Thursday 31 July 2014

दो रास्ते वाली मुमताज़ की कोई दूसरी मिसाल नहीं है---संजोग वाल्टर

जन्मदिन पर विशेष -


साभार :
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मुमताज़ हिंदी फ़िल्में का वो नाम है जिसकी दूसरी कोई मिसाल नहीं है मामूली रोल से शुरुआत और फिर अपनी मेंहनत और ईमानदारी की वजह से टाप पर पहुँचने की कोई दूसरी मिसाल नहीं है,मुमताज़ ( 31 जुलाई 1947, बॉम्बे ) का नाम ज़ेहन में आता है तो याद आती है वो फ़िल्में जिनमें उन्होंने extra का रोल किया था मुझे जीने दो (1963 ) में उनके हिस्से में सम्वाद था माँ भैया आये है,उनका गहरा दाग (1963 ) में राजेन्द्र कुमार की बहन का रोल,मेरे सनम (1965) में वैम्प का किरदार "यह है रेशमी जुल्फों का अँधेरा" यह गाना तो आज भी मशहूर है मुमताज़ ने जम कर दोस्ती भी निभाई,फिरोज खान जब 1970 में अपराध से निर्माता बने तो मुमताज़ ने हीरो प्रधान फिल्म में काम किया और फ़िरोज़ खान के कहने पर बिकनी भी पहनी,अपनी बेटी नताशा की शादी फिरोज खान के बेटे फरदीन खान से कर अपनी दोस्ती को रिश्तेदारी में बदल दिया,जीतेन्द्र की फिल्म हमजोली में एक आइटम सीन  किया टिक टिक मेरा दिल बोले देव साहब के कहने पर फिल्म हरे रामा हरे कृष्ण भी इस फिल्म में मुमताज़ सिर्फ नाम की हेरोइन थी,पूरी फिल्म जीनत अमान के इर्द गिर्द थी,तेरे मेरे सपने (1971), खिलौना (1970) मुमताज़ की वो चुनिन्दा फ़िल्में जिनमें उन्होने जान डाल थी खिलौना के लिए Filmfare Best Movie Award.के साथ Filmfare Best Actress Award,भी हासिल किया था,मुमताज़ के वालिद-वालिदा का नाम था अब्दुल सलीम अस्करी- शादी हबीब आगा.मुझे जीने दो (1963 ) में दिखी एक छोटे से किरदार,इस दौर में उनकी जोड़ी बनी दारा सिंह के साथ  इस जोड़ी की 16 फ़िल्में आई थी बौक्सर, सेमसन,टार्ज़न,किंग कोंग, फौलाद ,वीर भीमसेन , हर्क्यूलिस Tarzan Comes to Delhi, Sikandar E Azam, Rustom-E-Hind, Raaka, Boxer, Daku Mangal सिंह,तब दारा सिंह को मिलते ४.५ लाख रुय्पे एक फिल्म के मुमताज़ को २.५ लाख रूपये,मुमताज़ बी ग्रेड की फिल्मों में हेरोइन बन कर आ रही थी तो ऐ ग्रेड की फिल्मों में छोटे छोटे रोल कर रही थी पत्थर के सनम इसकी मिसाल है,राम और श्याम (1967). में उन्होंने दिलीप कुमार के साथ काम किया जो 1967 की टॉप हिट फिल्म थी शर्मीला टैगोर के साथ सावन की घटा (1966 ), यह रात फिर न आएगी (1966) मेरे हमदम मेरे दोस्त (1968) .राजेश खन्ना के साथ दो रास्ते (1969) और बंधन के बाद इस जोड़ी ने आठ फ़िल्में की. सच्चा झूठा (1970 ) में शशी कपूर ने उनके साथ काम करने से मना कर दिया था,(हीरो राजेश खन्ना) 1974 की सुपर हिट फिल्म "चोर मचाये सर शोर" शशी कपूर की यह कम बैक फिल्म थी,मुमताज़ ने यह जानते हुए भी इस फिल्म के हीरो शशी है काम करने से मना नहीं किया,मुमताज़ ने करीब 108 फिल्मों में काम किया था,धर्मेन्द्र,संजीव कुमार,जेतेंद्र सुनील दत्त,फिरोज खान,बिस्वजीत,देव आन्नद,अमिताभ बच्चन के साथ भी काम किया 1969-1975  के बीच उनकी और राजेश खन्ना की जोड़ी ने कई हिट फ़िल्में दी.राजेश खन्ना के साथ उनकी कमाल की जुगल बंदी थी.१९७४ में जब मुमताज़ अपने करियर की उंचाई पर थी तब millionaire मयूर माधवानी से शादी का फैसला कर लिया तब बाकी था काम आप की कसम ,रोटी और प्रेम कहानी का इन तीनों फिल्मों में उनके हीरो थे राजेश खन्ना इसके अलावा उन्होंने लफंगे (रंधीर कपूर) और नागिन का काम पूरा करने के बाद फ़िल्मी दुनिया को अलविदा कह दिया और लन्दन जा बसी.1989 में वो फिल्म आंधिया में आई यह  फिल्म भारत में फलाप रही पर पकिस्तान में इस फिल्म ने सिल्वर जुबली की थी,In 1996 she received the Filmfare Lifetime Achievement Award.In June 2008, she was honored for her "Achievement in Indian Cinema" by the International Indian Film Academy (IIFA) in Bangkok. Mumtaz has featured recently in UniGlobe Entertainment's cancer docudrama 1 a Minute with a number of international stars.मुमताज़ की दो बेटियां है,मुमताज़ का नाम राजेश खन्ना के साथ भी जुड़ा,पर उनके और शम्मी कपूर के बीच रोमांस की खूब चर्चा है,बताया जाता है इस रिश्ते से "पापा कपूर" नहीं खुश थे वो नहीं चाहते थे उनके खानदान में एक और बहु फ़िल्मी दुनिया से हो (गीता बाली) शम्मी ने बाद में भाव नगर की नीला देवी से शादी कर ली थी "फिल्म ब्रह्मचारी के दौरान मुमताज़ शम्मी का रोमांस जोरो पर था " फिल्म का एक गाना इस रिश्ते पर मोहर भी लगाता है "आज कल तेर मेरे प्यार के चर्चे हर जुबान पर.मुमताज़ स्टायलिश हेरोइन थी,उनकी मुमताज़ साड़ी बहुत मशहूर उस ज़माने में खूब बिक्री होती थी "मुमताज़ साड़ी" की ( इस पर फिर कभी) बेहतरीन अदाकारा के साथ वो लाज़वाब डांसर भी थी.


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