Monday 1 July 2013

मीडिया में अब मोदी मजाक का विषय बन गए हैं---शेष नारायण सिंह






(नरेंद्र मोदी एवं हज़ारे-केजरीवाल आंदोलनों का पर्दाफाश करके 'राष्ट्र-हित'का बहुत अनुकरणीय कार्य किया है शेष नारायण सिंह जी ने। उनको बहुत-बहुत धन्यवाद।आप वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक है। यह लेख उनके ब्लाग 'जंतर-मंतर' से साभार लिया गया है। )
 

Monday, July 1, 2013


नरेंद्र मोदी की प्रोपेगैंडा कंपनी ने एक बार इजरायल को दुनिया के नक्शे से मिटा दिया था

शेष नारायण सिंह

जून के तीसरे हफ्ते में उत्तराखंड की भयावह त्रासदी की खबर के आने के साथ  इंसानियत दहल उठी थी ,जिसने जहां सुना , वहीं सन्नाटे में आ  गया. चारधाम यात्रा का सीज़न था तो पूरे भारत से लोग उत्तराखंड के गढ़वाल इलाके में पंहुचे  हुए थे.जब भारी बारिश की खबर आयी तो तबाही इस हिमालयी इलाके के हर कण में आ चुकी थी. तीर्थयात्रा पर आये लोग और पर्यटक सभी मुसीबत से आमने सामने थे . भारतीय आपदा प्रबंधन तंत्र  हरकत में आ गया था, सेना बुला ली गयी थी, भारत तिब्बत सीमा पुलिस और आपदा प्रबंध के लिए तैयार की गयी फोर्स सब जुटे हुए थे . उत्तराखंड की सरकार समेत सभी सरकारें जिनके लोग यहाँ फंसे थे, चिंतित थीं . बचाव और राहत का कार्य युद्धस्तर पर चल रहा था. राज्य सरकारें भी सक्रिय हो गयी थीं. जिन यात्रियों को सेना के लोग बचाकर देहरादून तक ला रहे थे उनको उनके घर तक पंहुचाने में  राज्य सरकारें जुटी हुई थी और अपना काम कर  रही थी, . इस बीच खबर आयी कि  २१ जून की शाम को गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी देहरादून पंहुच गए हैं . उनेक वफादार टी वी  चैनलों में हाहाकार मच गया और इस तरह से ख़बरें आने लगीं कि बस अब मोदी जी पंहुच गए हैं सब कुछ ठीक हो जाएगा.  २३ जून की सुबह खबर चलना शुरू हो गयी  कि उन्होंने उत्तरखंड की दुर्गम पहाडियों में फंसे हुए १५,०००  गुजरातियों को तलाश लिया और उनको वापस गुजरात भेज दिया. मोदीत्व के प्रभाव वाले चैनलों की यह मुख्य खबर थी .किसी ने एक सेकण्ड के लिए भी नहीं  सोचा कि इस कारनामे को अंजाम देने के बारे में मोदी की पी आर एजेंसी से आयी हुई खबर को जांच परख कर चलाया जाए .लेकिन किसी ने कोई जांच पड़ताल नहीं की , कहीं कुछ नहीं हुआ और खबर धडाधड चलने लगी. नरेंद्र मोदी को एक बार फिर मीडिया ने हीरो के रूप में पेश कर दिया था . उनके समर्थकों ने फेसबुक पर तूफ़ान मचा दिया कि जो काम सेना की सारी ताक़त लगी होने के बावजूद नहीं हो सका  वह मोदी की उपस्थिति मात्र से हो गया .खबरों में बताया गया कि मोदी के साथ ८० इनोवा कारें थीं. मीडिया में शुरू के दो दिन तो यह भी ख़बरें चलाई गयीं कि मोदी जी के साथ कई विमान भी थे, २५ वातानुकूल बसें थीं और कुछ बहुत ही काबिल अफसर थे  .किसी ने नहीं पूछा कि भाई जब उन दुर्गम इलाकों में फंसे लोगों को निकालने के लिए सेना , रस्सी के पुल बनाकर , एक एक करके लोगों बचाने की कोशिश कर रही थी तो इनकी इनोवा कारें कैसे वहाँ पंहुच गयीं . बाद में देश के लगभग सभी अखबारों में यह छपना शुरू हो गया कि  मोदी ने ऐसा कुछ नहीं किया था. यह केवल उनका मीडिया मैनेजमेंट था जिसके कारण यह प्रचारित कर दिया गया था. बाद में मीडिया के ज़रिये देश को पता चला कि जब सड़कें तबाह नहीं हुई थीं तो देहरादून और केदारनाथ के बीच की दूरी २२१ किलोमीटर थी. अब तो वह एक महाप्रलय का  क्षेत्र है . वहाँ इनोवा क्या ,आदमी पैदल नहीं पंहुच सकता लेकिन मोदी के पी आर प्रबंधकों ने एक ऐसा काम कर दिखाया और मोदी को महामानव साबित करने के अपने प्रोजेक्ट पर इतना जोर दे दिया कि एक हास्यास्पद स्थिति पैदा हो गयी .