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Monday, 22 October 2018

एन डी तिवारी ------ राजीव नयन बहुगुणा

Rajiv Nayan Bahuguna Bahuguna
21-10-2018 
खूब शुद , असबाबे - ख़ुद बीनी शिकस्त 
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आखिर नारायण दत्त तिवारी समय निकाल कर मर ही गए। इस देश में मरने के बाद मनुष्य देव तुल्य हो जाता है। कोई नहीं कहता कि मर गए। बल्कि कहा जाता है कि स्वर्गवासी हो गए , अथवा दिवंगत हो गए। लेकिन चूँकि मुझे पता है कि तिवारी न तो दिवंगत हुए हैं , न स्वर्ग वासी हुए हैं , बल्कि मर गए , जैसे सब मरते हैं। क्या बिडंबना है कि बस दुर्घटना में लोग मर जाते हैं , और विमान दुर्घटना में हताहत होते हैं। इसी तरह सामान्य मनुष्य मर जाता है , जबकि तिवारी जैसा महाजन दिवंगत होता है। 
चूंकि मैं एक चांडाल प्रवृत्ति वाला क्रूर पत्रकार हूँ , कोई नेता नहीं हूं , अतः मरे मनुष्य की भी कपाल क्रिया करता हूँ ।
मैं तिवारी जी की लीलाओं का पिछले कम से कम ४५ साल से एक जिज्ञासु साक्षी रहा हूँ। एक पत्रकार के रूप में मुझे जब भी मेरी रूचि अथवा विशेषग्यता के क्षेत्र पूछे गए , तो मेरा उत्तर सदैव यही रहा - पर्यावरण , संगीत , देशाटन , सेक्स और नारायण दत्त तिवारी। इन सभी विषयों पर मैं आधा घंटे के नोटिस पर एक हज़ार शब्दों का लेख आनन - फानन लिख सकता हूँ। 
नैनीताल ज़िले के एक सुदूर गांव में , अति सामान्य परिवार में जन्मे तिवारी का मूल सर नेम बमेठा है। उनके पहले चुनाव ( १९५२ ) में नारा लगता था - विधना तेरी लीला न्यारी , बाप बमेठा , च्यला तिवारी। सम्भवतः जब वह स्वाधीनता संग्रामै में जेल से छूट कर आगे की पढ़ाई करने इलाहाबाद ( योगी का प्रयाग ) गए , तो अपना अटपटा सर नेम बमेठा बदल कर तिवारी कर दिएै। । क्योंकि यह उत्तराखंड के अलावा बिहार और पूर्वी उत्तरप्रदेश का एक प्रचलित सर नेम है। 
विलक्षण और स्वप्रेरित तिवारी 17 साल की उम्र में ही स्वाधीनता संग्राम में जेल यात्रा कर चुके थे। ख़ास बात यह रही कि बाप - बेटे , अर्थात नारायण दत्त तिवारी और उनके पिता , जिनका मुझे अभी नाम याद नहीं आ ,रहा , दोनों एक साथ जेल गए , और जेल से छूट कर पिता - पुत्र ने साथ साथ दसवीं की परीक्षा दी। ज़ाहिर ै कि पिता भी बिंदास पुरुष रहे होंगे। 
कोई आठ साल पहले , जब तिवारी हैदराबाद के राजभवन से अपने मुंह पर कालिख पुतवा कर देहरादून लौटे , तो उनके घर के पास गुज़रते मुझे प्यास लगी। मैंने अपने सहयोगी से कहा - तिवारी के घर की और गाडी मोड़ो , पानी वहीँ पिएंगे। अकेले बैठे तिवारी को मैंने उनके जीवन की कयी ऎसी घटनाएं सुनायीं , जो उन्हें भी याद न थीं। चकित तिवारी बोले - अरे आपको तो मेरे बारे में सब कुछ पता है। आप पहले कभी मिले नहीं। मैंने कहा श्रीमंत , यह मेरी आपसे 174 वीं मुलाक़ात है. पर आपने कभी मेरी तरफ ध्यान नहीं दिया , क्योंकि मैं औरत नहीं हूँ। ( जारी )
https://www.facebook.com/rajivnayanbahuguna.bahuguna/posts/2241293479428748


