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Sunday, 26 August 2018

हिन्दू प्रतीकों से लदी अतीतजीवी हिन्दी : देशभइयों को निहत्था कर देगी ------ चंद्र्भूषण

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 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त यश

Thursday, 28 December 2017

राहुल गांधी जी की गुजरात वाली गलती क्यो दुहराने पर आमादा हैं।अखिलेश जी! ------ Mahesh Donia

Mahesh Donia
28-12-2017
आप ही भ्रम में थे मित्रवर वरना अखिलेशजी ने तो हर जगह अपना हिंदुत्ववादी मुस्लिम-दलित विरोधी चेहरा दिखाया है. ये तो आप ही थे जो उनके भोलेपन पर लहालोट हुए जाते थे. आप ही क्यों कुछ समय पहले तो कुछ सो-कॉल्ड अम्बेडकरवादी यवा अखिलेश भैया से बहुजनो का नेतृत्व सँभालने के लिए मनुहारी कर रहे थे.
उधर लालू भी अपने कहते नहीं थकते की वो भी हिन्दू हैं.
आप लोग ग़लत दरवाजा खटखटा रहे हैं....अखिलेश जी!रेगिस्तान में तपती गर्मी में जैसे हिरन गर्मी की ऊष्मा से उपजे रेखाओं को पानी समझ दौड़ता रहता है पर वह पानी नही पाता वैसे ही आपके लिए हिंदुत्व मृग मरीचिका साबित होगा और आप 2019 एवं 2022 में हिंदुत्व रूपी मृग मरीचिका में झुलस के रह जाएंगे पर सत्ता रूपी पानी नही मिलेगी।.............................
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गजब हैं आप भी श्री अखिलेश यादव जी!
भाजपा के हिंदुत्व का मुकाबला आप सपाई हिंदुत्व से करेंगे?
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क्या अखिलेश जी!आप भी हद कर देते हैं।अब आप भाजपा के हिंदुत्व का मुकाबला 2019 में सपाई हिंदुत्व से करेंगे?मैंने आपका यह बयान जनेश्वर मिश्र पार्क घूमते समय पढा।मै आपके इस बयान "हिंदुत्व की राह पर चलेगी सपा, भाजपा को साबित करेगी हिन्दू विरोधी" पढ़कर बड़ी देर तक हंसा फिर आंखे डबडबा गयीं कि आखिर क्या हश्र होने वाला है पिछड़ो/दलितों/अल्पसंख्यको की राजनीति का?क्या अब कोई दूसरा अम्बेडकर,कांशीराम,लोहिया,पेरियार, ललई सिंह यादव,फुले,छत्रपति शाहू जी,वीपी सिंह,रामस्वरूप वर्मा,जगदेव कुशवाहा आदि नही जन्मेगा?
क्या अब बहुजन की राजनीति करने वाले लोग आप जैसे ही होंगे?क्या अब आरक्षण,सामाजिक न्याय,भागीदारी का सवाल इतिहास बन जायेगा?क्या अब सत्ता के लिए सभी के सभी हिन्दू-हिन्दू ही रटेंगे?क्या अब विचारधारा के लिए कोई जोखिम उठाने की जहमत नही मोल लेगा?क्या कोई अब अम्बेडकर की तरह "आरक्षण" {अनुच्छेद 340,341,342,15(4),16(4)} के प्राविधान जैसा कुछ करने वाला न होगा?क्या अब सवर्ण लोहिया की तरह कोई यह न बोलेगा कि "सोशलिस्टों ने बांधी गांठ,पिछड़े पावें सौ में साठ"?क्या अब कोई कांशीराम की तरह यह नही कहेगा कि "जिसकी जितनी संख्या भारी,उसकी उतनी हिस्सेदारी"?क्या अब कोई वीपी सिंह की तरह "मण्डल" जैसा कोई कानून लागू करने की हिम्मत नही करेगा?
अखिलेश जी! आप विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त कर इंजीनियर व्यक्ति हैं पर आप बिल्ली के रास्ता काटने से डर जांय, सत्ता जाने के डर से नोएडा न जांय,खुद को सबसे बड़ा हनुमान भक्त बताये,हिंदुत्व की डगर अपनाएं,गोभक्त बन जांय तो मुझे लगता है कि अब समाजवाद,लोहियावाद का यह सबसे बुरा दिन होगा।
अखिलेश जी!आप हिंदुत्व की राह चलेंगे पर जब आप मुख्यमंत्री आवास खाली करेंगे तो वह आप जैसे हिन्दू के रहने से अपवित्र होने के कारण गंगाजल व गोमूत्र से उसे धुला जाएगा।क्या आपको अभी भी हिंदुत्व में कुछ शेष बचा दिख रहा है क्या?
