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27/12/11--हिंदुस्तान |
वरिष्ठ साहित्यकार गिरिराज किशोर जी के ये विचार हिंदुस्तान,लखनऊ के 27 दिसंबर 2011 के अंक मे छ्पे थे। पहले साहित्यकारों मे उच्च नैतिकता थी और वे सत्ता से सहायता नाही लेना चाहते थे जिस कारण 'निराला'जी की सहायता हेतु महादेवी वर्मा जी की सहायता लेनी पड़ी। व्याकर्णाचार्य किशोरी दास बाजपाई को पुरस्कार देने उनकी सीट पर तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरार जी देसाई खुद गए थे न कि आचार्य जी मंच पर गए थे। आज कुछ लोग सत्ता की चापलूसी करके अपने लिए सहायता और पुरस्कारों का प्रबंध कर रहे है जो साहित्य साधक के लिए अनुचित है।
संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर