत्र में उपलब्ध यूरेनियम निर्माण में सहायक ' प्लेटिनम ' पर नहीं लगी है ? अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद वहाँ से प्लेटिनम युक्त मलवा ले जाने का इरादा चीन का है इसीलिए उसने गलवान घाटी को कब्जा किया है। यू एस ए की निगाह भी उस प्लेटिनम युक्त मलवे पर है उसे झटकने के इरादे से ही वह भारत की मदद के नाम पर चीन से भिड़ने को तैयार है लेकिन तब रूस भी चुप नहीं रहेगा और इस प्रकार भारत का मस्तक रहा कश्मीर ( जिसे अब तोड़ दिया गया है ) तृतीय विश्व युद्ध का केंद्र बन जाएगा। यूरोप और अमरीका एशिया में ही तृतीय विश्व युद्ध चाहते हैं। मुश्किल तो यही है आज सभी वामपंथी नेता बिल गेटस के फैलाए जाल -जंजाल में फंस कर कोरोना को महामारी माँने बैठे हैं और सरकारी दमन सह रहे हैं। बिना नेतृत्व के साधारण मजदूरों ने मोदी के लाकडाउन को धता बता कर विद्रोह किया भी तो भी उन को समर्थन न दिया गया । अब ट्रम्प चाल में मोदी ने फिर से सभी विपक्षियों का समर्थन चीन के नाम पर हासिल कर लिया है जबकि ' सविनय अवज्ञा आंदोलन ' मजदूरों के पलायन के समय ही चलाया जाना चाहिए था । ऐसा न होने के कारण भाजपा नेता - पत्रकार कम्युनिस्टों को अपने साथ बताने की कोशिश कर रहे हैं।
कोरोना महामारी वस्तुतः बिल गेटस के साम्राज्य विस्तार की पूर्व नियोजित योजना थी जिसका प्रतिफल उनको मिलने लगा है। यू पी का यह प्रोजेक्ट उसे दिशा में एक और कदम है ------
इंदौर के सॉफ्टवेयर इंजीनियर फैमिली आत्महत्या केस देखकर मन व्यथित हो गया। इसे मेरी सलाह नहीं समय की चेतावनी समझिए कि ये किसी के साथ भी हो सकता है! 18 लाख का पैकेज यानी डेढ़ लाख महीना... दोनों बच्चे DPS (Indias No. 1,One of The Very Costly School) में पढ़ते थे.. Work from Home की सुविधा थी तो काम के साथ शेयर बाजार में ट्रेडिंग का भी धंधा..पिछले महीने नौकरी गई... और इस महीने पूरे परिवार की खुदकुशी... जबकि मां को पेंशन मिलती थी... ससुराल वालों की भी आर्थिक स्थिति अच्छी थी.... जब से ये खबर पढ़ी है... मन व्यथित है। दरसल इकोनॉमी की जैसी हालत है... अभी और हज़ारों-लाखों लोगों की नौकरी जाएगी... कल को मेरी नौकरी भी जा सकती है... वैसे भी जैसे-जैसे उम्र और सैलरी बढ़ती जाती है... पुरानी नौकरी जाने की संभावना उतनी ही ज़्यादा और नई नौकरी मिलने की संभावना उतनी ही कम रहती है... तो फिर क्या करें ? 1- बचत... आज भी इसका कोई विकल्प नहीं है.. आपकी सैलरी 2,00,000 हो या 20,000 की। एक निश्चित रकम हमेशा बचाएं। कम से कम 6 महीने का बफर स्टॉक तो रखें। अगर आप डेढ़ लाख महीना कमाने के बावजूद नौकरी जाने के महज एक महीने के भीतर आत्महत्या कर लें.. आपका डेबिट और क्रेडिट कार्ड खाली हो तो ये मानिए पूरी तरह से गलती आपकी रही होगी। 2-ज़रूरत... शौक के हिसाब से नहीं ज़रूरत के हिसाब से रहें.. आदत मत पालिए ...