Wednesday 16 July 2014

पाछे पछताए होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत?---विजय राजबली माथुर

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माकपा के एक वरिष्ठ नेता का यह विलाप पढ़ कर खेद हुआ कि वक्त रहते जब उनकी पार्टी ने आर एस एस /भाजपा को रोकने का कोई प्रयत्न न किया न करने दिया तो फिर ये घड़ियाली आंसू क्यों? केरल भाजपा से केरल माकपा में आर एस एस कार्यकर्ताओं को प्रवेश खुशी-खुशी दिया गया। पश्चिम बंगाल में बजाए ममता बनर्जी से सम्झौता करने के उनको उखाड़ने हेतु भाजपा को अप्रत्यक्ष सहयोग दिया गया। भाजपा की सहयोगी पार्टी के अध्यक्ष को तीसरे मोर्चे का पी एम घोषित किया गया। एथीस्टवाद के नाम पर ढोंग-पाखंड-आडंबर को धर्म की संज्ञा दी जाती रही और वास्तविक धर्म=सत्य,अहिंसा (मनसा-वाचा-कर्मणा),अस्तेय,अपरिग्रह और ब्रह्मचर्य का विरोध किया जाता रहा। इस कारण आर एस एस/भाजपा नव उदरवाद काल में जन्मे युवा वर्ग को गुमराह करके उनका वोट हासिल करने मे कामयाब हो गए।

चर्चा तो यह भी है कि व्हाईट हाउस में पिछले तीन वर्षों से चल रही एक योजना के अंतर्गत भारत की दलित कही जाने वाली जातियों का वोट भाजपा की ओर सांप्रदायिक आधार पर खिसकाया गया है। भारत से जो लोग व्हाईट हाउस की चर्चा में शामिल हुये थे उनमें से एक तो लखनऊ विश्वविद्यालय में कार्यरत दलित चिंतक बताए जाते हैं। लोजपा,जपा,अद आदि दलों का भाजपा के साथ गठबंधन इसी योजना का अंग बताया जाता है।

इसके अतिरिक्त जब स्पष्ट हो गया था कि मनमोहन जी को तीसरी बार पी एम नहीं बनाया जाएगा तो तीन वर्ष पूर्व ही हज़ारे/केजरीवाल के नेतृत्व में और मनमोहन जी के आशीर्वाद से कारपोरेट भ्रष्टाचार संरक्षण हेतु NGOs ने जो आंदोलन चलाया था उसका उद्देश्य भी भाजपा/आर एस एस के पक्ष में लामबंदी करना था। अपने ब्लाग के माध्यम से मैंने भी और और लोगों ने भी हज़ारे/केजरीवाल के विरुद्ध उनकी पोल खोलते हुये लेख लिखे थे। माकपा महासचिव तब केजरीवाल के गुण गान कर रहे थे। आर एस एस का गठन ब्रिटिश साम्राज्य की रक्षा हेतु हुआ था आज वह अमेरिकी साम्राज्यवाद को बल प्रदान कर रहा है। अभी तो इतिहास ही नष्ट किया है आगे तो देश को नष्ट करने की प्रक्रिया चालू कर दी गई है  जोजीला दर्रे के नीचे स्थित भूमिगत प्लेटिनम पर अमेरिका की आँख गड़ी हुई है जिसे हड़पने को उसके हित में अभी तक 370 का राग अलापा जाता था और अब !और इसके लिए माकपा व एथीस्टवादी भी अपनी ज़िम्मेदारी से नहीं बच सकते हैं ---





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