स्पष्ट रूप से पढ़ने के लिए इमेज पर डबल क्लिक करें (आप उसके बाद भी एक बार और क्लिक द्वारा ज़ूम करके पढ़ सकते हैं )
एक निर्दोष लड़की को माहौल बनाने के लिए मार डाला था इन लोगों ने
इशरत जहां के केस में अब चार्जशीट दाखिल हो गयी है .चर्चा रहेगी . मैंने भी उस लड़की के न्याय के लिए चलाये गए अभियान के बारे में कई बार लिखा था. जैसी कि परम्परा है . अगर नरेन्द्र मोदी की सरकार के किसी लेख में कहीं कोई खामी उजागर कर दी जाए तो उनकी कंप्यूटर सेना के लोग टूट पड़ते हैं . मेरे किसी लेख को 'विस्फोट 'ने छाप दिया था तो मुझे गालियों से विभूषित किया गया था . यह सितम्बर २००९ का लेख है . उस लेख पर आयी एक टिप्पणी का मैंने जवाब दिया था . आज उसी टिप्पणी और अपने जवाब को पेस्ट कर रहा हूँ . शायद किसी काम आ सके .
kumar Dev on 11 September, 2009 10:27;28
शेष महोदय आप तो नाग से भी ज्यादा जहरीली बात कह रहे है, तरस आता है आपकी मानसिकता पर आप इतिहासकार है तो इतिहास ही पढाइए ना इधर आकर लिखने से पहले 2 सितम्बर को मेराज ( मुंबई ) में हुए गणेशउत्सव में बने पंडालों और झांकियों पर मुस्लिम समुदाय के द्वारा किये गये तोड़ फोड़ और फैलाए गये दंगों पर गहन चिंतन कीजिये और मुर्शिदाबाद में कुछ महीनों पहले पहले मुस्लिम समुदाय द्वारा निरीह समुदाय के लोगो को पीटना और उनका कत्ल कर देना क्या आपको नहीं दीखता की मऊ में हुए दंगों की चीख आपको नहीं सुने देती I
रही बात इशरत जहां के बारे में तो ये कांग्रेस ( सेकुलर ) सरकार ने भी स्वीकार किया है की उसके आतंकवादियों से संबंध थे तो फिर इसमें फर्जीपना कहाँ था, किसी बिषबेल को पनपने से पहले ख़त्म कर देना समझदारी है या आपकी तरह उसकी तरफदारी करना l
पता नहीं आप जैसे ( सेकुलर या कांग्रेस भक्त ) लोगो को मोदी जी या गुजरात की भाजपा सरकार का नाम सुनते ही खुजली क्यूँ होने लगती I शायद आप ऐसा लेख नहीं लिखते अगर यही घटना किसी कांग्रेस शासित राज्य में हुई होती I
और हाँ आपसे निवेदन ( आप जैसों से निवेदन करने में भी ग्लानी महसूस होती है ) है कभी बुंदेलखंड के बेबस किसानों की आत्महत्या, उड़ीसा के आदिवासियों की भुखमरी, नक्सल समस्या पर भी लेख लिख लीजिये I
मैं आपके लिए ऊपरवाले से यही दुआ करूँगा की किसी बम के धमाके में आपका कोई अपना भी आहत हो तभी आपकी ये "टें पें" खत्म होगी I आप जैसे इतिहांसकारों की वजह से ही हमारी ये पीढ़ी इस देश को कायर समझती है I
" जय जवान जय किसान जय विज्ञान और जय भगवान् "
शेष नारायण सिंह on 11 September, 2009 17:07;35
इस लेख पर ज़्यादातर टिप्पणियाँ ऐसी हैं जो भावनाओं के उद्वेग में लिखी गयी हैं. किसी की भी भावनाओं की मैं कद्र करता हूँ वे चाहे जितनी अज्ञानता में की जाएँ. भावनाओं को तर्क की कसौटी पर कसना ठीक नहीं है लेकिन श्री कुमार देव नामक विद्वान् ने जो बातें उठायी हैं वे गंभीर हैं. उनका जवाब दिया जाना चाहिए क्योंकि फासिज्म कहीं भी हो उसका विरोध किया जाना चाहिए. पहली बात तो यह कि अगर मुसलमानों ने भारत के कई स्थानों पर तोड़ फोड़ की हैं तो उसकी सज़ा उनको मिलनी चाहिए , उसका बदला इशरत जहां से लेने की बात को सही मानना वैसा ही है ,जैसे फासिज्म के गुरु हिटलर ने गरीब यहूदियों को मार कर लिया था. जहां भी, जो भी ग़लती करे उसको वहीं सज़ा मिलनी चाहिए और अगर कांग्रेस ने किसी को आतंकवादी कह दिया है तो उसको आतंकवादी मान लेना कहाँ तक सही है. इशरत के साथियों को कांग्रेसी सरकार के गृह मंत्रालय ने आतंकवादी कह दिया है तो बिना न्यायिक समीक्षा के कोई उसे सही माने, तो वह उसकी समस्या है .यह कहाँ लिखा है, कांग्रेस जो कहेगी सच ही कहेगी .आप उसे सच मानते हैं तो मान ले. मैं तो गुजरात के न्यायिक अधिकारी , तमांग की रिपोर्ट के आ़धार पर अपनी बात कह रहा हूँ. उस रिपोर्ट की कॉपी मेरे पास है जिसमें कहा गया है कि चारों ही बच्चे निर्दोष थे और कोई भी पाकिस्तानी नहीं था.कांग्रेस शासित राज्यों के बारे में मैं लेख नहीं लिखता , यह आपको किसने बता दिया ? मेरा सारा लेखन विस्फोट .कॉम पर नहीं छपता.अगर आप सारा पढना चाहते हैं तो पढें . मैं दे दूंगा .लेकिन मुझे नहें लगता कि आप बहुत खुश होंगें .. मैं मूल रूप से फासिज्म का विरोधी हूँ और इन्सान से नफरत करने वालों के लिए इश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि ऐसे राह भटके लोगों को वह सद्बुद्धि दे...मैंने बुंदेलखंड के अलावा विदर्भ के किसानों के बारे में भी लिखा है जहां तथाकथित सेकुलर कांग्रेस का राज है. और आप भी कृपया नोट कर लें कि वह काग्रेस सेकुलर नहीं हो सकती जिसके नेताओं ने १९८४ में दिल्ली में सिखों को अपनी निगरानी में मरवाया हो. एक बात और बताना ज़रूरी है कि अगर पत्रकारिता करनी है तो किसी पार्टी या नेता का अर्दली मत बनिए वर्ना चारण हो जायेंगें . नरेंद्र मोदी, सोनिया गाँधी, लालू यादव, मायावती, बाल ठाकरे, प्रकाश करात, लाल कृष्ण अडवाणी,शरद पवार , मुलायम सिंह यादव आप जैसे लोगों को तलाशते रहते हैं जो उनका जयकारा लगाएं . बाद में आपको उनके चौकीदार निकाल फेंकेंगें . इस लिए सच को सच कहने की आदत डालिए और उसे कहिये .जय जय कार करने पर कोई नरेन्द्र मोदी या सोनिया गाँधी आपको इज्ज़त नहीं देगा. इस्तेमाल करके फ़ेंक देंगें . इस लिए कबीर साहेब की बात हमेशा याद रखिये . आप ने फरमाया था .. कबिरा खडा बाज़ार में दोनों दल की खैर, ना काहू से दोस्ती ना कहू से बैर . और राजा की चापलूसी कभी मत करिए ,अपनी इज्ज़त ख़त्म हो जायेगी , ज़माना चापलूस कहेगा.
http://sheshji.blogspot.in/2009/12/blog-post_02.html
इस लिंक पर प्रस्तुत लेख भी अवश्य ही पढ़ा जाना चाहिए।
(वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक शेष नारायण सिंह जी के लिखे लगभग चार वर्ष पुराने नोट की हकीकत में अब पुष्टि हो गई है तब अब उन पर नाहक लांछन लगाने वाले मोदी समर्थकों को उनसे क्षमा-याचना करनी चाहिए)
संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर
एक निर्दोष लड़की को माहौल बनाने के लिए मार डाला था इन लोगों ने
इशरत जहां के केस में अब चार्जशीट दाखिल हो गयी है .चर्चा रहेगी . मैंने भी उस लड़की के न्याय के लिए चलाये गए अभियान के बारे में कई बार लिखा था. जैसी कि परम्परा है . अगर नरेन्द्र मोदी की सरकार के किसी लेख में कहीं कोई खामी उजागर कर दी जाए तो उनकी कंप्यूटर सेना के लोग टूट पड़ते हैं . मेरे किसी लेख को 'विस्फोट 'ने छाप दिया था तो मुझे गालियों से विभूषित किया गया था . यह सितम्बर २००९ का लेख है . उस लेख पर आयी एक टिप्पणी का मैंने जवाब दिया था . आज उसी टिप्पणी और अपने जवाब को पेस्ट कर रहा हूँ . शायद किसी काम आ सके .
