Tuesday 30 June 2020

भाकपा और माकपा क्या अब भाजपा के सहयोगी दल हैं ?

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भाजपा नेता यह पत्रकार कांग्रेस पर जो आरोप लगा रहे हैं उनका जवाब तो कांग्रेस खुद दे या न दे लेकिन जब वह दोनों कम्युनिस्ट पार्टियों का जिक्र करते हैं तो क्या यह बताना चाहते हैं कि,  भाकपा और माकपा अब भाजपा के सहयोगी दल हैं ?
क्या मोदी के चीन और उनके राष्ट्रपति से संबंध छिपे हुए हैं , क्या चीनी कंपनियों ने पी एम केयर फंड में चंदा  मोदी को मजबूत करने के लिए नहीं दिया है ? 
क्या चीन की निगाह लद्दाख क्षेत्र में उपलब्ध यूरेनियम निर्माण में सहायक ' प्लेटिनम ' पर नहीं लगी है ? 
अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद वहाँ से प्लेटिनम युक्त मलवा ले जाने का इरादा चीन का है इसीलिए उसने गलवान  घाटी को कब्जा किया है। 
यू एस ए की निगाह भी उस प्लेटिनम युक्त मलवे पर है उसे झटकने के इरादे से ही वह भारत की मदद के नाम पर चीन से भिड़ने को तैयार है लेकिन तब रूस भी चुप नहीं रहेगा और इस प्रकार भारत का मस्तक रहा कश्मीर ( जिसे अब तोड़ दिया गया है ) तृतीय विश्व युद्ध का केंद्र बन जाएगा। यूरोप और अमरीका एशिया में ही तृतीय विश्व युद्ध चाहते हैं। 

मुश्किल तो यही है आज सभी वामपंथी नेता बिल गेटस के फैलाए जाल -जंजाल में फंस कर कोरोना को महामारी माँने बैठे हैं और सरकारी दमन सह रहे हैं। बिना नेतृत्व के साधारण मजदूरों ने मोदी के लाकडाउन को धता बता कर विद्रोह किया भी तो भी उन को समर्थन न दिया गया । अब ट्रम्प चाल में मोदी ने फिर से सभी विपक्षियों का समर्थन चीन के नाम पर हासिल कर लिया है जबकि ' सविनय अवज्ञा आंदोलन ' मजदूरों के पलायन के समय ही चलाया जाना चाहिए था । ऐसा न होने के कारण भाजपा नेता - पत्रकार कम्युनिस्टों को अपने साथ बताने की कोशिश कर रहे हैं। 


कोरोना महामारी वस्तुतः बिल गेटस के साम्राज्य विस्तार की पूर्व नियोजित योजना थी जिसका प्रतिफल उनको मिलने लगा है। यू पी का यह प्रोजेक्ट उसे दिशा में एक और कदम है ------








 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त यश

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