अखिलेश जी!आप हिंदुत्व की राह चलेंगे।जानते हैं हिंदुत्व मतलब क्या होता है?हिंदुत्व का मतलब प्रभु वर्ग के लिए सुरक्षा,सम्मान,सम्पत्ति,शिक्षा,ब्यापार,सत्ता आदि की गारन्टी।
अखिलेश जी!आपने अपनी पिछली 5 साल की सरकार में हिंदुत्व पर चलने में कोई कोर-कसर छोड़ा था क्या?आपने हिंदुत्व के लिए सम्पूर्ण पिछड़ों को समाजवादी पेंशन,लैपटॉप,कन्या विद्याधन,जनेश्वर मिश्र व लोहिया गांव व आवास में आरक्षण से विरत कर सामान्य कटेगरी में डाल दिया था।आपने हिंदुत्व को खुश रखने के लिए पिछडो के पीसीएस में त्रिस्तरीय आरक्षण को खत्म कर दिया था।आपने हिंदुत्व की हिफाजत के लिए पदोन्नति में आरक्षण की ऐसी की तैसी कर डाली थी।आपने सरकारी खर्चे से तीर्थयात्राएं करवायीं थीं।पिछडो की बैक लाग नियुक्ति नही की गई।सिद्धार्थ विश्वविद्यालय-सिद्धार्थनगर में सारी नियुक्तियां ब्राह्मण की कर दी गईं।आरक्षित पदों में 1.5 या इससे आगे 1.99 तक को 2 की बजाय एक ही पद मानने का सर्कुलर आपकी सरकार ने ला दिया था। अयोध्या,मथुरा,बनारस,कुम्भ आदि में सरकारी धन हिंदुत्व हित मे पानी की तरह बहाया था लेकिन अखिलेश जी! आपको अभिजात्य वर्गो ने कितना वोट दिया?आपने पिछडो और दलितों का जितना नुकसान अपने सरकार में किया उससे लाभान्वित कितना अगड़ा आपको वोट दिया?क्या इतना सब करने के बावजूद आप अहीर से कुछ और बन सके?
अखिलेश जी!आपने अभिजात्य समाज को 5 साल सर पर बिठाए रखा,अभी भी आपके अगल-बगल मौजूद ये अभिजात्य लोग आपको हिंदुत्व की राह चल करके सत्ता दिलाने का स्वप्न दिखा रहे हैं।अखिलेश जी! आप मृग मरीचिका से वाकिफ होंगे क्योंकि लायन सफारी बनाने वाले लायन के डियर डीयर की कहानी जरूर सुने होंगे।अखिलेश जी!रेगिस्तान में तपती गर्मी में जैसे हिरन गर्मी की ऊष्मा से उपजे रेखाओं को पानी समझ दौड़ता रहता है पर वह पानी नही पाता वैसे ही आपके लिए हिंदुत्व मृग मरीचिका साबित होगा और आप 2019 एवं 2022 में हिंदुत्व रूपी मृग मरीचिका में झुलस के रह जाएंगे पर सत्ता रूपी पानी नही मिलेगी।
अखिलेश जी! मैंने सुना है कि लोग गलतियों से सीखते हैं पर आप पता नही क्यो गलतियों से सीखने की बजाय उसे ही दुहराते जा रहे हैं।अखिलेश जी!आपने 5 साल की अपनी सरकार में पिछड़ा शब्द का नाम तक नही लिया,दलित को अपने दरवाजे से खदेड़ दिया,अल्पसंख्यको के मसायल को हल करने से बचते रहे लेकिन क्या आप यह सब करने के बावजूद 2012 में सरकार बनाने के बाद शहरों में अधिकाधिक अभिजात्य वर्गो की उपस्थिति वाले नगर निकाय चुनावों में कुछ कर पाए,2014 लोकसभा चुनाव में अभिजात्य वर्गो का दुलारा बन पाए,2017 विधानसभा चुनाव में सवर्ण परस्ती की हद करने के बावजूद सवर्ण वोट पाए या अभी 2017 में सम्पन्न नगर निकाय चुनाव में इन अभिजात्य वर्ग के वोटों को अपने पाले में अपनी सवर्ण परस्ती,नोटबन्दी,जीएसटी आदि के बावजूद अपनी तरफ ला पाए?
अखिलेश जी! अभी गुजरात चुनाव सम्पन्न हुआ है।राहुल गांधी जी गुजरात मे हिंदुत्व का काट हिंदुत्व से करने चले थे।राहुल जी के मंदिर-मन्दिर परिक्रमा तथा नोटबन्दी,जीएसटी,व्यवसायिक मंदी आदि के बावजूद भाजपा का हिंदुत्व जीत गया क्योंकि हिंदुत्व का पेटेंट अहीर,चमार या पारसी/ईसाई आदि से जन्मे स्वयम्भू जनेऊधारी राहुल गांधी जी के पास नही है,वह नागपुर के सावरकर/गोलवरकर व भागवत को प्राप्त है।
अखिलेश जी!आप भाजपा को हिंदुत्व विरोधी साबित करेंगे?क्या है आपके पास?कोई वैचारिक पाठशाला है आपके पास?कोई कैडराइज फोर्स है आपके पास सिवाय दिशाहीन जवानी कुर्बान गैंग के?बालू की भीत पर बिना विचार,कैडर के चले हैं भाजपा को हिंदुत्व विरोधी सिद्ध करने आप?