बाद में तो सबको पता लग गया कि यह १५००० लोगों को बचाने वाला भी कारनामा ठीक वैसा है जिस तरह नरेंद्र मोदी को विकास का महानायक बताया जाता है जबकि पहले से विकसित गुजरात राज्य को उन्होंने विकास के हर पैमाने पर कई राज्यों से पीछे धकेल दिया है .बाद में तो बीजेपी के दिल्ली दफ्तर में ही १५००० वाला केस मजाक का विषय बना दिया गया .मीडिया में अब मोदी मजाक का विषय बन गए हैं .देश के अंग्रेज़ी के सबसे बड़े अखबार ने लिखा है कि हर क्षेत्र में मोदी का बखान बड़ी बड़ी बातें और ब्लफ़ के ज़रिये किया जाता है लेकिन हिमालय में उनकी बहादुरी के बारे में बोला गया यह झूठ शुद्ध रूप से बेशरम झूठ है .
 अब बातें पब्लिक डोमेन में आ रही हैं .धीरे धीरे पता चल रहा है कि नरेंद्र मोदी की असफलताओं के बावजूद मीडिया उनको क्यों हीरो के रूप में पेश करता है .उन्होंने एक अमरीकी प्रचार एजेंसी को गुजरात सरकार की छवि चमकाने के काम में लगा रखा है .सरकार की छवि चमकाने के लिए उस एजेंसी को नरेंद्र मोदी की छवि भी चमकानी पड़ती है .यह एजेंसी है ऐपको वर्ल्डवाइड .अमरीका की यह कंपनी लाबीइंग उद्योग की सबसे बड़ी कंपनी है . अपने परिचय वाले ब्रोशर में इस कंपनी ने लिखा है कि ऐपको वर्ल्डवाइड  सरकारों ,राजनेताओं ,और बहुत बड़ी कंपनियों को प्रोफेशनल और दुर्लभ सेवा उपलब्ध कराती है .इसकी स्थापना १९८४ में मार्जारी क्रॉस ने किया था . उस वक़्त की दुनिया सबसे बड़ी वकीलों की फर्म आर्नाल्ड एंड पोर्टर की एक सहायक कंपनी के रूप में ऐपको वर्ल्डवाइड ने काम शुरू किया . इसके नाम के पहले दो अक्षर ए और पी भी अपनी मुख्य कंपनी के नाम से  ही लिए गए हैं .आर्नल्ड एंड पोर्टर इजरायल की सबसे बड़ी  फर्म है . अमरीका और दुनिया भर में इजरायल को  बहुत ही पवित्र देश के रूप में पेश करने के अपने प्रोजेक्ट के  चलते ऐपको वर्ल्डवाइड और उनकी मालिक कंपनी आर्नल्ड एंड पोर्टर ने इसलाम को बहुत ही खूंखार रूप में पेश कर रखा है .
ऐपको वर्ल्डवाइड पूरी दुनिया में युद्ध को बढ़ावा देने का काम करती है . इसके पास ऐसे हज़ारों लोग काम करते हैं जो युद्ध को बढ़ावा देते हैं . इस कंपनी के मुख्य उद्देश्यों में  हथियारों की अधिक से अधिक बिक्री करवाना शामिल है क्योंकि हथियार लाबी के बड़े खिलाड़ियों के लिए यह काम करते हैं . यह श्रीलंका की सरकार के साथ भी है और इजरायली खुफिया एजेंसी  मोसाद के ज़रिये तमिल आतंकवादियों को भी ट्रेनिंग दिलवाती है . दोनों को जो हथियार  मिलते हैं वे सब एप्को वर्ल्डवाइड के मुवक्किलों के कारखानों में ही बनते हैं .