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बाजारवाद,ढोंग और पाखंड ने मिल कर सभी पर्वो की वैज्ञानिकता समाप्त कर दी है। कुछ लोग समन्वय का प्रयास कर रहे है लेकिन अहंकारी लोग उनका उपहास उड़ाते और सांप्रदायिक मोड देते हैं। रेलवे का भ्रष्ट सर्जन आदि गत वर्ष ऐसा कर चुके हैं।
संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर
बाजारवाद,ढोंग और पाखंड ने मिल कर सभी पर्वो की वैज्ञानिकता समाप्त कर दी है। कुछ लोग समन्वय का प्रयास कर रहे है लेकिन अहंकारी लोग उनका उपहास उड़ाते और सांप्रदायिक मोड देते हैं। रेलवे का भ्रष्ट सर्जन आदि गत वर्ष ऐसा कर चुके हैं।
संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर
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