अखिलेश जी!आप जान रहे होंगे कि भाजपा के पास कट्टर 10 करोड़ हिन्दू सदस्य हैं।केंद्र के साथ 19 राज्यो में उनकी सरकार है।प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति,उपराष्ट्रपति,सभी राज्यपाल,लोकसभा/राज्यसभा सभापति उनके कैडराइज हिन्दू स्वयंसेवक हैं।भाजपा के पास 1631 विधायक,283 सांसद हिंदुत्व वाले हैं।भारतीय जनता पार्टी की मातृ संस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हिंदुत्व की यूनिवर्सिटी है जिसके पास भारतीय मजदूर संघ,राष्ट्रीय सेविका समिति,सेवा भारती,दुर्गा वाहिनी,बजरंग दल,अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद,विश्व हिंदू परिषद,स्वदेशी जागरण मंच,सरस्वती शिशु मंदिर, विद्या भारती,बनवासी कल्याण आश्रम,मुस्लिम राष्ट्रीय मंच,अनुसूचित जाति मोर्चा,लघु उद्योग भारती,भारतीय विचार केंद्र,विश्व सम्बाद केंद्र,गायत्री पीठ,सन्त अखाड़ा परिषद,सिख संगठन,विवेकानन्द केंद्र,महिला मोर्चा आदि सैकड़ो अनुसांगिक संगठन हैं अफलेटेड महाविद्यालयों की तरह हैं।
अखिलेश जी!भाजपा के पास 28500 सरस्वती विद्या मंदिर,2 लाख 80 हजार आचार्य,49 लाख छात्र,600 प्रकाशन समूह,1लाख पूर्व सैनिक,6 लाख 90 हजार कारसेवा करने वाले जंगजू बजरंगी व विहिप के सदस्य हैं।भाजपा के पास 4000 अविवाहित पूर्णकालिक/ईमानदार/मिशनरी हिंदुत्व को समर्पित स्वयंसेवक हैं जिन्होंने अपना सारा जीवन भाजपा/संघ को दान दे रखा है।भाजपा की मातृ संस्था रोजाना सुबह हथियार सहित निश्चित ड्रेस में पूर्ण अनुशासन के साथ 56 हजार 859 शाखाये लगाती है जहां 55 लाख 20 हजार स्वयंसेवक रोजाना भाजपा/संघ के लिए मरने-जीने की कसमें खाते हैं।
अखिलेश जी!देश भर के लाखों मंदिरों के समस्त साधु,सन्त,महात्मा,शंकराचार्य,जगतगुरु भाजपा के साथ हैं।सारी प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया,सभी उद्योगपति भाजपा के साथ हैं।देश का सम्पूर्ण सवर्ण,प्रभु वर्ग,अभिजात्य तबका भाजपा के साथ है फिर आप किस गफलत के शिकार हैं?कौन आप जैसे "अहीर" के हिंदुत्व की बात सुनेगा।किसके जरिये भाजपा के इस जाल से आप मुकाबला करेंगे?
अखिलेश जी! मुझे समझ नही आता है कि आप राहुल गांधी जी की गुजरात वाली गलती क्यो दुहराने पर आमादा हैं।अखिलेश जी! आपको मेरी बात कितनी अच्छी लगेगी यह तो मैं नही जानता हूँ लेकिन मुझे आप के वैचारिक दरिद्रता पर रोना आता है।जिसके सवर्ण पुरखो ने हिंदुत्व के मुकाबले सोशल जस्टिश,भागीदारी,आरक्षण जैसे अकाट्य,अमोघ हथियार दे रखे हो वह हिंदुत्व का काट हिंदुत्व में ढूंढ रहा हो तो रोना ही आएगा।
अखिलेश जी!2019 मे भाजपा को शिकस्त देना जरूरी है जो सामाजिक न्याय के एजेंडे से ही पूरा होगा।जातिवार जनगढ़ना, आबादी के अनुपात में आरक्षण,प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण,उच्च न्यायपालिका में आरक्षण,पदोन्नति में आरक्षण आदि सवाल जब बलवती तरीके से उठेंगे तो सवर्ण हकमार हिन्दुओ को छोड़ करके 85 प्रतिशत पिछड़ा/दलित हिन्दू तथा अल्पसंख्यक खुद ब खुद हिंदुत्व की ऐसी की तैसी कर डालेगा।
अखिलेश जी!अपनी इन बयानबाजियों से सेक्युलर व सोशल जस्टिश समर्थक ताकतों को निराश न करिए बल्कि बहुजन बुद्धिजीवियों को बुलाइये,परामर्श कीजिये और कम्युनल/अनजस्टिश लोगो से बचिए वरना वे खुद तो नही डूबेंगे पर आपको और समस्त बहुजन नेतृत्व व उनके वर्गीय हितों को नेस्तनाबूद कर डालेंगे।
https://www.facebook.com/mahesh.donia/posts/1182776255188544