यहूदीवाद के समर्थक बहुत सारे संगठन ऐपको वर्ल्डवाइड के सहयोगी हैं और उसके साथ व्यापारिक रिश्ते रखते हैं . ऐपको वर्ल्डवाइड  का हेरिटेज फाउन्डेशन , फ्रंटियर आफ फ्रीडम , जेविश पालिसी सेंटर आदि से बहुत ही करीबी सम्बन्ध है . इराक और इरान पर अमरीकी नीतियों पर ऐपको वर्ल्डवाइड का भारी असर है. अमरीका और यूरोप में इस्लाम को डरावना साबित करके ही इस कंपनी ने इराक के युद्ध के पक्ष में माहौल बनाया था . उस दौर में अमरीकी राष्ट्रपति जार्ज बुश और ब्रिटिश प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर को ऐपको वर्ल्डवाइड की मदद मिल रही थी. इराक पर हमले के बाद एप्को वर्ल्डवाइड  ने अमरीकी ठेकेदारों को इराक के पुनर्निर्माण के बड़े बड़े ठेके दिलवाए. ऐपको वर्ल्डवाइड के काम के बारे में कहा जाता है कि वह ऐसी लाबीइंग फर्म है जो सांसदों, विधायकों और कानून बनाने वालों को प्रभावित करके कंपनियों को लाभ पंहुचाती है . यह ऐसी कंपनी है जो सरकारों के क़ानून भी अपने मुवक्किलों के हिसाब से बनवा देती है.  यह  फर्जी एन जी ओ और अन्य स्वयंसेवी  संगठनों की स्थापना भी करवाती है और अगर कोई  सरकार ऐपको वर्ल्डवाइड के मुवक्किल के पक्ष में काम नहीं कर रही है तो अपने कारपोरेट सहयोगियों से धन लेने वाले एन जी ओ संगठनों की मार्फ़त उन सरकारों के खिलाफ आंदोलन भी करवाती है  . जो लोग भारत में पिछले कुछ वर्षों से आये हुए आन्दोलनों की बाढ़ से अवगत हैं उनको इन एन जी ओ आन्दोलनों में भी कुछ इस तरह के  सन्देश नज़र आ सकते हैं . इस कंपनी में काम करने वाले या बाहर से सहयोग करने वालों में बहुत बड़े पत्रकार और वकील शामिल हैं . इरान पर हमला करने का जो औचित्य तैयार किया गया उसको इसी कंपनी में काम करने वाले  दो  वकीलों जेफरी स्मिथ और जान बेलिंजर ने लिखा था .अमरीकी नामी अखबार वाशिंगटन पोस्ट  ने उसे छापा भी था . साथ में यह भी बताया था कि उस लेख के लेखक कौन लोग हैं .इस शताब्दी की जो सबसे बड़ी अफवाह है  कि “ इजरायल दुनिया के नक्शे से गायब हो गया है “ने भी इसी कंपनी की कृपा से अमरीकी मीडिया में प्लांट किया गया था. इसका मकसद इरान पर हमला करवाना था .मलयेशिया के तत्कालीन उप प्रधानमंत्री,अनवर इब्राहीम के चरित्र पर लांछन लगवाकर उनको सत्ता से बेदखल करवाकर उनके राजनीतिक जीवन को चौपट करने का काम भी एप्को वर्ल्डवाइड ने ही  किया है . मलयेशिया की सरकार इनकी एक प्रमुख मुवक्किल है . अनवर इब्राहीम आजकल एप्को वर्ल्डवाइड के खिलाफ अपने देश में आंदोलन चला रहे हैं .
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इसी एप्को वर्ल्डवाइड को नरेंद्र मोदी की छवि को चमकाने के काम पर लगाया गया है .गुजरात सरकार इस काम के लिए बहुत बड़ी रकम भी दे रही है . एप्को वर्ल्डवाइड के ग्राहकों में मोदी के अलावा कई देशों के तानाशाह भी हैं . नाइजीरिया के तानाशाह सानी अबाचा और कजाखस्तान के आजीवन राष्ट्रपति  नुरसुल्तान अबिशुली नज़रबायेव भी एप्को वर्ल्डवाइड के मुवक्किल हैं .यही कंपनी नरेंद्र मोदी की पी आर एजेंसी है . हिमालय में मोदी के कारनामे का प्रचार जिस तरह से किया गया वह तो कुछ नहीं है .क्योंकि इरान पर हमला करवाने के लिए यही कंपनी “इजरायल को दुनिया के नक्शे से हटा भी चुकी है “और अमरीकी और इजरायली मीडिया ने इस खबर को उसी तरह से चलाया था जिस तरह से भारतीय मीडिया के एक  वर्ग ने बिना सोचे समझे प्रचार किया था कि नरेंद्र मोदी ने इनोवा कारों पर बैठाकर कुछ  ही घंटों में १५००० गुजरातियों को बीन बीन कर केदारनाथ से निकाल लिया था और उनको सुरक्षित उनके घरों पर पंहुचा दिया था  जबकि उस इलाके की सभी सड़कें भारी बारिश के कारण तबाह हो चुकी थीं.


 (संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर)

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