Monday 23 March 2015

भगत सिंह: एक संक्षिप्त परिचय --- K K Bora Comrade

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 भगत सिंह: एक संक्षिप्त परिचय :
 भगत सिंह पर जलियांवाला बाग हत्याकांड का बहुत असर पड़ा था भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर, 1907 को लायलपुर ज़िले के बंगा में चक नंबर 105(अब पाकिस्तान में) नामक जगह पर हुआ था. हालांकि उनका पैतृक निवास आज भी भारतीय पंजाब के नवांशहर ज़िले के खट्करकलाँ गाँव में स्थित है. उनके पिता का नाम किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती था. यह एक सिख परिवार था . दादा गदरी आन्दोलन से जुड़े थे चाचा निर्वासित हो के आजादी आन्दोलन में रहे पिता समेत सभी लोग आजादी की लड़ाई में कई मर्तबा जेल काट चुके थे . अमृतसर में 13 अप्रैल 1919 को हुए जलियांवाला बाग हत्याकांड ने भगत सिंह की सोच पर गहरा प्रभाव डाला था. लाहौर के नेशनल कॉलेज़ की पढ़ाई छोड़कर भगत सिंह हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन ऐसोसिएशन नाम के एक क्रांतिकारी संगठन से जुड़ गए थे. रूस की मजदूर वर्ग क्रांति से प्रभावित हो भगत सिंह ने शोषण विहीन समाज के रूप में भारतीय आजादी की लड़ाई का लक्ष्य रखा. 1930 में उन्होंने अपने संघटन का एक प्रतिनिधि सोवियत संघ में भेजा और क्रांति के लिए लेनिन के विचारो को जरुरी बताया भगत सिंह के लेख नोजवानो के नाम सन्देश में भगत सिंह ने नोजवानो से कम्युनिस्ट पार्टी को तैयार करने को कहा भगत सिंह ने भारत की आज़ादी के लिए नौजवान भारत सभा की स्थापना की थी. इस संगठन का उद्देश्य ‘सेवा,त्याग और पीड़ा झेल सकने वाले’ नवयुवक तैयार करना था. भगत सिंह ने राजगुरू के साथ मिलकर लाहौर में सहायक पुलिस अधीक्षक रहे अंग्रेज़ अधिकारी जेपी सांडर्स को मारा था. इस कार्रवाई में क्रांतिकारी चंद्रशेखर आज़ाद ने भी उनकी सहायता की थी.   भगत सिंह ने नई दिल्ली की केंद्रीय एसेंबली में बम फेंका था. क्रांतिकारी साथी बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर भगत सिंह ने नई दिल्ली की सेंट्रल एसेंबली के सभागार में 8 अप्रैल, 1929 को 'अंग्रेज़ सरकार को जगाने के लिए' बम और पर्चे फेंके थे. बम फेंकने के बाद वहीं पर दोनों ने अपनी गिरफ्तारी भी दी. भगत सिंह पर ब्रिटिश शासन के ख़िलाफ़ जंग छेड़ने का आरोप लगा और उन पर लाहौर षड़यंत्र के तहत मामला बनाया गया. लाहौर षड़यंत्र मामले में भगत सिंह को सुखदेव और राजगुरू के साथ फाँसी की सज़ा सुनाई गई जबकि बटुकेश्वर दत्त को आजीवन कारावास दिया गया. भगत सिंह को 23 मार्च, 1931 की शाम सात बजे फाँसी पर लटका दिया गया. इतिहासकार बताते हैं कि फाँसी को लेकर जनता में बढ़ते रोष को ध्यान में रखते हुए अंग्रेज़ अधिकारियों ने तीनों क्रांतिकारियों के शवों का अंतिम संस्कार फ़िरोज़पुर ज़िले के हुसैनीवाला में कर दिया था. भगत सिंह ने क्रांतिकारी आंदोलन को ‘इंक़लाब ज़िंदाबाद’ का नारा दिया था.
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Madhuvandutt Chaturvedi :·
  "भगत सिंह से यह मेरी पहली मुलाकात थी। मैं जतीन्द्र नाथ दास बगैरहा से भी मिला । भगत सिंह का चेहरा आकर्षक था और उससे बुद्धिमत्ता टपकती थी । वह निहायत शांत और गंभीर था । उसमें गुस्सा नहीं दिखाई देता था । उसकी दृष्टि और बातचीत में बड़ी सुजनता थी ।" - जवाहर लाल नेहरू ( लाहौर सडयंत्र केस के कैदियों की भूख हड़ताल के एक महीने पूरे होने पर लाहौर जेल में नेहरू उनसे मिले थे । उल्लेखनीय है कि भूख हड़ताल के 61 वे दिन जतिन्द्र नाथ दास शहीद हो गए थे जिनकी शहादत पर नेहरू ने लिखा,'मृत्यु से सारे देश में सनसनी फ़ैल गयी थी ।' )



 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त यश

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