Saturday, 19 December 2015

ब्राहमणवाद का राजनीतिक अर्थशास्त्र ------ महेश राठी

हिंदू समाज में दलित के रूप में पैदा होना निश्चित ही दुनिया का सबसे निकृष्टतम कृत्य और कृत्य भी ऐसा जिसमें आपका कोई हाथ नही होता है। यह निकृष्टता और अपमान ब्राहमणवादी संघी टोले के केन्द्रीय सत्ता पर काबिज होने के बाद से अपने चरम पर है। ब्राहमणवादियों की दबंगई और उसमें सत्ता का दुरूपयोग अपनी पूरी आक्रामकता और निर्लज्जता के साथ देश में चारो तरफ पैर पसार रहा है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की राजधानी भी इस दबंगई से अछूती नही है। 


Mahesh Rathi


ब्राहमणवाद का राजनीतिक अर्थशास्त्र :
हिंदू समाज में दलित के रूप में पैदा होना निश्चित ही दुनिया का सबसे निकृष्टतम कृत्य और कृत्य भी ऐसा जिसमें आपका कोई हाथ नही होता है। यह निकृष्टता और अपमान ब्राहमणवादी संघी टोले के केन्द्रीय सत्ता पर काबिज होने के बाद से अपने चरम पर है। ब्राहमणवादियों की दबंगई और उसमें सत्ता का दुरूपयोग अपनी पूरी आक्रामकता और निर्लज्जता के साथ देश में चारो तरफ पैर पसार रहा है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की राजधानी भी इस दबंगई से अछूती नही है। 
द्वारका इलाके में कुतुब विहार नामक कालोनी में एक दलित रामप्रसाद के नेतृत्व में कालोनी के अनुसूचित जाति के लोगों ने कुछ साल पहले एक मंदिर की नींव रखी और कईं सालों की मेहनत के बाद उसे विकसित भी किया। अब अचानक इलाके के ब्राहमणवादी भाजपाईयों को याद आ गया कि उनकी देवी देवताओं की देखभाल करने वाले लोग दलित हैं और उन्हें उनके देवी देवताओं की रखवाली और पूजा अर्चना करने का कोई अधिकार नही है। उसके बाद भाजपा के स्थानीय नेता शेलैन्द्र पाण्ड़े के साथ मिलकर उनकी ही पार्टी के दो अन्य कार्यकर्ताओं अभिमन्यू और मनीषा ने रामप्रसाद और उनके परिवार को मंदिर से धक्के देकर बाहर कर दिया। उन्होंने साफ कहा कि तुम नीच जाति वालों को पूजा पाठ करने विशेषकर मंदिर की देखभाल करने का कोई अधिकार ही नही है। रामप्रसाद ने थाने जाकर शिकायत करनी चाही तो थानाध्यक्ष ने साफ कहा कि शिकायत मत करो पछताना पडेगा और शिकायत लेने से मनाकर दिया। उसके बाद उन्होंने अपनी शिकायत डीसीपी और पुलिस आयुक्त को एवं अनुसूचित जाति जनजाति आयोग में भी भेजी जहां आयोग ने 29 दिसम्बर को इस मामले की सुनवाई तय की है। 
अब थानाघ्यक्ष की चेतावनी के मूर्त रूप लेने का समय था। भाजपा नेता ने अपनी सहयोगी मनीषा के माध्यम रामप्रसाद पर छेड़छाड़ करने का आरोप लगवाकर उसे जेल भेज दिया। पंरतु ऐसा मामला बनने की आशंका को लेकर एक शिकायत रामप्रसाद ने पहले ही पुलिस विभाग को कर दी थी और उसी के आधार पर उन्हें जमानत भी मिल गई। इस इलाके में जगह जगह लगे पोस्टर एवं होर्डिंग्स भाजपा नेता के पद एवं रसूख का पता दे रहे हैं तो वहीं उनके साथ उन्हीं होर्डिंग्स में लगी उस महिला की तस्वीर भी पूरी कहानी बयां कर देती है जिसने रामप्रसाद को छेडछाड़ को आरोप में फंसवाया है। 