ब्रांडेड कपड़े पहनना, रेस्तरां में खाना, मॉल और मल्टीप्लेक्स में जाना अच्छा लगता है लेकिन इनके बगैर ज़िंदगी नहीं रुकती..अगर इस मद में कटौती की जाए तब भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा। 3- मां-बाप... आज भी पैसों से ज़्यादा आपको चाहते हैं। क्या हो गया अगर आप बड़े हो गए ? अगर आप अपने माता-पिता को अपनी आर्थिक स्थिति) की सही जानकारी देंगे तो आपको आर्थिक और भावनात्मक दोनों तरह की मदद मिलेगी.. उनसे मदद मांगकर आप छोटे नहीं हो जाएंगे.. आत्मसम्मान बाहर वालों के लिए होता है.. घर वालों से मदद मांगने में नाक छोटी नहीं हो जाएगी.. इंदौर वाले केस में भी मां को पेंशन मिलती थी.. ससुराल वाले भी मदद कर सकते थे लेकिन मदद मांगी तो होती। बॉस की गाली खा सकते हैं तो अपनों से मदद मांगने में क्या बुराई है ? 4- खानदानी प्रॉपर्टी... आप भले ही मूर्ख हों और बचत नहीं करते हों लेकिन आपके माता-पिता और दादा-दादी ऐसे नहीं थे..उन्होंने अपनी सीमित कमाई के बावजूद बचत कर कुछ प्रॉपर्टी जोड़ी होती है... गांव में कुछ ज़मीन ज़रूर होती है...तो याद रखिए कोई भी प्रॉपर्टी या ज़मीन-जायदाद ज़िंदगी से बड़ी नहीं है... मुसीबत के वक्त उसे बेचने में कोई बुराई नहीं है। 5- धैर्य और धीरज रखें... आपकी कंपनी के गेट पर जो सिक्योरिटी गार्ड तैनात रहता हैं उनमें से ज़्यादातर की सैलरी 10 से 20 हज़ार के बीच रहती है... देश में आज भी ज़्यादातर लोग 20 हज़ार रूपये महीने से कम ही कमाते हैं.. कभी सुना है किसी कम सैलरी वाले को आर्थिक वजह से आत्महत्या करते हुए ? खुदकुशी के रास्ता अमूमन ज़्यादा सैलरी वाले लोग और व्यापारी ही चुनते हैं. पैसा जितना ज्यादा आता है। ज़िंदगी की जंग लड़ने की ताकत उसी अनुपात में कम होती जाती है। पैसा कमाइए लेकिन जीवटता को भी जिंदा रखिए। इमरजेंसी में काम आएगी। 6- हालात का सामना करें... इसमें कोई शक नहीं कि बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने का फैशन है लेकिन सरकारी स्कूल अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुवे हैं... याद रखिए आपमें से कई लोग सरकारी स्कूल में पढ़कर ही यहां तक पहुंचे हैं... अब भी कई लोग हैं जो सरकारी स्कूल में पढ़कर UPSC Crack कर रहे हैं... इसलिए अगर नौकरी ना रहे तो बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ने को बेइज़्ज़ती मत समझिए... हो सकता है शुरू में बच्चों को अजीब लगे लेकिन बाद में वो भी समझ जाएंगे। 7- Be Reasonable (लचीलापन रखिए)... अगर आपको पिछली नौकरी में 75 हज़ार या एक लाख रुपये सैलरी मिलती थी तो ज़रूरी नहीं कि नई भी इतनी की ही मिले... मार्केट में नौकरी का घोर संकट है..और इस गलतफहमी में मत रहिए कि आप बहुत टैलेंटेड हैं। टैलेंट बहुत हद तक मालिक और बॉस के भरोसे पर रहता है मालिक या बॉस ने मान लिया कि आप टैलेंटेड हैं तो फिर हैं। एक बार रोड पर आ गए तो टैलेंट धरा का धरा रह जाएगा। आपसे टैलेंटेड लोग मार्केट में खाली घूम रहे हैं। 