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विद्वान चिंतक और पूर्व राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी जी भी दिल्ली में केजरीवाल/आप के उभार को शुभ लक्षण नहीं मानते हैं।
दिल्ली की आप सरकार द्वारा जिनको पानी का कन्सेशन मिलेगा वे सभी समृद्ध लोग होंगे क्योंकि झुग्गी-झोपड़ियों तक तो पानी की पाईप लाईनेन ही नहीं बिछी हैं और बिजली कनेकशन भी नहीं हैं वह लाभ भी मीटर वाले लोगों को ही मिलेगा गरीबों की बस्तियों में नहीं। 1947 में देश को सांप्रदायिक/साम्राज्यवादी आधार पर विभाजित करके पाकिस्तान की संरचना ब्रिटिश सरकार ने अमेरिकी साम्राज्यवाद के इशारे पर की थी। अमेरिका हमेशा पाकिस्तान की समप्रभुत्ता का उल्लंघन करता रहा है और अब हमारी बानिज्य राजनयिक देवयानी खोबरागड़े को गिरफ्तार व अपमानित करके भारत की सम्प्रभुत्ता को भी चुनौती दे रहा है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अमेरिकापरस्ती बेनकाब होने के बाद पहले मोदी को आगे किया गया था किन्तु उन पर सांप्रदायिक नर-संहार का ठप्पा लगा होने के कारण 'आप' व केजरीवाल को अमेरिकी साम्राज्यवाद की रक्षा के लिए आगे लाया गया है। अतः कम्युनिस्ट कार्यकर्ताओं एवं नेताओं का यह नैतिक दायित्व था कि इस खतरे से जनता को आगाह करते जिससे आसन्न लोकसभा चुनावों में जनता गुमराह न होती। किन्तु दुखद स्थिति यह है कि बड़े से बड़े कम्युनिस्ट नेता भी 'केजरीवाल/आप' के भ्रमजाल में बुरी तरह उलझ गायें हैं फिर जनता को कौन जाग्रत करेगा?ध्यान रखने की बात थी कि इन्दिरा कांग्रेस का मनमोहन गुट,भाजपा और आप तीनों ही RSS से प्रभावित हैं। अतः सभी कम्युनिस्टों को मिल कर इन शक्तियों का मुक़ाबला करना चाहिए था बजाए 'आप'/केजरीवाल के गुण गाँन करने के। यदि आज आप/केजरीवाल को आगे बढ़ाया गया तो निश्चय ही अर्द्ध-सैनिक तानाशाही स्थापित करने में RSS को सहयोग मिलेगा। 1980 के बाद से RSS के लोग अनेक दलों में घुस चुके हैं। जबकि कम्युनिस्ट बिखरे हुये हैं। उस स्थिति में 'हिंसक' आंदोलन की ही गुंजाईश बचेगी जो कि लोकतन्त्र के लिए कैसे शुभ रहेगा?
संकलन-विजय माथुर,
फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर
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