दरअसल यह पूरा मामला सरकारी जमीन को हड़पने का है। डीडीए की कईं बीघा जमीन में यह मंदिर बना हुआ है। मंदिर के पास भी लगभग एक हजार गज की जमीन पर बना ढ़ंाचा है अर्थात मामला स्थानीय निवासियों द्वारा इस मंदिर को कालोनी के कब्जे में रखकर इसका सामाजिक इस्तेमाल करने बनाम लैंड माफिया द्वारा इसे हथियाकर बेचन का है। जिसने कईं सालों तक इस मंदिर को बनाने में अपना सब कुछ लगाया और जिसका पूरा परिवार इस मंदिर के रख रखाव में लगा उसे एक दिन ब्राहमणवादी संगठन के प्रदेश स्तरीय नेता ने बता दिया कि तुम दलित हो और ना मंदिर तुम्हारा है और यह धर्म ही तुम्हारा है, भागो यहां से। हिंदू धर्म, उसके मंदिर उसके पूरे कार्मकाण्ड़ों का सच ही यही है कि वो एक वर्ग विशेष को देश और समाज के पूरे संसाधनों पर कब्जे और उसके दोहन का अर्थशास्त्र सिखाता है। यह तभी से जारी है जब हजारों साल पहले इस देश के मूल निवासियों पर आर्यों के रूप में पहला साम्राज्यवादी हमला हुआ था।* तभी से इन ब्राहमणवादियों की कोशिश धार्मिक कर्मकाण्ड़ों पर अपना वर्चस्व बनाने के माध्यम से पूरी प्राकृतिक और राष्ट्रीय संपदा के दोहन की है। परंतु अब लड़ाई का बिगुल बज चुका है और कुतुब विहार, गोला डेरी में ब्राहमणवाद के कब्जे से इस मंदिर को आजाद कराकर इसे समता प्रेरणा स्थल के रूप स्थापित किया जायेगा। आप सभी के इसमें सहयोग की आशा है।
https://www.facebook.com/mahesh.rathi.33/posts/10203777537797264
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'भारत पर आर्यों का हमला ' यह एक पाश्चात्य दृष्टिकोण है जो साम्राज्यवादियो द्वारा खुद को श्रेष्ठ साबित करने का एक घृणित प्रयास है। 
वस्तुतः आर्य न कोई जाति है, न संप्रदाय, न ही धर्म । आर्य शब्द आर्ष का अपभ्रंश है जिसका अभिप्राय है 'श्रेष्ठ' अर्थात विश्व का कोई भी मनुष्य जो श्रेष्ठ है वह आर्य है। 
यदि पाश्चात्य दुष्चक्र में फंस कर आर्य को जाति,धर्म,संप्रदाय के रूप में लेकर हमलावर मानते रहेंगे तो कभी भी अपने लक्ष्य में सफल न हो सकेंगे, जैसा कि ब्राह्मणवादी चाहते भी हैं। 
'त्रिवृष्टि' अर्थात तिब्बत क्षेत्र आर्यों का मूल उद्गम क्षेत्र है जहां 'स्व:' और 'स्वधा' का सृजन हुआ। ये श्रेष्ठ लोग जब आबादी बढ्ने पर दक्षिण में हिमालय के पार जिस निर्जन-क्षेत्र में बसे वह इनके कारण आर्यावृत कहलाया। पहले मूल निवासी तो ये श्रेष्ठ जन- आर्य ही थे। तब तक आज का दक्षिण भारत  'जंबू द्वीप' के रूप में एक अलग निर्जन टापू था। जब  भू- गर्भीय हलचलों से 'जंबू द्वीप' उत्तर की ओर बढ़ कर आर्यावृत से टकराया तब 'हिंदमहासागर' नाम से जाना जाने वाला समुद्र सिकुड़ कर धुर दक्षिण में चला गया तथा जंबू द्वीप व  आर्यावृत को संयुक्त करने वाले 'विंध्याचल' पर्वत की उत्पत्ति हुई। आर्यावृत से जंबू द्वीप पर आबादी के स्थानांतरण से आर्यजन वहाँ भी आबाद हुये। पाश्चात्य इतिहासकारों ने इनको प्रथक द्रविन घोषित करके पार्थक्य की भावना को पोषित कर रखा है। 