विधना तेरी लीला न्यारी 
बाप बमेटा च्यला तिवारी -2
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नारायण दत्त तिवारी विनम्र अवश्य थे , पर खुंदकी भी अव्वल दर्जे के थे । बात को मन मे रखते थे , और प्रतिद्वंद्वी को धीमी आंच के तंदूर की तरह भीतर तक भून देते थे । यूं मेरे पिता के सम्मुख वह सदैव उनकी अभ्यर्थना करते , पर मन ही मन उनसे खुंदक खाते थे । इसके दो कारण थे । प्रथम तो मेरे पिता हेमवती नन्दन बहुगुणा के अधिक क्लोज़ थे । और दूसर वह इंदिरा गांधी से तिवारी की पर्यावरण विरोधी हरकतों की शिकायत कर उन्हें आयरन लेडी से डंटवाते थे । दोनो का प्रसंग संक्षेप में । 
इमरजंसी लगी , तो इंदिरा जी का उद्दाम बेटा संजय कोंग्रेसी मुख्य मंत्रियों को हांकने लगा । इसी क्रम में वह लखनऊ आया , और मुख्य मंत्री बहुगुणा को निर्देश के अंदाज़ पर देषणा देने लगा । बहुगुणा मेरी ही तरह एक नकचढ़े पुरुष थे । उन्होंने संजय से कहा - ये राजनीतिक मसले तुम्हारी मम्मी और मैं सुलझा देंगे । तुम खाओ , खेलो , और अपनी सेहत पर ध्यान दो । फिर अपने स्टाफ को हांक लगाई - अरे देखो , ये बच्चा आया है । इसे फल , दूध मिठाई दो ।
सांवले पहाड़ी के ये तेवर देख संजय जल भुन गया , और पांव पटकता दिल्ली को फिरा । उसने तत्क्षण बहुगुणा को अपदस्त करने की ठान ली । उत्तर प्रदेश के दो व्यक्ति उसका मोहरा बने । प्रथम राज्यपाल एम चेन्ना रेड्डी , और द्वित्तीय बहुगुणा के सीनियर केबिनेट मिनिस्टर तिवारी । चेन्ना रेड्डी बहुगुणा से रंजिश रखता था , क्योंकि बहुगुणा ने अखिल भारतीय कॉंग्रेस कमेटी का महा सचिव रहते उसकी बजाय पीवी नरसिंहराव को आंध्र का cm बनवाया । राव , बहुगुणा की चमचागिरी करता था , और बहुगुणा को चमचागिरी पसन्द थी । 
ये दोनों व्यक्ति आये दिन दिल्ली जाकर बहुगुणा के खिलाफ संजय के कान भरते थे । 
हेमवती बाबू ने एक बार मुझे बताया - जब मैं दिल्ली से इस्तीफा देकर लखनऊ आया , तो मेरी सारी केबिनेट मुझे रिसीव करने हवाई अड्डे पर मौजूद थी । सिर्फ नारायण दत्त न था । मैं तभी समझ गया था कि उत्तर प्रदेश का अगला cm नारायण दत्त होगा । यह भीषण मित्र घात और गुरु द्रोह था । तिवारी को कांग्रेस में बहुगुणा ही लाये थे , और उन्हें यह कह कर महत्वपूर्ण मंत्रालय दिलाये , कि यह मेरे गांव के पास का लड़का है । (जारी )
https://www.facebook.com/rajivnayanbahuguna.bahuguna/posts/2241874469370649

Monday, 28 January 2013

'इंसाफ' सम्मेलन

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 हिंदुस्तान,लखनऊ,दिनांक 28 जनवरी 2013 ,पृष्ठ -10 पर प्रकाशित यह समाचार काबिले गौर है-
 (वस्तुतः ऐसा  है नहीं जो छापा गया है;इसके पीछे के छिपे रहस्य को समझने के लिए इस लेख का सूक्ष्म अध्यन वांछित है)---





