गुजरात में बहुसंख्यकवाद का सफल प्रयोग करने के बाद यूपी में
मुजफ्फरनगर को केन्द्र में रखकर बहुसंख्यकवाद की जिस राजनीति की फसल को
राजनेताओं ने काटा है वह सत्ता के शिखर तक पहुँचाने का मार्ग बनी है।
बहुसंख्यकवाद हमारे देश में साम्प्रदायिकता का नया नाम है। इसके बारे में हम सबको गंभीरता से सोचने की जरुरत है।यूपी- बिहार में बहुसंख्यकवाद की विजय दुंदुभि को हम सब देख नहीं पाए। यूपी में पुण्यात्माओं की विजयलहर अखिलेश सरकार की असफलता या यूपी में कानून व्यवस्था की बिगडी स्थिति से पैदा हुई जीत नहीं थी । यूपी के विजयी पूना में नया प्रयोग कर रहे हैं।
बहुसंख्यकवाद हमारे देश में साम्प्रदायिकता का नया नाम है। इसके बारे में हम सबको गंभीरता से सोचने की जरुरत है।यूपी- बिहार में बहुसंख्यकवाद की विजय दुंदुभि को हम सब देख नहीं पाए। यूपी में पुण्यात्माओं की विजयलहर अखिलेश सरकार की असफलता या यूपी में कानून व्यवस्था की बिगडी स्थिति से पैदा हुई जीत नहीं थी । यूपी के विजयी पूना में नया प्रयोग कर रहे हैं।
हम सब अपने स्तर पर बिना किसी दल विशेष को गाली दिए सीधे बहुसंख्यकवाद
की राजनीति का विरोध करें और इसकी आड़ में चल रहे प्रपंचों को पहचानें।
बहुसंख्यकवाद की आंधी हमेशा किसी न किसी बहाने से आरंभ होती है। मुजफ्फरनगर
में लड़कियों के साथ छेडखानी का मामला था,पूना में फेक आईडी के जरिए
शिवाजी और बालठाकरे के बारे में गंदी बातें लिखने का मामला सामने आया
है।उसके बाद बहाना बनाकर संबंधित मुस्लिम युवक की हत्या कर दी गयी और बाद
में पूना में समुदाय विशेष के लोगों पर हमले हुए हैं।
नभाटा के अनुसार पूना में तनाव है।कई जगहों पर हमले और तोड़फोड़ की कार्रवाई हुई है। बहुसंख्यकवाद के लिए फेसबुक पोस्ट तो बहाना है। असल में वे फेसबुक पोस्ट से नाराज होते तो उसे हटाने के लिए शिकायत कर सकते थे,हत्या करने की क्या जरुरत थी।
मोहसिन की हत्या के बाद साफ संदेश है कि बहुसंख्यकवाद के नारे के इर्दगिर्द एकजुट हो। महाराष्ट्र सरकार को इस मामले में सख्ती से काम लेना चाहिए। कांग्रेस को जल्दी से अपने को वैचारिक निकम्मेपन से मुक्त करने की जरुरत है।
पूना में सामने जो खिलाडी हैं वे तो नकली खिलाडी हैं,असली खिलाडी तो कोई और हैं। उनको राजनीतिक तौर पर चिह्नित करने की जरुरत है। बहुसंख्यकवाद का नारा है भय पैदा करो और बहुसंख्यकों एकजुट करो।
https://www.facebook.com/
नभाटा के अनुसार पूना में तनाव है।कई जगहों पर हमले और तोड़फोड़ की कार्रवाई हुई है। बहुसंख्यकवाद के लिए फेसबुक पोस्ट तो बहाना है। असल में वे फेसबुक पोस्ट से नाराज होते तो उसे हटाने के लिए शिकायत कर सकते थे,हत्या करने की क्या जरुरत थी।
मोहसिन की हत्या के बाद साफ संदेश है कि बहुसंख्यकवाद के नारे के इर्दगिर्द एकजुट हो। महाराष्ट्र सरकार को इस मामले में सख्ती से काम लेना चाहिए। कांग्रेस को जल्दी से अपने को वैचारिक निकम्मेपन से मुक्त करने की जरुरत है।
पूना में सामने जो खिलाडी हैं वे तो नकली खिलाडी हैं,असली खिलाडी तो कोई और हैं। उनको राजनीतिक तौर पर चिह्नित करने की जरुरत है। बहुसंख्यकवाद का नारा है भय पैदा करो और बहुसंख्यकों एकजुट करो।
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भविष्य में बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक यदि हमारे देश की एकता के लिए एक बड़ा खतरा बन जाय तो ताजुब नहीं होना चाहिए क्योंकि यह सोच ही गलत है सब बराबर है यह बात समझने की जरुरत हैं
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