kumar Dev on 11 September, 2009 10:27;28
शेष महोदय आप तो नाग से भी ज्यादा जहरीली बात कह रहे है, तरस आता है आपकी मानसिकता पर आप इतिहासकार है तो इतिहास ही पढाइए ना इधर आकर लिखने से पहले 2 सितम्बर को मेराज ( मुंबई ) में हुए गणेशउत्सव में बने पंडालों और झांकियों पर मुस्लिम समुदाय के द्वारा किये गये तोड़ फोड़ और फैलाए गये दंगों पर गहन चिंतन कीजिये और मुर्शिदाबाद में कुछ महीनों पहले पहले मुस्लिम समुदाय द्वारा निरीह समुदाय के लोगो को पीटना और उनका कत्ल कर देना क्या आपको नहीं दीखता की मऊ में हुए दंगों की चीख आपको नहीं सुने देती I
रही बात इशरत जहां के बारे में तो ये कांग्रेस ( सेकुलर ) सरकार ने भी स्वीकार किया है की उसके आतंकवादियों से संबंध थे तो फिर इसमें फर्जीपना कहाँ था, किसी बिषबेल को पनपने से पहले ख़त्म कर देना समझदारी है या आपकी तरह उसकी तरफदारी करना l
पता नहीं आप जैसे ( सेकुलर या कांग्रेस भक्त ) लोगो को मोदी जी या गुजरात की भाजपा सरकार का नाम सुनते ही खुजली क्यूँ होने लगती I शायद आप ऐसा लेख नहीं लिखते अगर यही घटना किसी कांग्रेस शासित राज्य में हुई होती I
और हाँ आपसे निवेदन ( आप जैसों से निवेदन करने में भी ग्लानी महसूस होती है ) है कभी बुंदेलखंड के बेबस किसानों की आत्महत्या, उड़ीसा के आदिवासियों की भुखमरी, नक्सल समस्या पर भी लेख लिख लीजिये I
मैं आपके लिए ऊपरवाले से यही दुआ करूँगा की किसी बम के धमाके में आपका कोई अपना भी आहत हो तभी आपकी ये "टें पें" खत्म होगी I आप जैसे इतिहांसकारों की वजह से ही हमारी ये पीढ़ी इस देश को कायर समझती है I
" जय जवान जय किसान जय विज्ञान और जय भगवान् "
शेष नारायण सिंह on 11 September, 2009 17:07;35
इस लेख पर ज़्यादातर टिप्पणियाँ ऐसी हैं जो भावनाओं के उद्वेग में लिखी गयी हैं. किसी की भी भावनाओं की मैं कद्र करता हूँ वे चाहे जितनी अज्ञानता में की जाएँ. भावनाओं को तर्क की कसौटी पर कसना ठीक नहीं है लेकिन श्री कुमार देव नामक विद्वान् ने जो बातें उठायी हैं वे गंभीर हैं. उनका जवाब दिया जाना चाहिए क्योंकि फासिज्म कहीं भी हो उसका विरोध किया जाना चाहिए. पहली बात तो यह कि अगर मुसलमानों ने भारत के कई स्थानों पर तोड़ फोड़ की हैं तो उसकी सज़ा उनको मिलनी चाहिए , उसका बदला इशरत जहां से लेने की बात को सही मानना वैसा ही है ,जैसे फासिज्म के गुरु हिटलर ने गरीब यहूदियों को मार कर लिया था. जहां भी, जो भी ग़लती करे उसको वहीं सज़ा मिलनी चाहिए और अगर कांग्रेस ने किसी को आतंकवादी कह दिया है तो उसको आतंकवादी मान लेना कहाँ तक सही है. इशरत के साथियों को कांग्रेसी सरकार के गृह मंत्रालय ने आतंकवादी कह दिया है तो बिना न्यायिक समीक्षा के कोई उसे सही माने, तो वह उसकी समस्या है .यह कहाँ लिखा है, कांग्रेस जो कहेगी सच ही कहेगी .