कल दिनांक 27 जनवरी 2013 को बाराबंकी के गांधी भवन मे सम्पन्न 'तंजीम-ए-इंसाफ' के मंडलीय सम्मेलन मे बोलते हुये भाकपा,उत्तर प्रदेश के सचिव डॉ गिरीश ने कहा था कि,फैजाबाद मे हुये सांप्रदायिक दंगे ATS और पुलिस,पी ए सी द्वारा प्रायोजित थे। उन्होने बताया था कि केंद्र की यू पी ए सरकार गुजरात के मोदी को वहाँ जिताने के बाद उसका हौवा दिखा कर 2014 के चुनावों मे मुस्लिम वोट बैंक अपने पीछे खड़ा करना चाहती है ठीक उसी प्रकार यू पी की सपा सरकार भी फैजाबाद आदि ग्यारह स्थानों पर सांप्रदायिक दंगे करवा चुकी है,उद्देश्य मुस्लिमों को भयभीत करके सपा के पीछे लामबंद करना है।डॉ गिरीश ने अपने उद्बोधन मे उदाहरण देते हुये बताया कि जिस प्रकार 'हनुमान' ने सुरसा का 'वध' करके अपने ध्येय मे सफलता प्राप्त की थी उसी प्रकार आज 'इंसाफ' को भी बामपंथी शक्तियों के सहयोग से सांप्रदायिकता और साम्राज्यवाद का वध करने के लिए आगे आ कर 'पूंजीवाद' के विरुद्ध लामबंद होना चाहिए।

डॉ गिरीश के कथन की पुष्टि कल रविवार को ही फैजाबाद मे पूर्व सी एम पंडित नारायण दत्त तिवारी द्वारा गुजरात के मोदी की प्रशंसा करने से हो जाती है। श्री तिवारी यहाँ सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के बुलावे पर आए हुये हैं और उनको 2014 मे चुनाव बाद  प्रधानमंत्री के पद पर देखना चाहते हैं। इससे पूर्व सी एम अखिलेश भी दिल्ली मे मोदी से बड़ी आत्मीयता से मिले थे।

13 मार्च 1977 को आगरा के रामलीला मैदान मे चुनाव सभा को संबोधित करते हुये स्व.हेमवती नन्दन बहुगुणा ने तत्कालीन सी एम तिवारी जी की विशेषता बताते हुये कहा था कि जब वह सी एम थे तब तिवारी जी अपने विभाग के वरिष्ठत्तम मुस्लिम अधिकारी की उपेक्षा करके कनिष्ठ अपने चहेते अधिकारी को विभागीय सचिव बनाने की सिफ़ारिश लाये थे। उनकी सिफ़ारिश स्वीकार करते हुये बहुगुणा जी ने उन वरिष्ठ मुस्लिम अधिकारी को OSD-आफ़ीसर आन स्पेशल ड्यूटी नियुक्त कर दिया था।

उत्तर प्रदेश मे बहुगुणा जी के नेतृत्व मे रह कर मुलायम सिंह जी ने मुस्लिमों मे अपनी पैठ बना ली थी और फिर बहुगुणा जी से अलग हो गए थे। आज तिवारी जी उनके संरक्षक बन गए हैं और मोदी की प्रशंसा के पुल भी बांध रहे हैं । इससे सपा सरकार की आगे की रण-नीति को साफ समझा सकता है।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के पूर्व राज्यसभा सदस्य कामरेड अज़ीज़ पाशा के नेतृत्व मे 'आल इंडिया तंजीमे इंसाफ' का गठन किया गया है जिसके उत्तर प्रदेश मे संयोजक पूर्व विधायक कामरेड इम्तियाज़ अहमद हैं ।



कामरेड अज़ीज़ पाशा,कामरेड इम्तियाज़ अहमद और डॉ गिरीश के अतिरिक्त इंसाफ सम्मेलन को संबोधित करने वाले अन्य वक्ता गण थे- कामरेड अरविंद राज स्वरूप,डॉ ए ए खान, एडवोकेट शुएब अहमद,मिर्ज़ा साहब और संचालक रण धीर सिंह'सुमन',एडवोकेट आदि। लखनऊ से जिलामंत्री कामरेड मोहम्मद ख़ालिक़ के नेतृत्व मे एक प्रतिनिधि मण्डल बाराबंकी सम्मेलन मे शामिल हुआ जिसके अन्य सदस्य थे-कामरेड ओ पी अवस्थी,पी एन दिवेदी, मोहम्मद अकरम एवं विजय माथुर। 

संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर