तीसरा मोर्चा का शिगूफ़ा,ग्रहों की चाल और समय पूर्व चुनावों की दस्तक
लोकसंघर्ष मे 13-09-2012 को ऐसा कहा गया था---
(मुलायम सिंह के तीसरा मोर्चा कीचुनाव बाद घोषणा पर )
चुनाव लड़ने में समझौता नहीं करेंगे क्यूंकि उसमें अन्य दलों को भी सीटें देनी पड़ेंगी और चुनाव बाद उन्ही दलों की मदद से तीसरा मोर्चा बना कर प्रधानमंत्री बनने की उनकी ख्वाहिश भी पूरी नहीं होगी।
http://loksangharsha.blogspot.com/2012/09/blog-post_13.html
उस लेख पर मैंने यह टिप्पणी दी थी-
विजय राज बली माथुर ने कहा…
मनमोहन सिंह जी नरसिंघा राव जी के परम प्रिय शिष्य हैं। राव साहब ने अपने हटने से पहले कांग्रेस को सत्ताच्युत करने का बंदोबस्त कर दिया था और दो वर्षों के अंतराल मे भाजपा को सत्तासीन होने का अवसर प्रदान कर दिया था। मनमोहन जी उसी नीति का अनुसरण कर रहे हैं। एक के बाद एक ऐसे निर्णय लिए जा रहे हैं जिंनका खामियाजा कांग्रेस चुनावों मे भुगतेगी। गत वर्ष अपनी पार्टी अध्यक्ष की गैर हाजिरी मे उनके द्वारा RSS/देशी-विदेशी कारपोरेट घरानों की मदद से अन्ना आंदोलन खड़ा करा कर पार्टी महासचिव राहुल को अन्ना से भिड़ाने का उपक्रम किया था। राहुल ने चुप्पी साध कर उनकी योजना पर पानी फेर दिया था। इस बार जन-विरोधी निर्णयों को लागू करके अपनी पूरी पार्टी की कब्र उन्होने खोद दी है। इतिहास मे वह आत्मभंजक के रूप मे ही जाने जाएँगे।
लेकिन इस बार एल के आडवाणी साहब ने भी ठान लिया है कि वह अपनी पार्टी और उसके नेता को पी एम नहीं बनने देंगे। ऐसी सूरत मे यदि बामपंथ ने साथ न दिया तो मुलायम वाया आडवाणी भाजपा के समर्थन से भी पी एम बन सकते हैं भले ही छह माह के लिए ही सही।
यदि बामपंथ मे कुछ नेता केंद्र सरकार मे मंत्री बनने के इच्छुक होंगे तो निश्चित रूप से बामपंथ भाजपा को रोकने के नाम पर मुलायम के तीसरे मोर्चे को ही समर्थन दे देगा बनिस्बत कांग्रेस के।
आज
04 अगस्त को प्रातः शनि के पुनः 'तुला राशि' मे संक्रमण को कुछ अखबारों मे
प्रकाशित ज्योतिषियों के हवाले से 'शुभ' बताया गया है और फेसबुक पर भी ऐसी
ही धारनाएं व्यक्त की गई हैं। किन्तु 14 अगस्त को प्रातः 09-50 पर 'मंगल'
तुला राशि मे 'शनि' के साथ फिर आ जाएगा। जो कि यह युति 28 सितंबर रात्री
08-44 तक बनाए रखेगा। इस योग का परिणाम यह होगा कि 'ताप' की अधिकता होगी और
'पवन' का वेग भी तीव्र होगा। अर्थात अग्न
िवात,हिंसा,अस्त्र-शस्त्र
भंडार क्षति तो होगी ही जन-धन की भी क्षति होगी। संक्रामक रोग मनुष्यों व
पशुओं मे भी फैलेंगे। 'गुरु' और 'राहू' के 180 डिग्री पर रहने के कारण राहत
कार्यों पर धन व्यय होगा,सरकार द्वारा जन-सौख्य के कदम उठाए जाएँगे। परंतु
वरिष्ठ नेताओं को आपदा का सामना करना पड़ेगा,कृषकों को चिंता होगी,उत्पादन
न्यून होगा और विश्व अर्थ-व्यवस्था असंतुलित हो जाएगी।
28 सितंबर से 'मंगल' 'राहू' के साथ आकार 09 नवंबर प्रातः 09-39 तक रहेगा जिसके फल्स्व्रूप यान-खान दुर्घटना,भूकंप आदि भी होंगे। ये निष्कर्ष 'चंन्ड-मार्तंड' पंचांग से लिए गए हैं।
अब देखने की बात यह होगी कि जो लोग वैज्ञानिकता के नाम पर या साम्यवादी होने के नाम पर या नास्तिक होने के नाम पर 'ज्योतिष' को नहीं मानते उन लोगों को ये ग्रह 'मुक्त' कैसे रखेंगे?