8- असफलता का स्वाद... यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है, इसको हम सभी को पूरा करना चाहिए। हमारे जीवन में सफलता का जितना महत्व है उतना ही असफलता का भी होना चाहिए। हमें अपने आप को, अपने बच्चों को और परिवार को यह बताना चाहिए कि हमें किसी भी कार्य में, परीक्षा में, बिजनेस में, खेल में, कृषि में असफलता भी मिल सकती हैं। असफलता का स्वाद हमें हमारे बच्चों को बचपन में ही सिखा देना चाहिए। अगर आप बच्चे के साथ कोई गेम खेल रहे हैं, कुश्ती लड़ रहे हैं, तो उस गेम में हमेशा उसको जीताए नहीं, उसे हराए और उसे हार का सामना करना भी सिखाएं। उसे बताएं कि सिक्के के दो पहलू होते हैं- कभी एक ऊपर रहता है, कभी दूसरा ऊपर रहता है अर्थात समय हमेशा एक सा नहीं रहता है। अगर वह हमेशा जीतेगा या आप उसे जिताएंगे तो उसे यह कभी पता ही नहीं चलेगा कि जीवन में असफलता भी मिलती है और भगवान ना करें बड़ा होने पर उसे कोई असफलता मिलती है तो वह उसका सामना ही ना कर पाएं और हिम्मत हार जाएं। इसे साकारात्मक लें, हमलोगो को जीवन भर कुछ न कुछ हमेशा सिखते रहना है यही बताया गया है लेकिन कोरोना वायरस के चलते हुए लाकडाउन ने जो सिखाया उसके बारे में हमलोग कभी सोचा भी नहीं था, लेकिन जीवन का आनंद इसी में है कि ब्यक्ति हर विपरीत परिस्थितियों मे भी मुस्करा कर आगे बढ़ें ये ज़िन्दगी बहुत रुलाएगी ये ज़िन्दगी बहुत सताएगी ये ज़िन्दगी बहुत हंसाएगी, लेकिन आपको सकारात्मक ही रहना होगा। So plz start saving today...
इंदौर। क्रिसेंट वाटर पार्क के कमरे में पति-पत्नी और दो बच्चों के शव मिलने के दूसरे दिन पुलिस की जांच जिस मोड़ पर जाकर रुकी, उससे सोशल मीडिया का एक और भयावह पक्ष सामने आया। जांच में पाया गया कि डीबी सिटी में रहने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियर अभिषेक सक्सेना को ऑनलाइन ट्रेडिंग और सट्टे की लत थी। इससे उस पर लाखों रुपए का कर्ज हो चुका था। कुछ दिन पहले उसकी नौकरी भी चली गई थी। इससे वह लगातार परेशान रहने लगा था।
कर्ज के कारण उसके सभी क्रेडिट कार्ड और अकाउंट ब्लॉक हो गए थे। सट्टे की लत के कारण उसने अपनी पत्नी के अकाउंट से ट्रेडिंग शुरू कर दिया था और वे रुपए भी डूब गए। कर्ज इतना अधिक बढ़ गया था कि उसे लगने लगा था कि वह इसे चुका नहीं पाएगा। 16 सितंबर को उसने केमिकल का डिब्बा मंगवाया था। पुलिस के अनुसार संभवत: इसे ही जहर के रूप में इस्तेमाल किया गया। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार उसने चारों की कॉफी में जहर मिलाया।