जब अफ्रीका व यूरोप की आबादी को श्रेष्ठ अर्थात आर्य बनाने के उद्देश्य से आर्यों के जत्थे पश्चिम से चले तो उनका पहला पड़ाव था आर्यनगर= एर्यान= ईरान। खोमेनी से पहले तक वहाँ का शासक खुद को आर्य मेहर रज़ा पहलवी कहता था। आगे बढ़ते हुये आर्य मेसोपोटामिया होते हुये जर्मनी पहुंचे थे। लेकिन पाश्चात्य जगत से गुमराह लोग उल्टा कहते हैं कि वहाँ से आर्य भारत पर आक्रमण करके आए थे। 
पूर्व से चले आर्य वर्तमान चीन, साईबेरिया क्षेत्र से होते हुये ब्लाड़ीवासटक और अलास्का को पार करते हुये कनाडा से दक्षिण की ओर बढ़े थे। उनका पहला पड़ाव 'तक्षक' ऋषि के नेतृत्व में जहां पड़ा था वह स्थान आज भी उनके नाम पर अपभ्रंश में 'टेक्सास' कहलाता है जहां  जान एफ केनेडी को गोली मारी गई थी। दूसरा पड़ाव धुर दक्षिण में 'मय' ऋषि के नेतृत्व में जहां पड़ा वह आज भी उनके ही नाम पर मेक्सिको है।  
दक्षिण दिशा में 'पुलत्स्य'ऋषि के नेतृत्व में गए आर्य वर्तमान आस्ट्रेलिया पहुंचे थे जहां का शासक 'सोमाली' एक निर्जन टापू की ओर अपने समर्थकों सहित भाग गया था वह आज भी उसी के नाम पर सोमाली लैंड है। 
भारत से बाहर गए इन आर्यों का ध्येय लोगों को श्रेष्ठ मार्ग सिखाना अर्थात आर्यत्व में ढालना था। किन्तु पुलत्स्य के वंशज 'विश्र्श्वा' ने वर्तमान लंका में एक राज्य की स्थापना कर डाली जो अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध हुआ और इसी कारण उनका पुत्र रावण साम्राज्यवादी बन सका अपने अमेरिकी और साईबेरियाई सहयोगियों (एरावन व कुंभकरण ) की सहायता से। इसी साम्राज्यवादी आर्य - रावण को भारत के आर्य - राम ने कूटनीति व युद्ध में परास्त कर साम्राज्यवाद का सर्व प्रथम विनाश किया था। 
दुर्भाग्यपूर्ण है कि विद्वान लेखक महेश राठी जी ने भी पाश्चात्य साम्राज्यवादियों के दुर्भावनापूर्ण शब्द आर्य हमलावर थे को अपना लिया। भारतीय साम्यवाद के जनता के मध्य अलोकप्रिय होने का सबसे बड़ा कारण साम्यवादी विद्वानों द्वारा साम्राज्यवादी इतिहासकारों से भ्रमित होते रहना ही है। काश अब भी साम्यवादी विद्वान 'सत्य ' को स्वीकार करके ' हिन्दू' और 'ब्रहमनवाद' को अभारतीय कहने का साहस दिखा सकें तो सफलता उनके चरण चूम लेगी। साम्यवाद और कुछ नहीं वेदोक्त समष्टिवाद ही है लेकिन सत्य से दूर रहना और उसका वरन करने की बजाए उस पर प्रहार करते रहना ही वह वजह है जिसने जनता के दिलो-दिमाग में साम्यवाद के प्रति नफरत भर रखी है।महेश राठी जी सत्य के शस्त्र से हिंदूवाद और ब्रहमनवाद पर प्रहार करें तो निश्चय ही सफल होंगे , हमारी शुभकामनायें उनके साथ हैं। 
(विजय राजबली माथुर ) 