28 सितंबर से 'मंगल' 'राहू' के साथ आकार 09 नवंबर प्रातः 09-39 तक रहेगा जिसके फल्स्व्रूप यान-खान दुर्घटना,भूकंप आदि भी होंगे। ये निष्कर्ष 'चंन्ड-मार्तंड' पंचांग से लिए गए हैं।
अब देखने की बात यह होगी कि जो लोग वैज्ञानिकता के नाम पर या साम्यवादी होने के नाम पर या नास्तिक होने के नाम पर 'ज्योतिष' को नहीं मानते उन लोगों को ये ग्रह 'मुक्त' कैसे रखेंगे?
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'बकवास' कहना और लिखना कितना आसान है लेकिन क्या ग्रहों की चाल को रोका या टाला जा सकता है?यदि हाँ तो वित्त मंत्रालय,महाराष्ट्र के सी एम आफिस,नेल्लोर मे तामिल नाडू एक्स्प्रेस मे अग्निकांड क्यों नहीं रोके जा सके। ईरान की भूकंप त्रासदी को क्यों नहीं रोका जा सका। ईरान का घोर शत्रु भी आज ईरान को मानवीय मदद का प्रस्ताव दे रहा है पहले उसके वैज्ञानिकों ने चेतावनी देकर आबादी को क्यों नहीं हटवाया या भूकंप को रोक लिया।लेकिन विरोध के लिए विरोध करना फैशन है तो करते हैं जन-कल्याण बाधित करने के लिए।
राजनेताओं मे कैप्टन डॉ लक्ष्मी सहगल,के बाद केंद्रीय मंत्री विलास राव देशमुख को भी क्यों नहीं बचाया जा सका?
यू पी सरकार के नेताओं मे मतभेदों के बारे मे भी आंकलन पहले ही दिया जा चुका है।
http://krantiswar.blogspot.in/2012/03/blog-post_16.html?
14 सितंबर को केंद्र सरकार ने गैस के दाम अनाप शनाप बढ़ाते हुये 'खुदरा व्यापार' के लिए वाल मार्ट आदि विदेशी कंपनियों के लिए दरवाजे खोल दिये और सहयोगी दलों के विरोध पर सदा चुप रहने वाले पी एम मनमोहन सिंह जी ने कहा कि सरकार जानी है तो दम-खम के साथ जाये। तमाम लोग इस पर भी सरकार की स्थिरता के प्रति आश्वस्त हैं। लेकिन ग्रह क्या कहते हैं जान लीजिये-
अमा.पूर्णिमा वार रवि,नहीं सुखद परिवेश। निर्धन लेवे आपदा ,पशुजन पीड़ित देश । ।
रोग शोक व्याधि गति,संक्रामक अतिचार। सुख सुविधा मे न्यूनता,पाँच रूप रविवार । ।
गति चाल मार्गी गति ,गणना शनि प्रधान । मौलिक राशि तुला बने,गोचर पंथ विधान । ।
राज काज व्यापार मे,चिंतन विविध प्रकार । नायक नेता आपदा ,जन विग्रह संचार । ।
कृषि खेत खलिहान मे,चिंतन कृषक निहार। उत्पादन उद्योग मे,सांसारिक अधिभार । ।
वित्त व्यवस्था विश्व की,असंतुलित परिवेश। मुद्राकोश आर्थिक विषय,चिंतन देश विदेश । ।
चलन कलाँ गुरु भौम का,षडाश्टकी शनि पक्ष। राजतंत्र नव चेतना,गठबंधन गति दक्ष । ।
दल विरोध की जगराती,नायक सत्ता मंद। राजकाज विपदा गति,निर्णय कथन दु: द्वंद । ।
युति योग शनि भौम का,राशि तुला निहार। अग्नि -वात से आपदा ,अस्त्र शस्त्र भंडार । ।
