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राहुल
गांधी के बयान को आधार बना कर अरुण जेटली द्वारा पी एम साहब को स्तीफ़ा
देने की ललकार एक बार फिर से सिद्ध करती है कि मनमोहन जी अंदर-अंदर भाजपा
से मिलीभगत करके चलते रहे हैं। जब सोनिया जी अपने इलाज के वास्ते देश से
बाहर थीं तो उन्होने हज़ारे/केजरीवाल को आगे करके 'कारपोरेट भ्रष्टाचार' के
बचाव का आंदोलन खड़ा करा दिया था जिसमें 'राष्ट्र ध्वज'का घोर अपमान किया
गया था। जब फिर सोनिया जी चेक अप के लिए गईं फिर विवाद खड़ा करा दिया। वह
पार्टी अनुशासन से परे चलते रहे। पहली बार उनकी पार्टी ने उनको आईना दिखाया
है। वह स्तीफ़ा न देकर 'मध्यावधी चुनाव' का रास्ता अख़्तियार कर सकते हैं।
संकलन-विजय माथुर,
फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर
Comment in face book grup'Ekant ke bol..'---
ReplyDeleteNarendra Parihar :ab chunav ki ghoshna ka intzar kare
10 hours ago · Unlike · 1