Sunday, 14 April 2013

डॉ अंबेडकर --- विजय राजबली माथुर

स्पष्ट रूप से पढ़ने के लिए इमेज पर डबल क्लिक करें (आप उसके बाद भी एक बार और क्लिक द्वारा ज़ूम करके पढ़ सकते हैं )
 14 अप्रैल,1990 को 'सप्तदिवा',आगरा मे प्रकाशित मेरा लेख-










 हिंदुस्तान,लखनऊ,14 अप्रैल 2013 के समपादकीय पृष्ठ पर-




14-04-2018 

संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर
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फेसबुक पर प्राप्त टिप्पणी :
14-04-2015 ---


14-04-2016 

16-04-2016 

Wednesday, 20 March 2013

हिन्दू शब्द -फेसबुक पर

Vijai RajBali Mathur 'हिन्दू' शब्द 'हिंसा' से बना है अतः हिंदुओं मे 'हिंसा'=मनसा-वाचा-कर्मणा करने वालों को पूजा जाना आश्चर्य जनक नहीं है। 23 hours ago · Like · 1


Vijai RajBali Mathur सर्व प्रथम बौद्धों ने अपने मठों/विहारों/ग्रन्थों को जलाने/नष्ट करने वालों को यह संज्ञा दी थी फिर फारसियों ने एक गंदी और भद्दी गाली के रूप मे इस शब्द का प्रयोग इस देश के लोगों को निकृष्ट सिद्ध करने के लिए किया था और ब्रिटिश हुकूमत के हक मे पूर्व क्रांतिकारी सावरकर महोदय ने इसे प्रचारित करा दिया। क्यों नहीं 'श्रेष्ठ' ='आर्य'बनने की बात करते?गुलामी के प्रतीकोण से प्रेम क्यों?
23 hours ago · Like · 2

