Friday 3 July 2020

शीला दीक्षित की राजनीति

स्पष्ट रूप से पढ़ने के लिए इमेज पर डबल क्लिक करें (आप उसके बाद भी एक बार और क्लिक द्वारा ज़ूम करके पढ़ सकते हैं ) 

हमारे एक सहकर्मी रहे पद्मा शंकर पांडे जब  होटल मुगल , आगरा जाब करने आए तो डी एम आवास मे रहते थे। जिलाधिकारी श्री विनोद दीक्षित उनके बड़े भाई के साले साहब थे। श्री दीक्षित एमेर्जेंसी के समय गृह मंत्री रहे श्री उमा शंकर दीक्षित के पुत्र थे। पांडे जी से मिलने उनकी पत्नी श्रीमती शीला दीक्षित (दिल्ली की पूर्व  मुख्यमंत्री) अक्सर होटल मुगल आती रहती थी। वैसे महिला कार्यक्रमों और कांग्रेस के कार्यक्रमों मे भी आने पर वह पांडे जी से भेंट अवश्य करती थी। I A S से रिजायींन  करके वह कांग्रेस मे सक्रिय थी। एक बार पांडे जी के इन्तजार मे वह होटल की बाउंड्री दीवार पर बैठ गईं थी जिसे उनकी सादगी माना गया था।  जब दीक्षित जी बाराबंकी स्थानांतरित हो गए तो उन्होने वहा की सोमैया आर्गेनिक कंपनी  मे लाइजन आफ़ीसर के पद पर पांडे जी की नियुक्ति करा दी। पांडे जी का इंटरव्यू लेने अधिकारी होटल मुगल आया था। जब जनता सरकार मे दीक्षित जी गोरखपुर स्थानांतरित हो गए तो पांडे जी को हटा दिया गया था।
जब पूर्व सांसद संदीप दीक्षित (दिल्ली की पूर्व मुख्य मंत्री के पुत्र) 10 वर्ष के थे अपने बाबाजी उमाशंकर दीक्षित के साथ उसी रेल से यात्रा कर रहे थे जिसमे उनके पिता विनोद दीक्षित सरकारी यात्रा पर थे। बाबा-पोता घर पहुँच गए और विनोद दीक्षित का कोई अता-पता नहीं चला तो पूर्व गृह मंत्री अपने पुत्र को खोजने पुनः स्टेशन पहुंचे जहां पता चला कि विनोद दीक्षित बंद  टाइलेट मे मृत पाये गए।

उमाशंकर दीक्षित जी की मृत्यु के बाद से शीला दीक्षित ज्यादा सक्रिय हो गईं और तीन  बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं  एवं कामन वेल्थ खेलों मे उन पर कीचड़ भी उछला था  जिसे उनके तत्कालीन सांसद पुत्र संदीप ने अन्ना -आंदोलन मे मध्यस्थता करके अन्ना-जल से धो डाला था । कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति मे संदीप दीक्षित,शीला दीक्षित और मनमोहन सिंह जी उस तरफ थे जो सोनिया जी की अनुपस्थिति मे बनी 4 सदस्यीय कमेटी को नीचा दिखाना चाहते थे । इनही लोगों ने किरण बेदी,अरविंद केजरीवाल के माध्यम से अन्ना साहब को भूख हड़ताल करने को प्रेरित किया था जिससे घपले-घोटालों ,मंहगाई (पेट्रोल,डीजल,गैस की मूल्य वृद्धि से जो तब बढ़ायी गई जब बंगाल से बामपंथी शासन समाप्त हो गया),शोषण-उत्पीड़न,बेरोजगारी,किसानों की आत्म-हत्याओं ,पासको को उड़ीसा की उपजाऊ भूमी 50 वर्ष के लिए देने के गैर कानूनी कृत्य आदि से जनता का ध्यान हटाने मे इस गुट को भारी सफलता मिली जिसके लिए अमेरिका की कार निर्माता कंपनी  के फोर्ड फाउंडेशन ने खजाना खोल रखा था। कारपोरेट घरानों और साम्राज्यवादी हितों के संरक्षण मे अन्ना आंदोलन ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। ------







 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त यश

No comments:

Post a Comment

कुछ अनर्गल टिप्पणियों के प्राप्त होने के कारण इस ब्लॉग पर मोडरेशन सक्षम है.असुविधा के लिए खेद है.