आप उसे सच मानते हैं तो मान ले. मैं तो गुजरात के न्यायिक अधिकारी , तमांग की रिपोर्ट के आ़धार पर अपनी बात कह रहा हूँ. उस रिपोर्ट की कॉपी मेरे पास है जिसमें कहा गया है कि चारों ही बच्चे निर्दोष थे और कोई भी पाकिस्तानी नहीं था.कांग्रेस शासित राज्यों के बारे में मैं लेख नहीं लिखता , यह आपको किसने बता दिया ? मेरा सारा लेखन विस्फोट .कॉम पर नहीं छपता.अगर आप सारा पढना चाहते हैं तो पढें . मैं दे दूंगा .लेकिन मुझे नहें लगता कि आप बहुत खुश होंगें .. मैं मूल रूप से फासिज्म का विरोधी हूँ और इन्सान से नफरत करने वालों के लिए इश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि ऐसे राह भटके लोगों को वह सद्बुद्धि दे...मैंने बुंदेलखंड के अलावा विदर्भ के किसानों के बारे में भी लिखा है जहां तथाकथित सेकुलर कांग्रेस का राज है. और आप भी कृपया नोट कर लें कि वह काग्रेस सेकुलर नहीं हो सकती जिसके नेताओं ने १९८४ में दिल्ली में सिखों को अपनी निगरानी में मरवाया हो. एक बात और बताना ज़रूरी है कि अगर पत्रकारिता करनी है तो किसी पार्टी या नेता का अर्दली मत बनिए वर्ना चारण हो जायेंगें . नरेंद्र मोदी, सोनिया गाँधी, लालू यादव, मायावती, बाल ठाकरे, प्रकाश करात, लाल कृष्ण अडवाणी,शरद पवार , मुलायम सिंह यादव आप जैसे लोगों को तलाशते रहते हैं जो उनका जयकारा लगाएं . बाद में आपको उनके चौकीदार निकाल फेंकेंगें . इस लिए सच को सच कहने की आदत डालिए और उसे कहिये .जय जय कार करने पर कोई नरेन्द्र मोदी या सोनिया गाँधी आपको इज्ज़त नहीं देगा. इस्तेमाल करके फ़ेंक देंगें . इस लिए कबीर साहेब की बात हमेशा याद रखिये . आप ने फरमाया था .. कबिरा खडा बाज़ार में दोनों दल की खैर, ना काहू से दोस्ती ना कहू से बैर . और राजा की चापलूसी कभी मत करिए ,अपनी इज्ज़त ख़त्म हो जायेगी , ज़माना चापलूस कहेगा.
http://sheshji.blogspot.in/2009/12/blog-post_02.html
इस लिंक पर प्रस्तुत लेख भी अवश्य ही पढ़ा जाना चाहिए।
(वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक शेष नारायण सिंह जी के लिखे लगभग चार वर्ष पुराने नोट की हकीकत में अब पुष्टि हो गई है तब अब उन पर नाहक लांछन लगाने वाले मोदी समर्थकों को उनसे क्षमा-याचना करनी चाहिए)
संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर
''नरेंद्र मोदी, सोनिया गाँधी, लालू यादव, मायावती, बाल ठाकरे, प्रकाश करात, लाल कृष्ण अडवाणी,शरद पवार , मुलायम सिंह यादव आप जैसे लोगों को तलाशते रहते हैं जो उनका जयकारा लगाएं . बाद में आपको उनके चौकीदार निकाल फेंकेंगें. ''
ReplyDeleteलेखक महोदय, में दूसरे राजनेताओं की बात तो नहीं कह सकता मगर, प्रकाश करात का नाम आपकी उपरोक्त लिस्ट में देख कर ताज्जुब करता हूँ। क्या आप अपने उपरोक्त वाक्य को संदर्भों सहित व्याख्या करने के चेष्ठा करेंगे? धन्यवाद।