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Sunday, 12 March 2017

ईवीएम मैनैज कर चुनाव में धांधली हुई ------ मायावती, पूर्व मुख्यमंत्री

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http://www.rediff.com/news/report/up-election-alleging-evm-tampering-mayawati-calls-for-fresh-polls/20170311.htm





http://www.nationaldastak.com/story/view/opinion-on-up-election-result



उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती जी ने स्पष्ट कहा है कि, EVM मशीनों को मैनैज किया गया है और केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा को यू पी में बहुमत दिलवाया गया है। जैसी की उम्मीद थी चुनाव आयोग ने इन आरोपों को गलत बताया है। चुनावों में पीठासीन अधिकारी रहे लोगों ने EVM मशीनों से छेड़ - छाड़ किए जाने से इंकार किया है। अति जोशीले लोग मायावती जी के ज्ञान पर प्रश्न चिन्ह खड़े कर रहे हैं। 
1991  सांप्रदायिक दंगों मे जिस प्रकार सरकारी मशीनरी ने एक सांप्रदायिकता का पक्ष लिया है उससे अब संघ की दक्षिण पंथी असैनिक तानाशाही स्थापित होने का भय व्याप्त हो गया है। 1977 के सूचना व प्रसारण मंत्री एल के आडवाणी ने आकाशवाणी व दूर दर्शन मे संघ की कैसी घुसपैठ की है उसका हृदय विदारक उल्लेख सांसद पत्रकार संतोष भारतीय ने वी पी सरकार के पतन के संदर्भ मे किया है। आगरा पूर्वी विधान सभा क्षेत्र मे 1985 के परिणामों मे संघ से संबन्धित क्लर्क कालरा ने किस प्रकार भाजपा प्रत्याशी को जिताया उस  घटना को भुला दिया गया है। 
आगरा पूर्वी  ( वर्तमान उत्तरी ) विधान सभा क्षेत्र मे 1985 में मतगणना क्लर्क कालरा ने हाथ का पंजा मोहर लगे मत पत्रों को ऊपर व नीचे गड्डी में कमल मोहर लगे मत पत्रों के बीच छिपा कर गणना करके भाजपा प्रत्याशी सत्यप्रकाश विकल को विजयी घोषित करवा दिया था। पराजित कांग्रेस प्रत्याशी सतीश चंद्र गुप्ता ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने अपनी निगरानी में पुनः मत गणना करवाई और गलती पकड़ने पर भाजपा के सत्य प्रकाश विकल का चुनाव रद्द करके कांग्रेस के सतीश चंद्र गुप्ता को विजयी घोषित कर दिया था। 2014 के लोकसभा चुनावों में बनारस में EVM हेरा फेरी का मामला प्रकाश में आया था किन्तु भाजपा के केंद्र में सरकार बना लेने के बाद मामला दब गया था। अतः सभी राजनीतिक दलों को मायावती जी का सहयोग व समर्थन करना चाहिए।

लेकिन यह भी बिलकुल सच है कि, कांशीराम - मुलायम समझौते के बाद सत्तारूढ़ 'सपा - बसपा गठबंधन' की सरकार को मायावती जी ने भाजपा के सहयोग से तोड़ कर और भाजपा के ही समर्थन से खुद मुख्यमंत्री पद ग्रहण किया था। दो बार और भाजपा के ही समर्थन से सरकार बनाई थी तथा गुजरात चुनावों में मोदी के लिए अटल जी के साथ चुनाव प्रचार भी किया था। भाजपा की नीति व नीयत साफ थी कि, मायावती जी के जरिये मुलायम सिंह जी व सपा को खत्म कर दिया जाये और बाद में मायावती जी व बसपा को यह सब जानते हुये भी मायावती जी भाजपा की सहयोगी रहीं थीं। यदि वह 'सपा - बसपा गठबंधन' मायावती जी ने भाजपा के फायदे के लिए न तोड़ा होता तो आज 2017 में भाजपा द्वारा न तो सपा को और न ही बसपा को हानी पहुंचाने का अवसर मिलता वह केंद्र की सत्ता तक पहुँच ही न पाती।