Tuesday 10 March 2015

गांधी जी पर लांछन क्यों? --- विजय राजबली माथुर

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http://vijai-vidrohi.blogspot.in/2015/03/gandhi-british-agent-markandey-katju.html 

https://www.facebook.com/justicekatju/posts/933487810025099 
 हालांकि जस्टिस काटजू का यह कहना कि गांधी जी ने 'क्रांतिकारी आंदोलन' की धार कुन्द कर दी और अधिकांश क्रांतिकारियों को फांसी दे दी गई तो सही है परंतु 'भारत-विभाजन' के लिए उनको उत्तरदाई ठहराना उनके साथ अन्याय होगा एवं अप्रत्यक्ष रूप से RSS/भाजपा के गलत विचारों को प्रोत्साहन देना भी  । 1857 की प्रथम क्रान्ति का हश्र गांधी जी के समक्ष था कि किस प्रकार पारस्परिक फूट से उसे विफल किया गया था अतः 'अहिंसा और सत्याग्रह' का मार्ग अपनाना उनकी एक रणनीतिक सफलता थी । विभाजन तो अमेरिकी राष्ट्रपति आईजेन हावर की दुर्नीति के कारण सामने आया था जिसे कमजोर होते जा रहे ब्रिटिश साम्राज्य को भी मानना ज़रूरी हो गया था। 
 यह एक सुनिश्चित ब्राह्मणवादी विचार धारा है कि भारत के प्रतीक महा पुरुषों को बुरी तरह बदनाम कर के जनता को दिग्भ्रमित किया जाये। इसी कारण पौराणिक ग्रन्थों के जरिये 'राम' और 'कृष्ण' के चरित्रों पर लांछन लगाए गए दूसरी ओर उनको अलौकिक घोषित करके उनकी पूजा शुरू करा दी गई जिसके जरिये ब्राह्मणों को रोजगार मिल गया। शेष जनता उनके क्रांतिकारी विचारों से अनभिज्ञ होने के कारण लाभ न उठा सकी। आधुनिक युग में एक बार फिर गैर ब्राह्मण महा पुरुषों पर लांछन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है जिससे उन लोगों को लाभ पहुंचाया जा सके जो साम्राज्यवाद के पिट्ठू रहे हैं और इसी लिए त्याग,बलिदान करने वाले महा पुरुषों पर ये कीचड़ उछाले जा रहे हैं।

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जस्टिस काटजू जातिवाद पर चल कर गैर ब्राह्मण महा पुरुषों पर लांछन लगा रहे हैं। अब नेहरू जी को भी गांधी जी के विरुद्ध घसीट लिया है। महात्मा गांधी जी के साथ-साथ नेताजी सुभाष बोस को भी विदेशी एजेंट घोषित करके जस्टिस काटजू RSS के इतिहास पुनरलेखन का कार्य संपादित कर रहे हैं।

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