Vijai RajBali Mathur जनाब आप ही क्यों न पढे इसे-http://madhyabharat.net/archives.asp?NewsID=179

madhyabharat.net
Madan Sharma यह बात सही है कि विदेशी भाषा में हिंदू शब्द का अर्थ चोर डाकू व् लुटेरा है ...किन्तु हम अपने शब्दों के लिए विदेशी शब्दकोष क्यों देखते है ....हिंदी भाषा में बहुत से ऐसे शब्द है जिनका अर्थ विदेशी भाषा में कुछ और है ...यह भी बात सही है कि हिंदू शब्द का यदि व्याकरण द्वारा अर्थ किया जाय तो यह हिंसावाची शब्द सिद्ध होता है ... आज व्यवहारिक पक्ष यही है कि हिंदू शब्द का अर्थ है हिंद के निवासी ..यदि अन्य मत वाले अपने को हिंदू ना माने तो य अलग बात है ...ये उनकी समस्या है ....आज सरकारी रूप से वैदिक धर्म या सनातन धर्म का ही रूप हिंदू धर्म है ये अलग बहस कि बात है ....मुख्य रूप से देखा जाय तो हम वैदिक धर्मी अर्थात वेद के अनुसार आचरण करने वाले लोग हैं ....आज वेद व अन्य आर्ष गर्न्थों कि गलत व्याख्या व अवैज्ञानिक विचारों पर आधारित पुराणों कि वजह से हमें अन्य धर्मावलंबियो के सामने पराजय का सामना करना पड़ता है .....सिर्फ एक आर्य समाज ही है जो वेद के आधार पर अन्य मतावलंबियों को मुह तोड़ उत्तर दे सकती है ...
विश्वप्रिय वेदानुरागी हिन्दू संस्कृत का शब्द नहीं है , राम कृष्ण व्यास पतंजलि हनुमान हिन्दू नहीं थे , किसी शास्त्र में हिन्दू शब्द नहीं है

  • विश्वप्रिय वेदानुरागी हिन्दू का एक संक्षिप्तिकरण देखिये :- “हि” “न्” “दु”
    “हि” अर्थात् हित ना करे वह
    “न्” अर्थात् न्याय ना करे वह
    “दु” अर्थात् दुष्टता करे वह

    और इसका प्रमाण निम्न श्लोक है :-
    हिन्दू शब्द की एक और व्याख्या देखिये जिसमें हिन्दू शब्द का निन्दित अर्थ दिया गया है |
    हितम् न्यायम् न कुर्याद्यो
    दुष्टतामेव आचरेत्
    स पापात्मा स दुष्टात्मा
    हिन्दू इत्युच्यते बुधै:||३/२१||
    आत्मानम् यो वदेत् हिन्दू
    स याति अधमां गतिम् |
    दृष्ट्वा स्पृष्ट्वा तु त हिन्दुं
    सद्य: स्नानमुपाचरेत् ||७/४७||
    हिंकारेण परीहार्य:
    नकारेण निषेधयेत् |
    दुत्कारेण विलोप्तव्य:
    यस्स हिन्दू सदास्मरेत् ||९/१२||
    इति कात्थक्य: शिवस्मृतौ



    शिव स्मृति
    (जो हित और न्याय ना करे, दुष्टता का आचरण करे, वह पापी, वह दुष्टात्मा हिन्दू कहलाते हैं)
    (जो व्यक्ति अपने आप को हिन्दू कहता है वह अधम गति को प्राप्त होता है और ऐसे हिन्दू को देख कर स्पर्श कर शीघ्र ही स्नान करें)
    (हिं हिं करके जिसका परिहार करना चाहिए, न न करके जिसका निषेध करना चाहिए, दूत् दूत् करके जिसे दूर भगाना (नष्ट कर देना) चाहिए वही हिन्दू है इसे सदा याद रखें)

  • Madan Sharma धन्यवाद विश्वप्रिय वेदानुरागी जी इतनी सुन्दर जानकारी के लिए .....किन्तु यह विडंबना है कि हम चाह कर भी खुद को हिंदू शब्द से अलग नहीं रख सकते .....

  • ज्ञान चंद आर्य आदरनीय विश्वप्रिय वेदानुरागी जी ने बिल्कुल सही कहा है और जो प्रमाण उन्होने दीये हैं वो भी सराहनीय हैं इतना सब होते हुए भी अपने आप को हिंदू कहलवाना हमारी विवशता बन चुका है अभी पिछले दिनों जनगणना हुई थी उसमें या तो अपने धर्म का नाम हिंदू लिखवाओ या फिर अन्य उनके यहाँ यहाँ रजिस्टर में ऐसा कोई खाना नही है जिसमे अपने धर्म का नाम वैदिक लिखवाया जा सके 

    यहाँ भी स्पष्ट है---
     
    http://madhyabharat.net/archives.asp?NewsID=179