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आज के हिंदुस्तान में पृष्ठ 11 पर प्रकाशित यह समाचार सरकार के छात्र विरोधी,युवा विरोधी एवं गरीब विरोधी होने का जीता जागता नमूना है। अभी विगत दिसंबर 2012 में IBPS की परीक्षा में भी आवेदकों को दूसरे शहरों के केंद्र आबंटित किए गए थे जिस कारण काफी तादाद मे गरीब आवेदक परीक्षा में सम्मिलित होने से वंचित रह गए जबकि सबने निर्धारित पूर्ण शुल्क जमा किया था। तब यह समझा था कि प्रधानमंत्री मनमोहन जी कारपोरेट घरानों के प्रति उदार व गरीबों के प्रति अनुदार हैं इसलिए बैंक परीक्षा में ऐसा निर्णय लिया गया है।
उ.प्र.की समाजवादी सरकार के युवा मुख्यमंत्री के शासन में भी उसी जन विरोधी परिपाटी को अपनाया गया है और बड़ी शान से उसका कसीदा गढ़ा गया है।पुनः भारी संख्या में आवेदक दूसरे शहरों में जाकर परीक्षा नहीं दे सकेंगे। ऐसे स्थानों पर रुकने व आने-जाने का खर्च एक गरीब आवेदक नहीं उठा सकता है। इसका ज़रा भी ख्याल नहीं रखा गया है।
लखनऊ के आवेदक को गाजियाबाद के केंद्र पर 26 जून की प्रातः 9-30 पर पहुँचना है और 4-30 पर दूसरी शिफ्ट समाप्त होगी। इसका अभिप्राय यह है कि आवेदक को 25 जून तक वहाँ पहुँचना पड़ेगा। जाने-आने का यात्रा व्यय और ठहरने -खाने का खर्चा क्या आवेदकों और उनके अभिभावकों पर अनावश्यक बोझ नही है?
साफ ज़ाहिर बात है कि कोचिंग इन्सटीचयूट्स से पढ़ने वाले अमीरों को लाभ पहुंचाने हेतु गरीबों को अवसर से वंचित करने का यह षड्यंत्र रचा गया है।
संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर
आज के हिंदुस्तान में पृष्ठ 11 पर प्रकाशित यह समाचार सरकार के छात्र विरोधी,युवा विरोधी एवं गरीब विरोधी होने का जीता जागता नमूना है। अभी विगत दिसंबर 2012 में IBPS की परीक्षा में भी आवेदकों को दूसरे शहरों के केंद्र आबंटित किए गए थे जिस कारण काफी तादाद मे गरीब आवेदक परीक्षा में सम्मिलित होने से वंचित रह गए जबकि सबने निर्धारित पूर्ण शुल्क जमा किया था। तब यह समझा था कि प्रधानमंत्री मनमोहन जी कारपोरेट घरानों के प्रति उदार व गरीबों के प्रति अनुदार हैं इसलिए बैंक परीक्षा में ऐसा निर्णय लिया गया है।
उ.प्र.की समाजवादी सरकार के युवा मुख्यमंत्री के शासन में भी उसी जन विरोधी परिपाटी को अपनाया गया है और बड़ी शान से उसका कसीदा गढ़ा गया है।पुनः भारी संख्या में आवेदक दूसरे शहरों में जाकर परीक्षा नहीं दे सकेंगे। ऐसे स्थानों पर रुकने व आने-जाने का खर्च एक गरीब आवेदक नहीं उठा सकता है। इसका ज़रा भी ख्याल नहीं रखा गया है।
लखनऊ के आवेदक को गाजियाबाद के केंद्र पर 26 जून की प्रातः 9-30 पर पहुँचना है और 4-30 पर दूसरी शिफ्ट समाप्त होगी। इसका अभिप्राय यह है कि आवेदक को 25 जून तक वहाँ पहुँचना पड़ेगा। जाने-आने का यात्रा व्यय और ठहरने -खाने का खर्चा क्या आवेदकों और उनके अभिभावकों पर अनावश्यक बोझ नही है?
साफ ज़ाहिर बात है कि कोचिंग इन्सटीचयूट्स से पढ़ने वाले अमीरों को लाभ पहुंचाने हेतु गरीबों को अवसर से वंचित करने का यह षड्यंत्र रचा गया है।
संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर
सरकार ग़रीबों के लिए जो न करदे वही अच्छा :) सरकार की नीतियाँ स्वतः परिभाषित हैं.
ReplyDeletewastvikta ka sahi chitran ...
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