ल्लेखनीय है कि निपानिया क्षेत्र स्थित डीबी सिटी में रहने वाले अभिषेक सक्सेना (45), उनकी पत्नी प्रीति सक्सेना (42), बेटे अद्वित (14) व बेटी अनन्या (14) ने क्रिसेंट वाटर पार्क में बुधवार रात को 'जहर' खाकर आत्महत्या की थी। उन्होंने एक दिन पहले ही कमरा किराए पर लिया था। गुरुवार दोपहर तक जब कमरे से कोई आवाज नहीं आई तो स्टाफ ने मास्टर-की से दरवाजा खोलकर देखा तो चारों मृत पड़े थे। तुरंत खुड़ैल पुलिस को सूचना दी। पास में एक केमिकल का डिब्बा और सोना-चांदी तौलने के लिए इस्तेमाल होने वाला छोटा तराजू भी मिला था।
परिजन से मांगे थे 50 हजार
पुलिस के अनुसार परिजन से पूछताछ में पता चला कि अभिषेक ने परिजन से भी 50 हजार रुपए मांगे थे। जांच में पता चला कि अभिषेक पर लाखों का कर्ज है। उसके सभी डेबिट और क्रेडिट कार्ड सहित अकाउंट की जांच की जा रही है।
17 साल पहले हुई थी लव मैरिज
अभिषेक सक्सेना दिल्ली और प्रीति विज पंजाब की रहने वाली थी। दोनों की 17 साल पहले 17 फरवरी 2002 को शादी हुई थी। दोनों की दोस्ती दिल्ली में हुई और बाद में दोनों ने लव मैरिज कर ली। चार साल पहले ही जॉब के लिए अभिषेक अपनी पत्नी, बच्चे और मां को लेकर इंदौर आया था। यहां पर परिवार फ्लैट में किराए से रहता था। पति और पत्नी दोनों ही बिल्डिंग में किसी से मेलजोल नहीं रखते थे।
एफएसएल टीम ने की जांच
पुलिस की एफएसएल टीम ने भी मौके पर पहुंच कर जांच की। पुलिस को पता चला कि अभिषेक डीएक्ससी कंपनी में आईटी इंजीनियर था और परिवार के साथ घूमने का कहकर घर से निकला था। अभिषेक के परिवार में अब केवल 82 वर्ष की बुजुर्ग मां अकेली रह गई है। उसके सभी सभी रिश्तेदार दिल्ली में लोधी रोड पर वसंत विहार में रहते हैं। घटना के बाद उन्हें फोन कर बुलाया गया। शुक्रवार सुबह सभी जिला अस्पताल पहुंचे। पोस्टमार्टम के बाद शव उन्हें सौंप दिया गया। सभी दिल्ली के लिए रवाना हो गए।
Updated: | Sat, 28 Sep 2019 08:49 AM (IST)
Indore Family Suicide Case : पूरी फैमिली का FB अकाउंट बंद किया, फिर उठाया खौफनाक कदम
Indore Family Suicide Case : प्रारंभिक जानकारी के अनुसार इंजीनियर ने पत्नी और बच्चों की कॉफी में जहर मिलाया था।
इंदौर। क्रिसेंट वाटर पार्क के कमरे में पति-पत्नी और दो बच्चों के शव मिलने के दूसरे दिन पुलिस की जांच जिस मोड़ पर जाकर रुकी, उससे सोशल मीडिया का एक और भयावह पक्ष सामने आया। जांच में पाया गया कि डीबी सिटी में रहने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियर अभिषेक सक्सेना को ऑनलाइन ट्रेडिंग और सट्टे की लत थी। इससे उस पर लाखों रुपए का कर्ज हो चुका था। कुछ दिन पहले उसकी नौकरी भी चली गई थी। इससे वह लगातार परेशान रहने लगा था।
कर्ज के कारण उसके सभी क्रेडिट कार्ड और अकाउंट ब्लॉक हो गए थे। सट्टे की लत के कारण उसने अपनी पत्नी के अकाउंट से ट्रेडिंग शुरू कर दिया था और वे रुपए भी डूब गए। कर्ज इतना अधिक बढ़ गया था कि उसे लगने लगा था कि वह इसे चुका नहीं पाएगा। 16 सितंबर को उसने केमिकल का डिब्बा मंगवाया था। पुलिस के अनुसार संभवत: इसे ही जहर के रूप में इस्तेमाल किया गया। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार उसने चारों की कॉफी में जहर मिलाया।