विस्फोटक रचना गति,हिंसा द्वंद प्रसार। राहत सेहत पक्ष मे,व्यय विशेष अधिभार । ।
मंगल राहू साथ मे,सम सप्तक गुरु भौम। यान खान घटना विविध,भू क्रंदन गति व्योम । ।
व्यय विशेष संसार मे,राज काज पाठ भार । त्रोटक संधि वार्ता,सीमा क्षेत्र विचार । ।
(पृष्ठ-41,निर्णय सागर-'चंड मार्तंड पंचांग ) इसी पृष्ठ पर 02 सितंबर से 05 सितंबर तथा 12 सितंबर से 16 सितंबर एवं 19 सितंबर से 23 तथा 27 सितंबर से 30 सितंबर तक न्यूनाधिक मानसून रचना का अंदेशा व्यक्त किया गया है। )
हिंदुस्तान,लखनऊ,16-09-2012 के पृष्ठ 02 पर मौसम निदेशक जे पी गुप्त की रिपोर्ट मे छ्पा है-"मध्य उत्तर प्रदेश के ऊपर कम हवा का दबाव क्षेत्र बना हुआ है और मानसून की ट्रफ लाईन फिरोजपुर,करनाल,बरेली,बलिया,धनबाद,कोलकाता से होकर गुजर रही है। "मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार बीते 24 घंटों मे पूर्वी उत्तर प्रदेश मे मानसून सक्रिय रहा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश मे भी कहीं -कहीं बारिश हुई।
मौसम विभाग तो वैज्ञानिक उपकरणों के सहारे निकट भविष्य की बात करता है जबकि पंचांग मे गणना ग्रहों की चाल के आधार पर बहुत पहले प्रकाशित हो चुकी है। केवल किसी के न मानने या बकवास घोषित कर देने से ग्रहों के असर को टाला नहीं जा सकता है और इसी लिए सम्पूर्ण विश्वास के साथ कहा जा सकता है कि पी एम साहब ने मध्यावधि चुनावों का बिगुल फूँक दिया है अपनी ही पार्टी को सत्ताच्युत करने हेतु। राष्ट्रपति महोदय भी तीसरा मोर्चा को ही वरीयता देंगे ,यह बात उनकी शपथ कुंडली वाली पोस्ट मे दी जा चुकी है-
http://krantiswar.blogspot.in/2012/07/blog-post_28.html
वर्तमान हालात
इस समय देश मे कन्या के शनि-मंगल विग्रह,अग्निकांड,उपद्रव, हिंसा,तोड़-फोड़,जन-संहार की स्थिति उत्पन्न किए हुये हैं। केंद्र सरकार 'जनाक्रोश' के भी केंद्र मे है। राष्ट्रपति पद के चुनाव मे अपने-अपने हितों के संरक्षण हेतु यू पी ए के प्रत्याशी को समर्थन देने वाले दल अब चुनाव के बाद यू पी ए को आँखें दिखा रहे हैं और 'मध्यावधि चुनावों' की संभावनाएं व्यक्त कर रहे हैं। ग्रह भी अराजकता की स्थिति बनाए हुये हैं। चुनावों की स्थिति मे एन डी ए और यू पी ए से कुछ दल टूट कर तीसरे गैर कांग्रेसी/गैर भाजपाई गुट के साथ आ जाएँगे। इस तीसरे गुट को बहुमत न भी मिले तो भी कांग्रेस को मजबूरन इसे ही समर्थन देना होगा और राष्ट्रपति महोदय भी चुनाव अभियान के दौरान इस गुट के नेताओं को दिये गए अपने आश्वासन को पूर्ण करेंगे। अतः नए महामहिम के आगमन को केंद्र मे गैर कांग्रेस/भाजपा सरकार के गठन की मुहिम के रूप मे भी देखा जा सकता है।