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लैपटॉप, टैबलेट और मोबाइल जब्त
सीएसपी धर्मेंद्र मीणा ने बताया कि पुलिस ने एक लैपटॉप, एक टैबलेट और तीन मोबाइल जब्त किए हैं। गैजेट्स में पासवर्ड डला है। तीन तकनीकी विशेषज्ञ इसे खोलने में लगे हैं। हो सकता है कि इसमें और भी कई जानकारियां मिल जाएं। जीमेल अकाउंट व अन्य सोशल मीडिया अकाउंट की जांच कर रहे हैं।
फेसबुक अकाउंट भी कर दिए थे बंद
सॉफ्टवेयर इंजीनियर होने की वजह से अभिषेक ने यह अनुमान लगा लिया था कि घटना के तुरंत बाद ही सभी सोशल साइट सर्च करेंगे। इसलिए उसने पत्नी-बच्चों सहित खुद के अकाउंट भी डिलीट कर दिए थे। यहां तक कि जो नंबर उसने डीबी सिटी के गार्ड व अन्य लोगों को दिया है, उसमें से भी फोटो हटा दिए थे।
सोसायटी में नहीं थी किसी से बातचीत
पुलिस ने जब डीबी सिटी स्थित मल्टी में पूछताछ की तो कई लोगों ने बताया कि दोनों घर से बाहर ही नहीं निकलते थे। उनकी मां ही सोसायटी के लोगों से मेलजोल रखती थी। दोनों घर पर रहकर कम्प्यूटर पर अपना काम करते थे। पत्नी भी अपना ज्यादा समय कम्प्यूटर पर बिताती थी। कई पड़ोसियों को पता था कि फ्लैट नंबर 804 में एक परिवार रहता है, लेकिन मां के अलावा पति-पत्नी को चेहरे से नहीं पहचानते थे।
दिल्ली में होगा अंतिम संस्कार
परिजन की सहमति से पति-पत्नी और बच्चों के शव का दिल्ली में अंतिम संस्कार करने का फैसला लिया गया। पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद परिजन को शव सौंप दिए। इंदौर में उनके रिश्तेदार भी नहीं थे, ऐसे में बार-बार इंदौर आना भी मुश्किल था। कल सुबह तक शव दिल्ली पहुंच जाएंगे। उनकी मां व अन्य परिजन को भी पूछताछ के बाद पुलिस ने रवाना कर दिया। अभिषेक डीएक्सटी नामक जिस कंपनी में नौकरी करता था, वहां के लोगों से भी पुलिस पूछताछ कर सकती है।
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एक तरफ नेपाल की संसद अपना संविधान संशोधित करके भारत के क्षेत्र को अपना जतलाने जा रही है और वहाँ के रक्षामंत्री भारतीय सेना की गोरखा ब्रिगेड में असंतोष की बाट जोह रहे हैं वहीं दूसरी ओर यू पी की राजधानी समेत अनेक उत्तरी क्षेत्र के नगरों में असंख्य नेपाली लोग बिखरे पड़े हैं जो चीन का माल तस्करी द्वारा लाकर यहाँ के बाजारों में खपाते रहे हैं। इनमें से कुछ लोग शहर की कालोनियों में चौकीदार बन कर रहते हैं और संबंधित पुलिस थाने के कर्मियों से साठ -गांठ करके अपने काम को अंजाम देते हैं। न केंद्र सरकार ने न प्रदेश सरकार ने इन नेपालियों को चिन्हित करके उनके विरुद्ध कोई कारवाई की है जबकि इन नेपालियों के जरिए देश की सुरक्षा को गंभीर खतरा नजर आ रहा है ------ संकलन-विजय माथुर,
फौर्मैटिंग-यशवन्त यश